पाकिस्तान में बलोच लिबरेशन आर्मी ने जाफर एक्सप्रेस ट्रेन को हाईजैक कर लिया है. बलोच लिबरेशन आर्मी (BLA) का दावा है कि उनके पास 200 से ज्यादा पाकिस्तानी नागरिकों को मार गिराया है. पाकिस्तान रेलवे ने भी 200 से ज्यादा ताबूत क्वेटा मुख्यालय भेजे हैं. पाकिस्तान के अंदर बलूचिस्तान एक अशांत प्रदेश है. आए दिन यहां पाकिस्तान सरकार और सेना से बगावत करने वाले गुट सक्रिय रहते हैं और हिंसक वारदातों को अंजाम देते हैं. बीएलए ने ट्रेन हाईजैक करने के पीछे अपने उद्देश्य को लेकर एक वीडियो जारी किया है. वीडियो में पाकिस्तान सेना और सरकार पर संसाधनों के भेदभाव से लेकर दमन तक के आरोप लगाए गए हैं. जानें इस बवाल के पीछे की इनसाइड स्टोरी.
बलूचिस्तान के लोग लगाते हैं भेदभाव का आरोप
बलूचिस्तान के लोगों में अलगाव और पाकिस्तान की सरकार के लिए गुस्से की शुरुआत पाकिस्तान के जन्म से ही जुड़ी है. बलूचों का मानना है कि मोहम्मग अली जिन्ना ने इस प्रदेश के लोगों के साथ न्याय नहीं किया और अन्याय का यह सिलसिला दशकों से चलता आ रहा है. पाकिस्तान के कुल भूभाग का 43 फीसदी हिस्सा अकेले बलूचिस्तान में आता है और यह देश का सबसे बड़ा सूबा है. पाकिस्तान का यह हिस्सा भौगोलिक और प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर है. इसके बावजूद इस सूबे में गरीबी और बेरोजगारी जैसी समस्याएं अहम हैं. यहां के लोगों का मानना है कि जिन्ना ने बलूच लोगों को विशेष सुविधाएं और सूबे की तरक्की का जो वादा किया था, वह पूरा नहीं हुआ. बलूचिस्तान के प्राकृतिक संसाधनों का फायदा पंजाब को मिल रहा है. इसके अलावा बलूच लोगों का यह भी कहना है कि वह अपनी संस्कृति और भाषा बचाने के लिए संघर्ष करते हैं. पाकिस्तान की हुकूमत ने जबरन उन पर उर्दू थोपी है.
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कब हुई हिंसक हमलों की शुरुआत
बलूच विद्रोहियों ने 1948 में ही हथियार उठा लिए और पाकिस्तान सरकार का विरोध करते हुए आजादी की मांग करने लगे थे. 1958-59, 1962-63 और 1973-77 के दौर में भी इस सूबे में कई हिंसक घटनाएं हुई थीं. 2003 से बलूच लिबरेशन आर्मी एक्टिव है और पिछले एक दशक में इनकी ताकत काफी बढ़ी है. बीएलए बलूचिस्तान की आजादी की मांग पर डटा है और इसलिए इनके निशाने पर खास तौर पर सेना के जवान और सरकारी अधिकारी रहते हैं. पाकिस्तान ने ग्वादर बंदरगाह चीन को सौंप दिया है और इसने बीएलए के गुस्से में आग में घी डालने का काम किया है.
कहां से होती ही BLA की फंडिंग
बीएलए की फंडिंग की बात करें, तो इसे लेकर कई तरह के दावे किए जाते हैं. बलूचिस्तान की आजादी के लिए बहुत से बलोच मानवाधिकारी और चर्चित हस्तियां विदेशों में रह रही हैं. माना जाता है कि विदेशों से बीएलए को बड़ी फंडिंग मिलती है. हालांकि, बीएलए का अपना दावा रहा है कि उन्हें पाकिस्तान के स्थानीय लोगों से भी मदद मिलती रही है.
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बलूचिस्तान में बवाल
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