डीएनए हिंदी: ड्रग्स तस्करी (Drug Smuggling) एक बड़ी समस्या है. भारत तीन तरफ से समुद्र से घिरा है. ऐसे में ड्रग्स की तस्करी के लिए समुद्री रास्ते का इस्तेमाल सबसे ज़्यादा होता है. बीते कुछ महीनों में देश के बंदरगाहों पर भारी मात्रा में ड्रग्स पकड़ी गई है. ड्रग्स के खिलाफ इंडियन नेवी, नारकोटिक्स ब्यूरो (Narcotics Control Bureau), डीआरआई, इंडियन कोस्ट गार्ड, पुलिस और तमाम अन्य एजेसिंया मिलकर काम करती हैं. इसके बावजूद बड़ी मात्रा में नशे की खेप देश के अलग-अलग हिस्सों में पहुंचती रहती है. पिछले कुछ महीनों में हजारों करोड़ के ड्रग्स सिर्फ़ बंदरगाहों पर ही पकड़े जा चुके हैं. ज्यादातर मामलों में ये ड्रग्स मुंबई और गुजरात के बंदरगाहों पर पकड़े गए हैं.
हाल ही में नेवी और एनसीबी ने केरल में एक ईरानी जहाज से 200 किलो से ज्यादा हेरोइन बरामद की, जिसकी कीमत लगभग 1,200 करोड़ रुपये है. इंडियन कोस्ट गार्ड और एटीएस गुजरात ने शनिवार को 350 करोड़ रुपये की हेराइन जब्त की है. इससे पहले, बीते कुछ महीनों में भी गुजरात के मुंद्रा पोर्ट समेत कई बंदरगाहों से हजारों करोड़ रुपये की ड्रग्स बरामद की गई हैं. आइए विस्तार से समझते हैं कि समुद्री रास्ते से ही क्यों आता है ड्रग्स?
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भारत में कहां से आता है ड्रग्स?
भारत में आने वाले ज़्यादातर ड्रग्स को स्रोत अफगानिस्तान होता है. हालांकि, कई बार यह पाकिस्तान, नेपाल और अन्य देशों के रास्ते होकर भी भारत पहुंचता है. अफगानिस्तान में तालिबानी शासन आने के बाद से ड्रग्स की तस्करी में तेजी से इजाफा हुआ है. अफगानिस्तान की आय का मुख्य ज़रिया ही अफीम की खेती और तमाम तरह के ड्रग्स हैं. भारत के अलावा, दुनिया के कई दूसरे देशों में भी 80 से 85 प्रतिशत ड्रग्स की सप्लाई अफगानिस्तान से ही होती है.
Co-ordinated action @ sea b/w #NCB & @indiannavy
— NCB INDIA (@narcoticsbureau) October 7, 2022
👉200kg Afghan Heroin worth Rs 1200 Cr seized
👉Origin of the drug: Pakistan
👉Iranian dhow seized
👉6 Iranian crew members apprehended in Cochin#MissionDrugFreeIndia @PMOIndia @HMOIndia @BhallaAjay26 @PIBHomeAffairs pic.twitter.com/xKFvgawc4M
तालिबान लंबे समय से ड्रग्स से मिलने वाले पैसों से ही फल-फूल रहा है. ड्रग्स के पैसों से हथियारों की खरीद-फरोख्त बहुत पुराना कारोबार बन चुका है. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी ड्रग्स और हथियारों की तस्करी ने दुनियाभर की इंटेलिजेंस और पुलिस एजेंसियों की नाक में दम कर रखा है. नारकोटिक्स के साथ-साथ नेवी और आर्मी के लिए भी ये तस्कर समय-समय पर चुनौती पेश करते रहते हैं. भारत के पंजाब, राजस्थान और कश्मीर में सीमा के आसपास के इलाकों में ड्रोन से ड्रग्स पहुंचाने के मामले भी तेजी से बढ़े हैं.
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किन रास्तों और रूट का होता है इस्तेमाल?
ड्रग्स की तस्करी के लिए सबसे सुरक्षित रास्ता समुद्र का माना जाता है. अक्सर देखा जाता है कि फर्नीचर, इलेक्ट्रॉनिक सामान, बड़े पार्सल और कई अन्य चीजों में ड्रग्स छिपाया जाता है. अफगानिस्तान से आने वाले ड्रग्स को भारत पहुंचाने के लिए ईरान के बंदरगाहों की मदद ली जाती है. दरअसल, एयरपोर्ट और रेलवे स्टेशनों पर जैसी सुरक्षा होती है वैसी बंदरगाहों पर रख पाना मुश्किल होता है. इसके बावजूद, कस्टम अधिकारी और इंटेलिजेंस की टीमें ज्यादातर मामलों में ड्रग्स की बड़ी खेपों को पकड़ने में कामयाब होती हैं.
