साल 2018 में आई फिल्म 'बधाई हो' के बाद देश भर में पति-पत्नी के बीच सेक्स लाइफ को लेकर जमकर चर्चा हुई थी. आज एक बार फिर इस मुद्दे पर जमकर रील्स, पोस्ट्स, मीम्स शेयर किये जा रहे हैं. वजह है रणवीर अल्लाहबादिया. फेमस यूट्यूबर रणवीर इलाहाबादिया ने कॉमेडी शो India's got latent में पेरेंट्स के बीच संभोग को लेकर फूहड़ बातें की हैं. इतना ही नहीं इस शो में भर-भर कर गालियां भी दी जाती हैं. इस नाते इसे 'गालीबाज' शो भी कहा जा सकता है.
कहने की जरूरत नहीं कि कॉमेडी कंटेंट के नाम पर भद्दापन और गंदगी परोसना नए जमाने के इंफ्लुएंसर्स का 'पेशा' हो गया है. इसी 'गालीबाज' शो में एक प्रतिभागी से रणवीर अल्लाहाबादिय ने पूछ कि 'क्या आप अपने पैरैंट्स को रोज संभोग करते देखेंगे या एक बार शामिल होकर इसे हमेशा के लिए रोक देंगे.' इस बयान के बाद सोशल मीडिया से लेकर राजनीतिक महकमों में तक हलचल शुरू हो गई है. FIR से लेकर प्रधानमंत्री द्वारा इलाहाबादिया को दिया गया 'बेस्ट कंटेंट क्रिएटर अवॉर्ड' को भी वापस लेने की मांग उठने लगी है. रणवीर को भारत का सर्वश्रेष्ठ यूट्यूब कंटेट अवार्ड और मोस्ट स्टाइलिश एंटरप्रेन्योर इन्फ्लुएंसर अवार्ड भी मिल चुका है.
इस मुद्दे पर DNA से बातचीत में सेक्स कोच पल्लवी बर्नवाल का कहना है कि सेक्स को एक तरफ हम बहुत ही प्राइवेट टॉपिक मानते हैं और दूसरी तरफ इस पर बिना सोचे-समझे पब्लिक प्लेटफॉर्म पर बोल देते हैं. इस तरह का विरोधाभास नहीं चलेगा. दूसरा, रणवीर के द्वारा दिया गया बयान इतना टेक्निकल है कि सेक्स इतना टेक्निकल एक्ट नहीं होता है. उनके बयान से समझ आता है कि वे सेक्स को डिसरिस्पेक्ट कर रहे हैं.
विवादित कंटेंट का बढ़ रहा चलन
वहीं, वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉ. सत्यकांत त्रिवेदी का कहना है कि आजकल रियलिटी शोज़ और डिजिटल कंटेंट में 'Shock Value' यानी चौंकाने वाले या विवादित कंटेंट का ट्रेंड बढ़ रहा है. लोग ध्यान आकर्षित करने के लिए नैतिकता और संवेदनशीलता की सीमाओं को लांघने लगे हैं. इस तरह के प्रश्न मनोरंजन की बजाय 'social voyeurism' को बढ़ावा देते हैं, जिसमें लोग दूसरों की असहजता को देखना पसंद करते हैं. इस तरह का कंटेंट मानसिक रूप से स्वस्थ बहस की बजाय 'sensationalism' को बढ़ावा देता है. यही वजह है कि इस साल 'ब्रेन रॉट' को 'वर्ड ऑफ द यीअर' कहा गया, जिसका अर्थ है कि लोगों को इस तरह का कंटेंट दिया जा रहा है जिससे दिमागी सड़न पैदा हो रही है.
अच्छे सेक्स लाइफ, खुशहाल परिवार की निशानी
पल्लवी बर्नवाल खुद एक इंफ्लुएंसर हैं और वे आय दिन लोगों को सेक्शुएलिटी पर अवेयर करती रहती हैं. वे कहती हैं कि यहां बात सिर्फ रणवीर के बयान की नहीं बल्कि देशभर में कई लोग ऐसे हैं जो सेक्स को सिर्फ एक काम मानते हैं. उसे एंजॉय नहीं कर पाते. वहीं, जिन परिवारों में पैरेंट्स के बीच सेक्स लाइफ अच्छी होती है, वे परिवार खुशहाल रहते हैं. सेक्स सिर्फ बंद दरवाजों के पीछे किया गया एक्ट नहीं है बल्कि ये एक-दूसरे से जुड़ने की भावना है. सेक्स से खुशी का हार्मोन डोपामीन जनरेट होता है. पति-पत्नी के बीच रिश्ता मजबूत होता है. वहीं, मर्दों में दिल की बीमारियां दूर रहती हैं और महिलाओं में पोस्ट ऑर्गेज्म ग्लो आता है.
सेक्शुअल, जेंडर और डोमेस्टिक वायलेंस
उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में समाजशास्त्र के प्रोफेसर डॉ. विशंभर नाथ प्रजापति का कहना है कि अगर पेरेंट्स की सेक्स लाइफ अच्छी नहीं है तो पेरेंट्स के बीच होने वाले सेक्शुअल, जेंडर और डोमेस्टिक वायलेंस बढ़ती है. बच्चे भी इस हिंसा को देखते हैं और उनके जीवन में इन सब चीजों का नॉर्मलाइजेशन हो जाता है. यही बच्चे जब माता-पिता बनते हैं तो उनके द्वारा सीखी गई चीजों का उपयोग स्वाभाविक रूप से करने लगते हैं क्योंकि उस तरह का व्यवहार उन्हें गलत नहीं लगता.
निजता का हनन
दूसरी तरफ रणवीर इलाहाबादिया का बयान कि वह अपने माता-पिता को सेक्स करते देखे या फिर उनको ज्वॉइन करे उसको रोकने के लिए. इस तरह की चीज मानसिक रूप से बच्चों पर बुरा प्रभाव डालती है, क्योंकि माता-पिता बच्चों के लिए एक संदर्भ समूह और रोल मॉडल की तरह काम करते हैं तो माता-पिता का प्रेम उनके लिए आदर्श स्थिति है, लेकिन उनके सेक्सुअल इंटरकोर्स को देखना न केवल प्राइवेसी का हनन है बल्कि बच्चों के मनः स्थिति पर नकारात्मक प्रभाव डालेगा. समाज में इसकी वजह से साइबर क्राइम , बुलिंग, डिजिटल अरेस्ट, ब्लैकमेलिंग नॉर्मलाइज हो जायेगा. किसी के प्राइवेसी को रिकॉर्ड करके सबके सामने उजागर करने का ट्रेनिंग जैसे कार्यक्रम शुरू हो जाएंगे.
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सेक्स: प्रेम, देखभाल और सम्मान का प्रतीक
वहीं, पल्लवी बर्नवाल का मानना है कि पैरेंट्स और बच्चों का संबंध प्रेम, देखभाल और सम्मान से जुड़ा है. मनोरंजन और हास्य के नाम पर शो होस्ट, कंटेंट क्रिएटर्स और इन्फ्लुएंसर्स को यह समझना चाहिए कि उनके शब्दों का प्रभाव लाखों लोगों पर पड़ता है. दूसरा, सेक्स को इस तरह प्रजेंट करना सिर्फ भद्दापन दिखाता है. सेक्स के प्रति हीन और अपमानजक भावना को दिखाता है, जबकि सेक्स एक रिश्ता है, मजबूती है और सम्मान है. जिन पैरेंट्स के बीच ये रिश्ता मजबूत होता है उनके परिवार भी खुशहाल रहते हैं.
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