'Brain Rot' Word Of The Year: इंस्टाग्राम आजकल केवल एक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म नहीं बल्कि जीने के लिए ऑक्सीजन बन गया है. आजकल लोग चलते-फिरते फिर भी रील्स देखते हैं. वहीं, पांच मिनट का सोचकर रील्स देखने बैठते हैं और घंटों निकाल देते हैं. लोगों को पता ही नहीं चलता कि कितना वक्त रील्स देखने में निकाल दिया. घंटों रील्स देखकर समय की बर्बादी करना एक आम समस्या है. सोशल मीडिया से हम किस तरह का कंटेंट ले रहे हैं इसकी चिंता जताता है 'ब्रेन रॉट'.
क्या है 'ब्रेन रॉट'
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस ने साल 2024 के लिए 'ब्रेन रोट' शब्द को 'वर्ड ऑफ द ईयर' घोषित किया है. 'ब्रेन रोट' शब्द सोशल मीडिया पर अत्यधिक मात्रा में मौजूद दोयम दर्जे वाले कंटेट के कारण होने वाले मानसिक दुष्प्रभावों को लेकर चिंता को दर्शाता है. ब्रेन रॉट का शाब्दिक अर्थ देखा जाए तो ब्रेन का अर्थ हुआ दिमाग और रॉट यानी सड़न. तो कहा जा सकता है कि ऐसा कंटेंट जिससे दिमागी सड़न बढ़ रही है. मतलब सोशल मीडिया के जरिए लोगों को घटिया स्तर का कंटेंट मिल रहा है. इस वजह से ब्रेन रॉट हो रहा है. 'ब्रेन रॉट' के अलावा दूसरी एक और समस्या है जो 'ब्रेन रॉट' से जुड़ी है. वह है मोटिवटॉक्सिकेशन यानी प्रेरणामद.
भारत में सबसे अधिक इंस्टाग्राम का इस्तेमाल किया जाता है. वर्ल्ड पॉपुलेशन रिव्यू की रिपोर्ट के मुताबिक, यहां 2024 में 392.5 मिलियन इंस्टाग्राम यूजर्स हैं. यही वजह है कि आज इंस्टाग्राम के जरिए आने वाले प्रेरणामद पर बात करना जरूरी हो गया है. भोपाल में वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉ. सत्यकांत त्रिवेदी कहते हैं कि सोशल मीडिया पर मोटिवेशनल रील्स की बाढ़ आ चुकी है. सुबह उठते ही लोग रील्स देखने लगते हैं और सोने से पहले भी वही करते हैं. खुद को प्रेरित करने के चक्कर में वे अनजाने में 'प्रेरणामद' का शिकार हो जाते हैं.
तो क्या है 'प्रेरणामद'?
डॉ. सत्यकांत त्रिवेदी कहते हैं कि यह शब्द मैंने ने गढ़ा है. यह दो शब्दों 'प्रेरणा' और 'मद' (नशा) से बना है. इसका अर्थ है- मोटिवेशनल रील्स और कंटेंट का ऐसा नशा, जो आपको प्रेरणा का झूठा अहसास देता है, लेकिन असल जिंदगी में कोई बदलाव नहीं लाता. इसी अवधारणा को अंतरराष्ट्रीय संदर्भ में पेश करने के लिए मैंने एक और शब्द गढ़ा – Motivetoxication. यह Motivation + Intoxication का मेल है और इसका मतलब भी वही है-'मोटिवेशन का नशा.'
प्रेरणामद कैसे आपकी जिंदगी को चुपचाप बर्बाद कर रहा है?
क्या आपने कभी महसूस किया है कि आप दिन के 2-3 घंटे सिर्फ रील्स देखने में बर्बाद कर देते हैं? आप सोचते हैं, 'बस 5 मिनट और,' और फिर देखते ही देखते 1-2 घंटे गुजर जाते हैं. इस आदत का असर आपकी कार्य क्षमता, मानसिक शांति और फैसले लेने की क्षमता पर पड़ता है. जो समय आपको काम करने में लगाना चाहिए था, वह सिर्फ रील्स देखने में चला जाता है. आपको लगता है कि आपने बहुत कुछ सीख लिया है, जबकि असल में कुछ भी नहीं बदला.
कैसे पता करें कि आप प्रेरणामद के शिकार हो चुके हैं?
- समय की बर्बादी: आप सोचते हैं कि सिर्फ 5 मिनट देखूंगा, लेकिन 1-2 घंटे कैसे निकल गए, पता ही नहीं चलता.
- काम टालना : हर बार काम करने से पहले 'थोड़ी प्रेरणा' लेने के लिए रील्स देखने लगते हैं.
- फर्जी आत्मसंतोष: आपको लगता है कि आपने कुछ नया सीखा है, लेकिन असल में आपने कुछ नहीं किया.
- तनाव और आत्मसंदेह : बार-बार मोटिवेशन के बावजूद, जब परिणाम नहीं मिलता, तो आप खुद को दोषी मानने लगते हैं.
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कैसे फंस जाते हैं लोग प्रेरणामद के जाल में?
- मुश्किल काम टालना: जैसे पढ़ाई, ऑफिस का काम या कोई बड़ा प्रोजेक्ट.
- प्रेरणा की तलाश: आप सोचते हैं, 'पहले थोड़ा मोटिवेशन ले लेता हूं.'
- रील्स देखना शुरू करते हैं: आपको पहली रील में मजा आता है.
- डोपामाइन रिलीज होता है : रील देखकर मस्तिष्क में 'डोपामाइन' रिलीज होता है, जो आपको ताजगी का अहसास कराता है.
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