वो जब बोलते हैं तो उनके भाषण में संवेदनशीलता झलकती है. वो ऐसा विषय उठाते हैं जो आमलोगों से जुड़ा होता है. वो बेबाक हैं और जब बात अपनी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल की हो या माइग्रेंट लेबर की या फिर आशा वर्कर सभी की आवाज बनते हैं और उनके मुद्दे उठाते हैं. बिहार उनके रग रग में है लेकिन बिना नाम लिए वो भाजपा और उनके नेताओं पर बड़ा तंज करते हैं. वो बड़ी बेबाकी से एक्सेप्ट करते हैं कि चुनाव लड़ने से वो 'सहम' जाते हैं. तेजस्वी यादव के बड़े प्रशंसक हैं और कहते हैं कि बिहार में तेजस्वी ने बड़ी लकीर खींच दी है और बिहार का चुनाव इस बार अलग होगा. हम आज मिलने पहुंचे बिहार से आरजेडी के सांसद मनोज कुमार झा से.
सांसद मनोज कुमार झा का इंटरव्यू
कोविड के समय उनका एक मार्मिक भाषण खूब वायरल हुआ और उसके बाद जब भी वो सदन में कुछ भी बोलते हैं तो उन्हें पक्ष और विपक्ष दोनों ही सुनते हैं, रील बनती है और खूब वायरल होती है. डीएनए हिंदी को दिए एक विशेष इंटरव्यू में उन्होंने बेबाकी से महिला रिजर्वेशन बिल, औरंगजेब, बाबर, राणा सांगा पर बात की. लेकिन उन्होंने इस बातचीत में यह भी कहा कि इतिहास के बासी पन्नों से हम आज की बेरोजगारी की समस्या को खत्म नहीं कर सकते हैं.
हड़बड़ाहट में तेजस्वी
वो आरजेडी द्वारा बिहार में चुनाव से कई महीनों पहले 'माई बहन मान योजना' की घोषणा की है. जिसमें 2500 रुपये आर्थिक रूप से कमजोर महिलाओं को दिया जाएगा. क्या तेजस्वी हड़बड़ाहट में हैं, क्योंकि उन्होंने बिहार में 200 यूनिट बिजली भी फ्री किए जाने की घोषणा कर दी है. बिहार में विधानसभा चुनाव इसी वर्ष के अंत में अक्टूबर या नवंबर में होने हैं.लेकिन चुनाव से पांच-सात महीने इस तरह की चुनावी घोषणाओं को दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और आप नेता की तरह हड़बड़ाहट कहे जाने को सिरे से खारिज करते हैं. वो कहते हैं, 'तेजस्वी ने लंबी लकीर खींच दी है और उनकी विपक्षी पार्टियों को इसका काट मिल नहीं रहा है.'
सिंगल लार्जेस्ट पार्टी से अब तक का सफर
वहीं, पिछले चुनाव में सिंगल लार्जेस्ट पार्टी आरजेडी अपनी साख नहीं बचा पाई इसका क्या कारण है तो वो बहुत बेबाकी से इसे अपनी कमजोरी न मानते हुए व्यवस्था पर ही सवाल उठा दिया और एंटी डिफेक्शन लॉ लागू करने और कम से कम पार्टी बदलने वाले नेता को छह साल तक किसी भी चुनाव में प्रतिबंधित किए जाने की मांग की है. मनोज बेबाकी से कहते हैं कि ऐसे नेताओं को छह सालों के लिए पार्टी से निष्कासित कर देना चाहिए. क्यों पहले नेताओं के पार्टी बदलने को हॉर्स ट्रेडिंग कहा जाता था अब कुछ पार्टी नेता नहीं पूरा अस्तबल ही ट्रांसपर कर लेती हैं. इसके साथ ही राज्य सभा सांसद मनोज ने अपने चुनाव न लड़ने के डर के बारे में भी बताया. उन्होंने कहा कि "वैसे तो मैं तैयार हूं, अगर पार्टी कहेगी कि चुनाव लड़ना है तो लड़ेंगे". लेकिन वो चुनाव में होने वाले खर्च और चुनावी दिक्कतें देख वो सहम जाते हैं. वो कहते हैं कि चुनाव लड़ना बहुत महंगा हो गया है और बीजेपी ने इसे और महंगा बना दिया है.
आरजेडी पिछड़ी लेकिन नीतीश कैसे सोते हैं
वहीं इस बातचीत में अपने चिरपरिचित अंदाज में उन्होंने आरजेडी सांसद मनोज झा ने आरजेडी के सेकेंड लार्जेस्ट पार्टी बनने पर नीतीश कुमार और व्यवस्था को इसका कुसुरवार बताया. उन्होंने कहा कि किस तरह से दलबदलू कानून को सख्ती से लागू किए जाने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि अगर कोई नेता पार्टी बदलता है तो उसे छह साल के लिए प्रतिबंधित कर देना चाहिए. कि वह किसी भी पार्टी से चुनाव न लड़ सके. उन्होंने कहा कि 2015 में किस तरह से नीतीश कुमार और आरजेडी मिलकर चुनाव लड़ी. फिर रोजगार पर बात हुई. तेजस्वी ने 5लाख रोजगार क्रिएट किए जाने की बात की और बात बनी. लेकिन उन्होंने नीतीश कुमार पर ताना कस्ते हुए कहा, "नीतीश जी की आत्मा कई बार जाग जाती है फिर सो जाती है. नीतीश जी बिना लोरी सुने ही सो जाने वाले नेता हैं."
मनोज झा ने कहा, 'हॉर्स ट्रेडिंग का नाम तो सभी ने सुना है कि किस तरह से पॉलिटिक्स में हॉर्स ट्रेडिंग की जाती है लेकिन अब समय बदल रह है, पूरा का पूरा अस्तबल ही ले लिया जाता है.' लेकिन बिहार में ईद से पहले मुस्लमानों को अपने खेमें में लाने की कवायद के बीच जिस तरह से सभी राजनीतिक पार्टियां इफ्तार पार्टियां दे रही थीं इसपर झा ने कहा कि इफ्तार को सियासत से दूर रखने की जरूरत है. उन्होंने कहा, "लालू जी और बिहार का कल्चर रहा है छठ, होली और इफ्तार का. हम चुनाव जीतें या हारें. चुनाव उस साल हो या न हो इफ्तार चलता रहता है."
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