डीएनए हिंदी: वाराणसी की कोर्ट के आदेश पर ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) की टीम पहुंच गई है. सोमवार सुबह से ही ASI का सर्वे किया जा रहा है. यह टीम 4 अगस्त को अपनी रिपोर्ट कोर्ट को सौंपेगी. हिंदू पक्ष की याचिका के आधार पर कोर्ट ने आदेश दिया है कि ASI का सर्वे करवाया जाए और दावे की हकीकत खंगाली जाए. ठीक इसी तरह से अयोध्या के राम मंदिर बनाम बाबरी मस्जिद विवाद में भी ASI का सर्वे करवाया गया था. केस के निपटारे में ASI सर्वे की रिपोर्ट को भी आधार माना गया. इसमें वैज्ञानिक तराके से ऐतिहासिक धरोहरों की उम्र, निर्माण पद्धति और निर्माण का समय जानने की कोशिश की जाती है.
ज्ञानवापी मस्जिद के बारे में हिंदू पक्ष का दावा है कि इसे हिंदू मंदिर को तोड़कर बनाया गया. इसके अलावा, वजूखाने में मौजूद एक संरचना को लेकर हिंदू पक्षा का कहना है कि वह शिवलिंग है. हालांकि, मुस्लिम पक्ष का कहना है कि यह एक फव्वारा है. मई 2022 में वीडियोग्राफी के बाद कोर्ट ने वजूखाने को सील करने के आदेश दिए थे. हालांकि, कोर्ट ने यह भी कहा था कि मस्जिद में नमाज की जा सकेगी. अब ASI सर्वे के जरिए इस मस्जिद की हकीकत पता लगाने की कोशिश की जा रही है. आइए समझते हैं कि ASI का सर्वे कैसे होता है और इससे कैसे ऐतिहासिक धरोहरों की सच्चाई पता लगाई जाती है.
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क्या है ASI?
भारत के संस्कृति मंत्रालय के अंतर्गत आने वाली यह संस्था देश में ऐतिहासिक धरोहरों के संरक्षण का काम करती है. इसे अंग्रेजों के शासनकाल के समय साल 1861 से बनाया गया था. मौजूदा समय में देश की सभी ऐतिहासिक धरोहर जैसे कि ताजमहल, लालकिला और कुतुबमीनार इसी के संरक्षण में हैं. इन ऐतिहासिक इमारतों के रखरखाव, मेंटनेंस और अन्य जरूरी काम ASI के जिम्मे ही है. इसके अलावा, देश के किसी हिस्से में पुरातात्विक इमारतें, संरचनाएं या वस्तुएं मिलने पर भी उसकी जांच-पड़ताल ASI ही करता है.
#WATCH | Varanasi, UP: Police team enters Gyanvapi mosque complex, ASI survey begins pic.twitter.com/kAY9CwN0Eq
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) July 24, 2023
ASI सर्वे में क्या होता है?
यह संस्था पुरातात्विक सर्वेक्षण करती है. यानी पुरानी चीजों का गहन अध्ययन किया जाता है. इसके लिए कई वैज्ञानिक तरीकों का इस्तेमाल किया जाता है. इसमें कार्बन डेटिंग, डेंडोक्रोनोलॉजी, एथनोक्रोनोलॉजी, आर्कियोलॉजिकल एक्सकैवेशन, स्ट्रैटीग्राफी, आर्कियोमेट्री और अंडरवाटर आर्कियोलॉजी जैसे तरीके इस्तेमाल में लाए जाते हैं. कार्बन डेटिंग से पत्थरों या अन्य वस्तुओं की उम्र का पता चलता है. इनका मिलान ऐतिहासिक तथ्यों से करके यह सुनिश्चित किया जाता है कि कोई इमारत कब बनी होगी.
इसके अलावा, ग्राउंड पेनेट्रेटिंग राडार का इस्तेमाल करके जमीन के नीचे का सर्वे किया जाता है. ज्ञानवापी में इसी तरीके का इस्तेमाल किया जाएगा. हालांकि, अभी वजूखाने का सर्वे नहीं किया जाना है. पत्थरों के प्रकार, उनकी जुड़ाई के समय और अन्य तथ्यों के अध्ययन के लिए केमिकल स्टडी भी की जाती है.
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ज्ञानवापी विवाद: क्या होता है ASI सर्वे, कैसे पता चलती है सालों पुरानी हकीकत