डीएनए हिंदी: संयुक्त संसदीय समिति (JPC) ने गुरुवार को राज्यसभा (Rajya Sabha) में पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन बिल पर अपनी रिपोर्ट पेश की है. यह डेटा प्रोटेक्शन लॉ की दिशा में देश का पहला कदम है. जेपीसी की रिपोर्ट में व्यापक बदलावों की सिफारिश की गई है, जिसमें गैर-व्यक्तिगत डेटा (Non-personal data) को शामिल करने पर भी जोर दिया गया है. सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को 'पब्लिशर' घोषित किए जाने की भी मांग इस बिल में की गई है. साल 2019 में यह संसदीय समिति बनाई गई थी.

भारत दुनिया भर में सबसे बड़े इंटरनेट बाजारों में से एक बन गया है. ऐसे में सोशल मीडिया और डेटा संरक्षण पर एक कानून बनाने की जरूरत है. कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने राज्यसभा में रिपोर्ट पेश की जिस पर 2 साल तक विचार-विमर्श चला. 542-पेज की जेपीसी रिपोर्ट 2019 के व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक पर तैयार की गई है. ड्राफ्ट में 81 सिफारिशें और विधेयक के अलग-अलग क्लॉज (Clause)में 150 से ज्यादा सुधार शामिल किए गए हैं. 

जेपीसी के अध्यक्ष पीपी चौधरी (PP Chaudhary) के मुताबिक इस रिपोर्ट का देश में व्यक्तिगत और गैर-व्यक्तिगत डेटा को संभालने और संरक्षित करने के लिए वैश्विक और दूरगामी प्रभाव पड़ेगा. जेपीसी रिपोर्ट में 8 विपक्षी सदस्यों ने हस्ताक्षरित 7 आपत्तियां भी दर्ज कराई हैं. 

पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन बिल की क्या है खासियत?

1. कंसेंट फ्रेमवर्क, स्टोरेज लिमिटेशन और डाटा मिनिमाइजेशन को बढ़ावा देना.
2. केवल उसी डाटा को सलेक्ट किया जाए जिसके लिए यूजर ने स्पष्ट सहमति दी हो. 
3. बिल के ड्राफ्ट में पर्सनल डेटा प्रोटोक्शन, करेक्ट इनएक्युरेट डाटा, डाटा मिटाने, अपडेट, पोर्ट या ट्रांसफर रकरने से संबंधित प्रावधानों पर नियम बनाने की बात है.
4. पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन बिल एक अथॉरिटी की स्थापना की बात करता है जिसके जरिए डाटा अथॉरिटी ऑफ इंडिया को बनाया जाए. 
5. अथॉरिटी में एक अध्यक्ष, 6 सदस्य केंद्र सरकार नियुक्त करे.
6. यह संस्था डाटा नियमों पर नजर रखे, पर्सनल डेटा के दुरुपयोग को रोके, डाटा प्रोटेक्शन पर जागरूकता फैलाए. 
7. कमेटी ने सुझाव दिया है कि पीडीपी बिल पर्सनल और नॉन पर्सनल डाटा दोनों को सम्मिलित करे जब तक की अलग कानून न बन जाएं.
8. लोकतंत्र, राज्य की सुरक्षा, पब्लिक ऑर्डर और संप्रभुता संबंधी मामलों की रक्षा के संबंध में अलग से प्रावधान तय हो.
9. लोगों को शिकायत का अधिकार (right of grievance) मिले. उल्लंघन की दिशा में अथॉरिटी से शिकायत की जा सके.
10. बिल के खंड 32 में शिकायत करने का जिक्र है, 64 में क्षतिपूर्ति की बात कही गई है.
11. डाटा संरक्षण के लिए नियम और शर्तें तय करना.
13. न्याय अधिकारी की नियुक्ति जो मामलों की सुनवाई करे और डाटा लीक होने की दिशा में संबंधित पार्टी पर एक्शन ले.
14. ट्रिब्युनल की स्थापना.

सोशल मीडिया पर क्या होगा असर?

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पब्लिशर्स की श्रेणी में रखे जाएंगे जिससे उन पर उपलब्ध होने वाली सभी सामग्रियों के लिए उन्हें ही जिम्मेदार ठहराया जा सके. किसी भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को तब तक भारत में ऑपरेट करने की मंजूरी नहीं मिलेगी जब तक कि वे देश में एक आधिकारिक दफ्तर न बना लें. जेपीसी ने प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया की तरह ही एक स्टैचुअरी मीडिया रेगुलेटरी अथॉरिटी बनाने की मांग की है. इसका मकसद ये है कि सभी तरह के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर नजर रखी जाए.  

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What is Personal Data Protection Bill and its impact on social media
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डीएनए एक्सप्लेनर: क्या है डाटा संरक्षण बिल, लोगों को क्या होगा फायदा?
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What is Personal Data Protection Bill?
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Personal Data Protection Bill में बहुत ही सख्त प्रावधान किए गए हैं.

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