डीएनए हिंदी: दिल्ली की यमुना नदी में प्रदूषण का मुद्दा तब गरमाता है जब छठ पर्व मनाने के लिए लोग बड़ी संख्या में घाटों पर इकट्ठे होते हैं. झाग के बीच पर्व मनाते श्रद्धालुओं की तस्वीरें सुर्खियों में आती हैं. यमुना नदी के प्रदूषण पर सत्तारूढ़ और विपक्षी पार्टी के बीच राजनीतिक घमासान भी मचती है. राजनीतिक बयानबाजी में यमुना की दयनीय स्थिति पर घड़ियाली आंसू तो बहाए जाते हैं लेकिन इसके सुधार पर कोई चर्चा नहीं होती है.

यमुना नदी दिल्ली की जीवन रेखा है. यमुना का पानी घरेलू, औद्योगिक और सिंचाई दोनों मकसदों को पूरा करने में इस्तेमाल होता है. दिल्ली में लगातार बढ़ रही पानी की मांग की वजह से नदी को तीन अहम पॉइन्ट पर बांटा गया है- वजीराबाद, आईटीओ और ओखला बैराज.

रिपोर्ट्स के मुताबिक वजीराबाद और ओखला के बीच यमुना का 22 किलोमीटर का हिस्सा कुल प्रदूषण का लगभग 80 फीसदी जिम्मेदार है. ध्यान देने वाली बात यह है कि उत्तर प्रदेश में यमुनोत्री से इलाहाबाद तक फैले 1,370 किलोमीटर की लंबाई के कुल पार्ट का यह 2% से भी कम है.

यमुना में जहरीली झाग का मुद्दा नया नहीं है. जब छठ पूजा के दौरान श्रद्धालु यमुना में जहरीली झाग के बीच पानी में डुबकी लगाते हैं तब अचानक से तस्वीरें वायरल होने लगती हैं. छठ के समय दो-चार दिन यमुना की सफाई पर चर्चा की जाती है और छठ बीतते ही फिर से प्रदूषण अपने चरम पर पहुंच जाता है.

झाग कैसे बनता है?

सामान्य स्थितियों में पानी की सतह पर झाग का बनना बहुत आम है. यह घटना कई झीलों और जलधाराओं में भी देखने को मिलती है. जब पानी में बिना शुद्धिकरण के अपशिष्ट पदार्थों को डाल दिया जाता है और कार्बनिक पदार्थों का विघटन शुरू हो जाता है तब झाग के बुलबुले पैदा होते हैं. अपशिष्ट पदार्थ, पौधे और सूखी घास जैसी चीजें पानी के साथ मिश्रित नहीं हो पाते हैं. ऐसे पदार्थ पानी से हल्के होते हैं. यही वजह है कि ये पानी पर तैरते रहते हैं. इनके आसपास ही झाग जैसा बन जाता है जो पानी के ऊपरी सतह पर तैरता रहता है.

झाग पैदा करने वाले कारक पानी की सतह पर तैरते हैं और तेजी से इकट्ठा होते हैं. यह पानी की सतह पर मौजूद पृष्ठ तनाव कम करता है. ऑर्गेनिक तरीके से बनी झाग कई दिनों तक पानी की सतह पर मौजूद रह सकती है. यमुना नदी के लिए इस सिद्धांत को सच नहीं माना जा सकता है.

यमुना में झाग की क्या है वजह?

वैज्ञानिकों का कहना है कि यमुना नदी में फॉस्फेट का उच्च स्तर इस तरह के झाग की बड़ी वजह है. दिल्ली, हरियाणा और यूपी से अनट्रीटेड सीवेज में फॉस्फेट और सर्फेक्टेंट नदी में झाग के पीछे एक और कारण है. फॉस्फेट कई डिटर्जेंट में इस्तेमाल होने वाला एक अहम कंपोनेंट है. यह सफाई को बहुत आसान बनाता है.

फॉस्फेट और सर्फेक्टेंट की मात्रा यमुना में 1 फीसदी तक है, वहीं 99 फीसदी प्रदूषित हिस्से के लिए हवा और पानी जिम्मेदार है. पानी में जब लहरें उठती हैं या किसी प्राकृतिक या कृत्रिम तरीके से जब पानी नदी के बैराज से नीचे गिरता है तब पानी में ही मौजूद एक परत झाग में बदलने लगती है. 

दिल्ली जल बोर्ड के वाइस चेयरमैन राघव चड्ढा का दावा है कि ओखला बैराज से एक बड़ी ऊंचाई से पानी गिरता है जो झाग बनाने की एक बड़ी वजह है. इसके अलावा नदियों में डिस्चार्ज औद्योगिक कचरा, ऑर्गेनिक तत्व और सड़ी-गली सब्जियों का नदी में फेंकना और बैक्टीरिया का प्रकोप भी झाग बनने का एक अहम कारण है.

कैसे सेहत के लिए नुकसानदेह है झाग?

यमुना में मौजूद यह झाग शरीर के लिए बेहद नुकसानदायक है. इसके पानी के सीधे संपर्क में आने से त्वचा संबंधी रोग हो सकते हैं. अगर इसका पानी किसी भी तरीके से शरीर के अंदर चला जाए तब इसमें पाए जाने वाले खतरनाक रसायनिक तत्वों की वजह से गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याएं हो सकती हैं और टाइफाइड जैसे रोग भी हो सकते हैं. 

Url Title
What is the reason behind toxic white foam floating on Yamuna River in Delhi
Short Title
DNA एक्सप्लेनर: यमुना की पानी में तैरते जहरीले सफेद झाग की क्या है वजह?
Article Type
Language
Hindi
Page views
1
Embargo
Off
Image
Image
यमुना नदी में बढ़ रहा है प्रदूषण का स्तर.
Date updated
Date published