डीएनए हिंदी: दिल्ली हाई कोर्ट की एक जज ने रिकॉर्ड बना दिया. उन्होंने एक ही दिन में लगातार काम करते हुए अलग-अलग डिविजन बेंच की अध्यक्षता की और एक या दो नहीं बल्कि पूरे 65 मामलों में फैसला सुना दिया. इससे भी बड़ी हैरानी आपको यह जानकर होगी कि यह रिकॉर्ड उन्होंने सोमवार को अपने करियर के आखिरी दिन किया यानी इसके साथ ही वे रिटायर हो गईं. इस दौरान उन्होंने हत्या से लेकर रेप केस तक के मामलों में फैसले सुनाए, जिनमें एक फांसी की सजा पा चुके कैदी की सजा को घटाकर 20 साल उम्रकैद में तब्दील करने का फैसला भी शामिल है. यह जज थीं जस्टिस मुक्ता गुप्ता, जो हाई कोर्ट में अपने 14 साल लंबे करियर के बाद मंगलवार को रिटायर हो गई हैं. हालांकि हाई कोर्ट की तरफ से उन्हें रिटायरमेंट का फेयरवेल 2 जून को ही समर वैकेशन शुरू होने से पहले दे दिया गया था, लेकिन उनका आखिरी वर्किंग-डे सोमवार यानी 26 जून को था.
We are not doing any charity by granting relief: Justice Mukta Gupta of Delhi High Court retires
— Bar & Bench (@barandbench) June 2, 2023
report by @prashantjha996 https://t.co/vGXAUnWJeg
अदालती अवकाश के दिनों में किया इतना काम
जस्टिस मुक्ता गुप्ता ने अपनी अध्यक्षता वाली बेंचों में चल रहे इतने सारे मुकदमों का निपटारा करने का काम अदालती अवकाश के दिनों में किया. अमूमन अदालती अवकाश के दिनों में किसी मुकदमे में फैसला नहीं सुनाया जाता है. केवल तय दिनों में वैकेशन बेंच बैठती है, जो बेहद जरूरी मामलों की ही सुनवाई करती है. इसके बावजूद जस्टिस मुक्ता गुप्ता ने अपने करियर के आखिरी दिन इतने सारे मामलों में फैसला सुनाने का निर्णय लिया. इसके चलते सोमवार का दिन दिल्ली हाई कोर्ट में वकीलों से लेकर याचिकाकर्ताओं तक के लिए बेहद व्यस्त रहा.
ऐसे मामलों में दिए फैसले
- 12 साल के बच्चे का अपहरण और हत्या के लिए मृत्यु दंड पाए आरोपी की सजा को बिना छूट वाली 20 साल की उम्र कैद में बदल दिया.
- उत्तर प्रदेश पुलिस के 5 जवानों को 26 साल के युवक की कस्टडी में हत्या के मामले में राहत नहीं दी. साल 2006 के केस में पुलिसकर्मियों की 10 साल की सजा बरकरार रखी है.
- साल 2014 के गैंग रेप केस में 5 दोषियों को ट्रायल कोर्ट से मिली ताउम्र कैद की सजा को सामान्य उम्रकैद में तब्दील कर दिया.
वकील से जज बनी थीं जस्टिस मुक्ता गुप्ता
जस्टिस मुक्ता गुप्ता का जन्म 28 जून, 1961 को दिल्ली में हुआ था. उन्होंने 1980 में दिल्ली यूनिवर्सिटी के हिंदू कॉलेज से बीएससी जूलॉजी ऑनर्स में ग्रेजुएशन किया था. इसके बाद उन्होंने 1983 में कैंपस लॉ सेंटर से LLB की डिग्री पूरी की थी. साल 1984 में उन्होंने दिल्ली बार कौंसिल में एडवोकेट के तौर पर रजिस्ट्रेशन के बाद प्रैक्टिस शुरू की थी. साल 1993 में उन्हें दिल्ली हाई कोर्ट में अतिरिक्त सरकारी वकील नियुक्त किया गया था. इसके बाद वे अगस्त, 2001 में दिल्ली हाई कोर्ट में दिल्ली सरकार की स्टैंडिंग काउंसिल (क्रिमिनल) नियुक्त की गई थीं. अक्टूबर, 2009 में मुक्ता गुप्ता वकील से जज के तौर पर प्रमोट की गई थीं. उन्हें दिल्ली हाई कोर्ट में एडिशनल जज नियुक्त किया गया था. इसके बाद 29 मई, 2014 को वे परमानेंट जज बन गई थीं. जज के तौर पर उन्होंने करीब 14 साल दिल्ली हाई कोर्ट में बिताए हैं.
नैना साहनी मर्डर से संसद हमले तक, कई हाई प्रोफाइल मामलों में रहीं वकील
जस्टिस मुक्ता गुप्ता ने जज बनने से पहले हाई कोर्ट व सुप्रीम कोर्ट में कई हाई प्रोफाइल मामलों में पैरवी की थी. इनमें जेसिका लाल मर्डर केस, संसद हमला, लाल किला हमला, नैना साहनी मर्डर केस, नीतीश कटारा मर्डर केस, प्रियदर्शिनी मट्टू मर्डर केस आदि शामिल हैं. उनके करीबी सूत्रों के मुताबिक, जज की जिम्मेदारी से रिटायरमेंट के बाद अब वे एक बार फिर वकील के तौर पर दिखाई देंगी. हालांकि इस बार वे हाई कोर्ट के बजाय सुप्रीम कोर्ट में मुकदमों को लड़ेंगी. जस्टिस मुक्ता गुप्ता ने खुद इस बारे में अभी तक कोई ऑफिशियल घोषणा नहीं की है.
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कौन हैं जस्टिस मुक्ता गुप्ता, जिन्होंने रिटायरमेंट से पहले हत्या से रेप तक के 65 केस में सुनाए फैसले