पंजाब सुर्ख़ियों में है. वजह बना है वो हमला, जो राज्य के पूर्व डिप्टी सीएम सुखबीर सिंह बादल पर हुआ है. जिस समय घटना हुई, गोल्डन टेंपल में धार्मिक सजा काट रहे बादल एंट्री गेट पर पहरेदारी कर कर रहे थे. हमले के बाद परिसर में अफरा तफरी मच गई. वहीं कुछ लोगों ने सूझ बूझ का परिचय दिया और हमलावर को दबोचकर उससे पिस्तौल छीन ली और उसे पुलिस के हवाले कर दिया. हमलावर के विषय में जो प्रारंभिक जानकारी आई उसके अनुसार उसका नाम नारायण सिंह चौरा बताया गया. 

बाद में नारायण के विषय में जो सूचनाएं मिलीं, वो न केवल चौंकाने वाली थीं. बल्कि उनसे ये भी पता चला कि भारत की शांति को प्रभावित करने के उद्देश्य से हर रोज नए हथकंडे अपनाने वाला खालिस्तान, ऐसा बहुत कुछ कर रहा है जो न केवल पंजाब।  बल्कि भारत को गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है.  

बता दें कि नारायण सिंह दल खासला से जुड़ा हुआ है और अनलॉफुल एक्टिविटी (प्रिवेंशन) एक्ट यानी UAPA में वांटेड रह चुका है. चूंकि पंजाब में बादल पर ये हमला कोई मामूली बात नहीं है. मामले के तहत शिरोमणि अकाली दल ने न्यायिक जांच की मांग की है.

अकाली दल ने कहा कि हमला करने वाला नारायण सिंह चौरा डेरा बाबा नानक में चौरा बाजार कमेटी के अध्यक्ष नरेंद्र सिंह का भाई है, जोकि कांग्रेस सांसद सुखजिंदर सिंह रंधावा के करीबी हैं.

चौरा किस हद तक खतरनाक है? इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि न केवल वो प्रतिबंधित संगठन बब्बर खालसा इंटरनेशनल (BKI) से जुड़ा हुआ है. बल्कि वो 1984 में पाकिस्तान चला गया था और खालिस्तानी आतंकवाद के शुरुआती चरण में पंजाब में हथियारों और विस्फोटकों की बड़ी तस्करी में मदद कर रहा था.

बताया जा रहा है कि चौरा ने पाकिस्तान में रहते हुए ही 'गुरिल्ला युद्ध' और 'देशद्रोह' पर एक किताब भी लिखी थी. वो बुड़ैल जेलब्रेक मामले में भी आरोपी था. इतना ही नहीं वो पंजाब की जेल में सजा भी काट चुका है. 

नारायण सिंह 28 फरवरी, 2013 में तरनतारन से गिरफ्तार किया गया था. तमाम मामलों में नामजद नारायण पर ये आरोप है कि उसने 8 मई, 2010 में अमृतसर के सिविल लाइंस पुलिस थाने में विस्फोट किया था.  बताते चलें कि  UAPA में वांटेड नारायण को 2018 में जमानत पर रिहा कर दिया गया था.  

नारायण को एक मंझा हुआ आतंकी माना जाता है. कहा ये भी जाता है कि उसके पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या के आरोपी जगतार सिंह हवारा, परमजीत सिंह भिओरा से भी बेहद करीबी संबंध हैं.

खालिस्तान लिबरेशन फोर्स और अकाल फेडरेशन से जुड़े नारायण सिंह चौरा के विषय में कहा ये भी जा रहा है कि उसके द्वारा बादल पर हमले का उद्देश्य पब्लिसिटी पाना नहीं, बल्कि वो रणनीति है जिसका सूत्रधार खालिस्तान समर्थक अन्य आतंकी हैं.  

चूंकि बादल पर हमले का ये हमला हाई प्रोफाइल है. साथ ही इसका खालिस्तानी कनेक्शन भी है तो जैसे जैसे इस संबंध में जांच आगे बढ़ रही हैं एक के बाद एक नए खुलासे ही रहे हैं. ऐसे ही एक खुलासे में ये पता चला है कि चौरा ने खालिस्तान को पाक दामन दिखाने के उद्देश्य से  'कॉन्सिपिरेसी अगेन्स्ट खालिस्तान' नाम की एक किताब भी लिखी है.

चौरा ने ये हमला किसके इशारे पर किया? इसका असल उद्देश्य क्या था? सवाल तमाम हैं जिनके जवाब वक़्त की गर्त में छुपे हैं लेकिन जिस तरह ये हमला हुआ है उससे इतना तो साफ़ है कि खालिस्तानी आतंकवादी बेखौफ हैं.  ऐसे में अब वो वक़्त आ गया है जब सरकार को इनके खिलाफ सख्त से सख्त एक्शन लेना चाहिए.

हम फिर इस बात को दोहराना चाहेंगे कि हालिया दिनों में जिस तरह खालिस्तान सक्रिय हुआ है. हालात चिंताजनक हैं. चूंकि अभी इसने फन उठाना शुरू ही किया है इसलिए देर होने से पहले ही सरकार को इसे कुचल ही देना चाहिए.

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Who is Narain Singh Chaura attacking punjab ex deputy CM has reignited the debate on Khalistani terrorism
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कौन है नारायण सिंह चौरा? जिसने खालिस्तानी आतंकवाद को लेकर फिर तेज की बहस...   
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बादल पर हमले से एक बार फिर खालिस्तानी आतंकवाद को लेकर बहस तेज हो गई है
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कौन है नारायण सिंह चौरा? जिसने खालिस्तानी आतंकवाद को लेकर फिर तेज की बहस...   

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