डीएनए हिंदी: बीते छह महीनों से लीबिया में फंसे 17 भारतीयों को त्रिपोली की जेल से रिहा कराकर भारत लाया जा रहा है. रविवार की देर शाम सभी लड़के दिल्ली एयरपोर्ट पहुंचेंगे. भारतीयों की सुरक्षित वतन वापसी के काम में जुटे राज्यसभा सांसद विक्रमजीत सिंह साहनी ने बताया कि ये लड़के ट्रैवल एजेंटों की जाल में फंस गए थे और अवैध तरीक़े से इटली जा रहे थे. इनकी वतन वापसी के लिए भारत सरकार के विदेश मंत्रालय ने बड़े पैमाने पर मिशन चलाया था जो आखिरकार कामयाब हुआ है. ज्यादातर युवा पंजाब और हरियाणा के हैं और काम की तलाश में एजेंट्स के चंगुल में फंस गए थे. बताया जा रहा है कि 17 लड़कों के समूह में से एक ने भारत सरकार से किसी तरह संपर्क किया और उनकी वापसी का रास्ता बन सका.
माफिया के चक्कर में पहुंच गए थे जेल
jराज्यसभा सांसद विक्रमजीत सिंह साहनी ने बताया कि 'इटली पहुंचने से पहले ही लड़के लीबिया में माफ़िया के पास फंस गए थे. उन सभी को माफिया ने एक बिल्डिंग में रखा था जिसके दौरान 17 लोगों के समूह में से एक ने विदेश मंत्रालय से संपर्क किया. साहनी कहते हैं कि हमारे लिए सबसे बड़ी चिंता थी कि अपने सभी बच्चों को सुरक्षित माफिया के चंगुल से निकाल सकें. स्थानीय पुलिस और ट्यूनिशिया दूतावास की मदद से इन सभी को माफिया से आजाद कराया गया और पहले त्रिपोली जेल में रखा गया था.
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ट्यूनिशिया दूतावास ने की सुरक्षित रिहाई में मदद
विदेश मंत्रालय ने इसके बाद मिशन स्तर पर काम शुरू किया और फिर हमें पता चला कि एजेंट्स की धोखेबाजी का शिकार ये लड़के हुए हैं. करीब 3 महीने पहले हमसे इनमें से एक ने संपर्क किया था. विदेश मंत्रालय ने ट्यूनीशिया दूतावास से संपर्क किया और फिर सबके पासपोर्ट सही तरीके से बनाए गए और औपचारिकताएं पूरी की जा सकीं. 30 जुलाई को इन लड़कों को त्रिपोली जेल से रिहाकर प्रवासी लोगों के लिए बनाए एक बंदरगाह में शिफ्ट किया गया था. जिसके बाद आज इनकी वापसी हो रही है. बता दें कि राज्यसभा सांसद ने 17 युवाओं की भारत वापसी का पूरा खर्च वहन किया है और इन्हें सांसद ऑफिस की ओर से स्किल ट्रेनिंग भी दी जाएगी ताकि भविष्य में अपने लिए रोजगार ढूंढ़ सकें. सांसद के दफ्तर से सभी लड़कों के परिवार के सदस्य लगातार संपर्क में हैं.
लीबिया में दी गई भयानक यातना
बंधक बनाए रखने के दौरान इन 17 लड़कों को छोटे से कमरे में रखा गया था और खाने-पीने की जरूरी सुविधाएं भी नहीं दी गई थीं. इतना ही नहीं इनके साथ शारीरिक शोषण भी किया गया. दयनीय माहौल में इन्हें बंधक बनाकर रखा गया था जहां पीने और नहाने के लिए साफ पानी का इंतजाम नहीं था. यहां तक कि रोजमर्रा के दैनिक कामों के लिए भी कोई सुविधा नहीं थी. लीबिया युद्धग्रस्त इलाका है और इस देश में ड्रग्स, मानव तस्करी से लेकर अवैध हथियारों की स्मगलिंग जैसे अपराध अंजाम दिए जाते हैं.
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विदेश जाने से पहले एजेंट्स के बारे में लें पूरी जानकारी
विदेश में नौकरी और रोजगार के अवसर का झांसा देकर पहले भी कई बार भारतीयों के इराक और दूसरे देशों में फंसने की खबर आती रही है. विदेश मंत्रालय और देश के दूसरे सरकारी महकमों की ओर से बार-बार इस वजह से सकारात्मकता मुहिम और औपचारिक सूचना जारी की जाती है. दूसरे देश में नौकरी के लिए किसी एजेंट से संपर्क में आने पर पहले उसके बारे में पूरी जानकारी लेनी चाहिए. एजेंट के दफ्तर और दूसरे दस्तावेजों की जांच-परख करनी चाहिए. विदेश जाने से पहले स्थानीय जिला कार्यालय में रिकॉर्ड के लिए जानकारी देनी चाहिए और जिस देश में जा रहे हों वहां के दूतावास का नंबर, फैक्स वगैरह की पूरी डिटेल अपने पास रखनी चाहिए. अपना पासपोर्ट और दूसरे दस्तावेज अपने पास ही रखना चाहिए. हालांकि इसके बाद भी विदेश में नौकरी के नाम पर ठगी का कारोबार अब तक रोका नहीं जा सक है.
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लीबिया में फंसे 17 भारतीयों की वापसी, जानें इस मुश्किल ऑपरेशन की पूरी डेटलाइन