लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election) का बिगुल बजने के साथ ही राजनीतिक पार्टियों की जोड़ तोड़ और तेज हो गई है. हालांकि इस बार भी सात चरणों (19 अप्रैल से एक जून तक) में वोट डाले जाएंगे. 

जैसे हर एक वोट जरूरी होता है वैसे ही हर एक वोटर भी जरूरी होता है.  बिहार से भले ही लोकसभा में महिलाओं का प्रतिनिधित्व नगण्य हो लेकिन यहां कि महिला वोटर्स पुरुषों से ज्यादा सजग और एक्टिव हैं. 40 लोकसभा सीट वाला ये राज्य जिस तरह किसी भी आम चुनाव का रुख  बदलने की ताकत रखता है उसी तरह यहां की महिला वोटर्स 26 से अधिक सीटों पर फैसले का अधिकार रखती हैं. यही नहीं ये वही सीटें हैं जहां पुरुषों से ज्यादा महिलाएं वोट डालने निकलती हैं.

हालांकि इनमें ज्यादातर संसदीय क्षेत्र उत्तर बिहार के हैं जो आर्थिक रूप से अधिक पिछड़े माने जाते हैं.ये वही जिले और क्षेत्र हैं जहां से सबसे ज्यादा पुरुष दूसरे राज्यों में नौकरी की तलाश में जाते हैं.

बिहार में 2014 के लोकसभा चुनाव में 26 सीटें ऐसी थीं जहां महिला वोटरों का प्रतिशत पुरुषों की तुलना में अधिक था. यही नहीं 2019 के चुनाव के दौरान 32 सीटों पर महिलाओं ने पुरुषों की तुलना में अधिक मतदान किया था. इस चुनाव में तीन करोड़ 64 लाख एक हजार 903 महिला मतदाता हैं. 


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सिर्फ तीन-तीन महिला सांसद ही पहुंची लोकसभा

बता दें कि फिलहाल लोकसभा में 82 महिला सांसद हैं. नारी शक्ति वंदन अधिनियम 2023 में लोकसभा में पेश किए जाने के बाद जब 33 फीसदी महिला आरक्षण पूरी तरह लोकसभा में लागू हो जाएगा तो सांसदों की संख्या 181 हो जाएगी. लेकिन बिहार से महिला सांसदों की उपस्थिति सदन में कम है.

 हालांकि, बिहार से लोकसभा पहुंचने वाली सांसदों की संख्या पांच रही है. 1999 में जब सदन में 49 महिला सांसद थीं उसमें 5 सांसद बिहार से थीं. वहीं 2004 में 45 महिला सांसद सदन में प्रतिनिधित्व कर रही थीं तब बिहार की 3 महिलाएं थीं. कुछ ऐसा ही हाल 2009 के लोकसभा चुनाव में भी हुआ कुल 59 महिलाएं सदन में पहुंचीं उनमें बिहार की पांच थीं. 

2014 के लोकसभा चुनाव में मुंगेर से लोजपा की वीणा देवी, शिवहर से भाजपा की रमा देवी, सुपौल से कांग्रेस की रंजीता रंजन पहुंची थीं. जबकि, 2019 में 56 महिलाएं चुनाव में भाग्य आजमां रही थीं. इन सीटों पर महिला मतदाताओं की संख्या पुरुषों की तुलना में ज्यादा थी लेकिन सिर्फ 3 सीटों पर ही महिला सांसद झंडा गाड़ पाईं.

किन जिलों में कितनी महिला वोटर

अगर 2014 के आंकड़ों पर नजर डालें तो पुरुषों की तुलना में कटिहार में महिला मतदाताओं की संख्या बहुत अधिक है. पुरुष मतदाता जहां 64.5 फीसदी हैं वहीं महिला मतदाता 71.2 फीसदी. जबकि सुपौल में 58.8 फीसदी की तुलना में महिला मतदाता 69 फीसदी थीं. जबकि किशनगंज में भी महिला पुरुष मतदाताओं में 5 फीसदी से अधिक का फासला था. यहां पुरुष 61.8 फीसदी मतदाता थे तो महिलाएं  67.6 फीसदी थीं.

पुर्णिया, अररिया, उजियारपुर, बेगुसराय, खगड़िया,मुजफ्फरपुर, मधेपुरा,झंझारपुर, वाल्मीकि नगर, समस्तीपुर और वैशाली में भी महिला मतदाताओं की संख्या पुरुष मतदाताओं से ज्यादा रही है.सीवान में तो यह आंकड़ा करीब 9 फीसदी के डिफरेंस पर है. सीवान में जहां 52.8 फीसदी पुरुष मतदाता हैं वहीं 61 फीसदी महिलाएं.

लोकसभा चुनावों में 1951-51 से 2019 तक महिला सांसदों की स्थिति

वहीं यूपी की बात करें तो वोटर लिस्ट में कुल वोटर्स की संख्या 15.29 करोड़ है इसमें करीब 7.15 करोड़  महिला मतदाता हैं. जानकारों की मानें तो करीब 31.24 लाख नई महिला मतदाताओं को जोड़ा गया है. 


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अगर सीएसडीएस के आंकड़ों को देखें तो 2019 के लोकसभा चुनाव में देश में भारतीय जनता पार्टी को 51 % महिलाओं और कांग्रेस को 5 % महिलाओं ने वोट दिया था. 

33% आरक्षण देंगी क्या पार्टियां? 

लेकिन इन सबके बीच सबसे ज्यादा चिंता की बात ये है कि महिला प्रत्याशियों की संख्या दस प्रतिशत का आंकड़ा भी पार नहीं कर पा रही है. पिछले चुनाव में कुल सांसदों में महिलाओं की भागीदारी महज 14.4 फीसदी रही थी.

अब देखना यह है कि अब जब 33 फीसदी महिला आरक्षण का बिल विशेष सत्र बुलाकर पास कराया जा चुका है. तो खुद भाजपा और अन्य पार्टियां महिलाओं का कितना ख्याल रखती हैं. 

बता दें कि अभी तक भाजपा ने प्रत्याशियों की दो लिस्ट जारी की है जिनमें 267 उम्मीदवारों के नाम पर मुहर लगाई है. इनमें महिला उम्मीदवारों की संख्या 43 है. पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने कुल 53 महिला उम्मीदवारों को टिकट दिया था.

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Women voters are far ahead in Bihar but why do they lag behind in winning lok sabha election 2024
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बाहुबलियों के बिहार में महिला वोटर्स अव्वल, पर लोकसभा चुनाव जीतने में क्यों हैं
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लोकसभा इलेक्शन के दौरान कतार में खड़ीं महिलाएं

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पुरुषों को पछाड़ आगे निकलीं महिला वोटर्स, लेकिन Lok Sabha Election जीतने में क्यों रह जाती हैं पीछे 

 

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