समुद्री रास्ते से ड्रग्स भेजने का एक बड़ा कारण यह भी है कि इसमें एक बार में बड़ी खेप पहुंचाई जा सकती है. कार्गो शिप से आने वाले कंटेनरों में अलग-अलग तरीकों से ड्रग्स छिपाई जाती है. देश में आने वाली अफीम का 70 प्रतिशत हिस्सा कंटेनरों के ज़रिए ही आता है. अगर अधिकारियों से चूक हो जाए तो एक बार में कई कुंतल ड्रग्स देश की नशों में उतार दी जाती है. धीरे-धीरे ई-कॉमर्स वेबसाइटों और कूरियर सेवाओं के ज़रिए भी ड्रग्स की तस्करी शुरू हो गई है. इसके अलावा, डार्कनेट की मदद से भी ड्रग्स का कारोबार तेजी से हो रहा है.
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तेजी से बढ़ रहा है नशे का कारोबार
पिछले साल अप्रैल 2021 से अभी तक 4,000 किलो से ज्यादा ड्रग्स देश के अलग-अलग बंदरगाहों और एयरपोर्ट पर पकड़ा गया है. इसकी कीमत लगभग 30 हजार करोड़ रुपये आंकी जाती है. 2017 में जब्त की गई हेरोइन की मात्रा 2,146 किलो थी जबकि साल 2021 में 7,282 किलो हेरोइन जब्त की गई. 2017 में 2,551 किलो अफीम जब्त की गई जो 2021 में बढ़कर 4,386 किलो हो गई. गांजे की मात्रा में भी इसी तरह इजाफा हुआ और 2017 में जो मात्रा 3,52,539 किलो थी वही 2021 में बढ़कर 6.75,631 किलो हो गई.
जगह | समय | मात्रा | ड्रग्स |
---|---|---|---|
केरल | 7 अक्टूबर 2022 | 210 किलो | हेरोइन |
मुंबई, गुजरात | 7 अक्टूबर 2022 | 60 किलो | मेफेड्रोन |
दिल्ली | 10 मई 2022 | 62 किलो | हेरोइन |
कांडला पोर्ट गुजरात | 20 अप्रैल 2022 | 20.6 किलो | जिप्सम पाउडर |
पीपाव पोर्ट गुजरात | 29 अप्रैल 2022 | 396 किलो | हेरोइन |
मुंद्रा पोर्ट गुजरात | सितंबर 2021 | 3,000 किलो | हेरोइन |
न्हावा शेवा पोर्ट, मुंबई | जुलाई 2021 | 293 किलो | हेरोइन |
तूतीकोरिन पोर्ट, तमिलनाडु | अप्रैल 2021 | 303 किलो | कोकीन |
तुगलकाबाद, दिल्ली | फरवरी 2021 | 34 किलो | हेरोइन |
भारत के लिए खतरा क्यों है ड्रग्स का कारोबार?
भारत ड्रग्स के कारोबार में सप्लाई, डिमांड और ट्रांजिट तीनों का केंद्र है. यानी यहां से सप्लाई भी होती है, यहां मांग भी है और ड्रग्स की सप्लाई का रास्ता भी भारत से होकर जाता है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, देश में लगभग 10 करोड़ लोग ड्रग्स के आदी हैं. दवाओं के लिए अफीम की खेती का लाइसेंस दिया जाता है लेकिन अफीम की अवैध खेती भी बड़ी समस्या है.
इन्हें रोकने के लिए सीमा के आसपास बीएसएफ और आर्मी के साथ नार्कोटिक्स की टीमें भी काम करती हैं. अफीम की अवैध खेती को रोकने के लिए भी नार्कोटिक्स की टीमें छापेमारी करती हैं. कई बार घने खेतों और जंगलों के बीच में अफीम की खेती की जाती है. इसे पकड़ने के लिए अब पुलिस और नार्कोटिक्स की टीम ड्रोन और हाई रेजॉलूशन कैमरों का इस्तेमाल करती हैं.
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