डीएनए हिंदी : वर्ल्ड इकोनॉमिक फ़ोरम (WEF) में भारत ने वादा किया है कि अगले पच्चीस सालों में देश ग्रीन ग्रोथ हासिल कर लेगा. ग्रीन ग्रोथ (Green Growth) - यह शब्द कई लोगों के लिए पहली बार सामने आया होगा. क्या है इस शब्द का अर्थ और ग्रीन ग्रोथ से प्रधानमंत्री का क्या तात्पर्य था, पूरी बातें इस डीएनए एक्सप्लेनर में दर्ज हैं.
ग्रीन ग्रोथ का वास्तविक अर्थ क्या है?
ग्रीन ग्रोथ का सीधा-सीधा अर्थ उस तरह के आर्थिक उन्नति और विकास से है जिसमें प्राकृतिक स्रोत बने रहते हैं. साथ ही साथ वे संसाधन और सुविधा उपलब्ध करवाते रहते हैं जिस पर हमारी बेहतरी आधारित है. इसे हक़ीक़त में बदलने के लिए आवश्यक है कि सही इन्वेस्टमेंट और इनोवेशन के मेल से नये आर्थिक मौक़ों की ज़रूरत होती है. यहाँ यह ध्यान देना ज़रूरी है कि ग्रीन ग्रोथ और सस्टेनेबल ग्रोथ(sustainable growth) में फ़र्क़ है.
क्या फ़ायदे हैं ग्रीन ग्रोथ के ?
ग्रीन ग्रोथ (Green Growth) को पर्यावरण और आर्थिक विकास दोनों की ख़ातिर एक व्यावहारिक और अधिक फ़्लेक्सिबल तरीक़ा माना जाता है. इसमें उन नुक़सानों का भी हिसाब रखा जाता है जो अर्थव्यवस्था को पर्यावरण का ख़याल रखते हुए उठाने पड़ सकते हैं. ग्रीन ग्रोथ स्ट्रेटजी में यह ख़याल रखा जाता है कि प्राकृतिक स्रोतों (natural resources) का बिना दोहन किए हुए उनसे अधिकतम और अधिक समय तक लाभ उठाया जा सके. ग्रीन ग्रोथ वातावरण और पानी की स्वच्छता के साथ-साथ जैव-विभिन्नता (बायोडाइवर्सिटी ) का भी पूरा ख़याल रखता है. यह उन वैकल्पिक संसाधनों की खोज भी करता है जिसका इस्तेमाल प्राकृतिक स्रोतों की जगह हो सकता है. इससे प्राकृतिक संसाधनों की अक्षयता बनी रहती है.
इससे ना केवल जीवन के नये रास्ते खुलते हैं, बल्कि उत्पादन में वृद्धि भी सम्भव है. आज के बदलते परिदृश्य में ग्रीन ग्रोथ को नये बाज़ार की मांग भी मानी जा रही है. कई निवेशक इस ओर क़दम बढ़ाते दिख रहे हैं, हालांकि एक तथ्यपरक बात यह निकल कर सामने आई है कि हर देश के लिए ग्रीन ग्रोथ (Green Growth) का मेन मॉडल अलग-अलग होगा. यह मॉडल कैसा होगा वह उस देश के भौगोलिक सामाजिक संरचना पर बेहद निर्भर होगा.
क्या है भारत की वर्तमान रैंकिंग ग्रीन ग्रोथ (Green Growth) के मसले में
ग्रीन ग्रोथ पर काम करने वाली संस्था OECD के मुताबिक़ भारत की GDP ग्रीन ग्रोथ के हिसाब से बेहतरीन प्रदर्शन करने वाले देशों की तुलना में 82% कम है. 1990 से 2014 के बीच भारत में टोटल बिल्ट अप एरिया और शहरी ग्रीन स्पेस में 96% की बढ़त दर्ज की गयी है. साथ ही साथ OEDC यह भी बताती है कि 2017 में भारत की लगभग सौ प्रतिशत जनता WHO द्वारा तय किये गए मानक से ऊपर वाले प्रदूषण को झेल चुकी है.
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