डीएनए हिंदीः अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत ने बड़ी छलांग लगाई है. देश के पहले प्राइवेट रॉकेट विक्रम-एस (Vikram-S) को सफलतापूर्वक लॉन्च कर भारत चुनिंदा देशों में शुमार हो गया है. इस मिशन से सफल होने के बाद इसरो (ISRO) की अंतरिक्ष बाजार में क्षमता और बढ़ जाएगी. विक्रम-एस को बनाने वाली कंपनी स्काईरूट एयरोस्पेस (Skyroot Aerospace) ने इस रॉकेट को सिर्फ चार साल की मेहनत के बाद तैयार किया है. बता दें कि भारत सैटेलाइट लॉन्च के मार्केट में तेजी से बढ़त बना रहा है. 100 से अधिक सैटेलाइट एक साथ लॉन्च कर भारत पहले ही रिकॉर्ड बना चुका है.
स्पेस मार्केट में भारत की हिस्सेदारी 1 फीसदी
आंकड़ों के मुताबिक करीब 8.22 लाख करोड़ रुपये के स्पेस मार्केट में फिलहाल अमेरिका, यूरोप और रूस का कब्जा है. इस तीनों देशों ने 75 फीसदी सैटेलाइट बाजार पर कब्जा किया है. इसके बाद चीन ने भी करीब 3 फीसदी बाजार पर कब्जा किया है. भारत अभी सिर्फ एक फीसदी के करीब है. इसे तेजी से बढ़ाने के लिए प्राइवेट कंपनियों को भी सैटेलाइट लॉन्च बाजार में एंट्री की इजाजत दे दी गई.
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भारत की क्यों बढ़ रही मांग?
भारत एक के बाद एक कई अंतरिक्ष मिशन को सफलतापूर्वक लॉन्च कर चुका है. 2017 में इसरो ने एकसाथ 104 सैटेलाइट छोड़कर पूरी दुनिया को हैरान कर दिया. मंगलयान लॉन्च के बाद भारत का जलवा पूरी दुनिया को देखने को मिला. पिछले कुछ दशकों में अमेरिका और रूस से मुकाबला करते हुए भारत उस फेहरिस्त में आ खड़ा हुआ है जहां दुनिया के चंद मुल्क ही पहुंचे हैं. यूनियन ऑफ कंसर्न्ड साइंटिस्ट सैटेलाइट डाटाबेस ने एक सूची तैयार की है. इस सूची में दुनिया के उन देशों के नाम दर्ज हैं जिन्होंने अंतरिक्ष में कामयाबी हासिल की है. रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका के स्पेस में अब तक 1308 सैटेलाइट हैं. चीन के 356, रूस के 167, जापान के 78 और भारत के 58 सैटेलाइट स्पेस में हैं. इनमें से 339 सेटेलाइट का प्रयोग मिलिट्री के लिए, 133 का सिविल कार्यों के लिए, 1440 कॉमर्शियल और 318 मिक्स्ड यूज के लिए हैं.
हर साल बढ़ रहा है ISRO का बजट
साल | बजट |
2020-21 | 13,479 करोड़ रुपये |
2019-20 | 10,252 करोड़ रुपये |
2018-19 | 9,918 करोड़ रुपये |
2017-18 | 9,094 करोड़ रुपये |
2016-17 | 8,045 करोड़ रुपये |
विदेश ने भी माना लोहा
इसे इसरो की कामयाबी ही कहेंगे कि सस्ते लॉन्च के मामले में अमेरिका और रूस भी भारत की मदद ले रहे हैं. अमेरिका, ब्रिटेन और कनाडा जैसे देश भी लॉन्चिंग के लिए ISRO से संपर्क करते हैं. अधिकतर विदेशी लॉन्चिंग छोटे और मध्यम आकार के सैटेलाइट्स की होती है. भारत अब तक अमेरिका के 143 सैटेलाइट, कनाडा के 12 सैटेलाइट, ब्रिटेन के 12, जर्मनी के नौ और सिंगापुर के आठ सैटेलाइट अंतरिक्ष में भेज चुका है. इसरो ने अब तक 19 देशों के सैटेलाइट का प्रक्षेपण किया है. इनमें अल्जीरिया, अर्जेंटीना, ऑस्ट्रिया, बेल्जियम, कनाडा, डेनमार्क, फ्रांस, जर्मनी, इंडोनेशिया, इस्राइल, इटली, जापान, कोरिया, लक्जमबर्ग, सिंगापुर, स्विटजरलैंड, नीदरलैंड, तुर्की और ब्रिटेन शामिल हैं.
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15 हजार लोगों को मिलेगा रोजगार
अंतरिक्ष की दुनिया में नंबर बनने की राह पर चल रहा इसरो अब स्पेस स्टेशन बनाने की भी तैयारी कर रहा है. इसरो के वैज्ञानिक इस पर तेजी से काम कर रहे हैं. इसके बनने के बाद अंतरिक्ष में बल्कि पृथ्वी की निगरानी की क्षमता बढ़ेगी. इस स्टेशन पर भारतीय वैज्ञानिक कई तरह के प्रयोग कर पाएंगे. इससे अंतरिक्ष में बार-बार निगरानी उपग्रह भेजने की जरूरत नहीं पड़ेगी. इससे खर्च में भी कमी आएगी. जानकारी के मुताबिक इस स्पेस स्टेशन को बनाने और इसे चलाने के लिए 15 हजार लोगों को रोजगार मिलेगा.
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भारत कैसे बनने जा रहा अंतरिक्ष का 'सुपरबॉस'? ISRO ने प्राइवेट कंपनियों के लिए क्यों खोला स्पेस का रास्ता