Pahalgam Terror Attack: पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत में गम और गु्स्से का माहौल है. इसकी जवाबी कार्रवाई के तहत भारत ने सभी पाकिस्तानी नागरिकों के वीजा तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दिए हैं. सभी पाकिस्तानी नागरिकों को 48 घंटे के अंदर यानी 27 अप्रै तक भारत छोड़ने का आदेश दिया गया है. इस दौरान भारत ने सार्क वीजा एग्जेम्पशन स्कीम (SAARC Visa Exemption Scheme) के तहत पाकिस्तानी नागरिकों को जारी वीजा भी निरस्त कर दिए हैं. विदेश मंत्रालय ने यह स्पष्ट कर दिया है कि पाकिस्तानी नागरिकता रखने वाले व्यक्ति अब सार्क वीजा स्कीम के तहत भारत की यात्रा करने के लिए आवेदन नहीं कर पाएंगे. क्या आप जानते हैं कि SVES या सार्क वीजा के नाम से मशहूर यह योजना क्या है और इसे क्यों व कब लागू किया गया था? चलिए हम आपको बताते हैं.
पहले जान लीजिए सार्क क्या है
यदि आपको सार्क वीजा एग्जेम्पशन स्कीम (SVES) के बारे में जानना है तो इसके लिए आपको सार्क (SAARC) के बारे में जानना होगा, जिसे दक्षेस भी कहते हैं. सार्क दक्षिण एशियाई देशों का सहयोग संगठन है, जिसे दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (South Asian Association for Regional Cooperation) कहते हैं. दक्षिण एशिया के 8 देश इसके सदस्य हैं, जिनमें भारत, अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, नेपाल, श्रीलंका, मालदीव और पाकिस्तान शामिल हैं. इस संगठन के गठन के लिए 8 दिसंबर, 1985 को ढाका में सार्क चार्टर पर इन देशों ने हस्ताक्षर किए थे.
अब जानिए सार्क वीजा एग्जेम्पशन स्कीम क्या है
सार्क वीजा एग्जेम्पशन स्कीम (SVES) की शुरुआत 1992 में की गई थी, जिसका प्रस्ताव सार्क के चौथे शिखर सम्मेलन में रखा गया था. यह शिखर सम्मेलन 29 से 31 दिसंबर, 1988 तक पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में हुआ था. इस प्रस्ताव में तय किया गया था कि सार्क देशों के अलग-अलग कैटेगरी के सम्मानित लोगों को एक विशेष यात्रा दस्तावेज के जरिये एक-दूसरे के यहां यात्रा करने पर वीजा लेने की बाध्यता से मुक्त किया जाएगा यानी उन लोगों को इन 8 देशों में आने-जाने के लिए बार-बार वीजा नहीं लेना होगा. इस प्रस्ताव पर सभी सार्क देशों ने सहमति जताते हुए हस्ताक्षर किया, जिसे SVES का नाम दिया गया.
कितनी स्कीम कवर करती है SVES
फिलहाल SVES के तहत 24 कैटेगरी के नामचीन लोगों को सार्क देशों में वीजा लेने की बाध्यता से बाहर रखा गया है. इनमें सम्मानित हस्तियां, हाई कोर्ट और उससे ऊपर के जज, सांसद और विधायक, वरिष्ठ अधिकारी, बिजनेसमैन, पत्रकार, खिलाड़ी मुख्य कैटेगरी हैं. इन सभी को एक बार वीजा स्टीकर लेने के बाद एक साल तक दोबारा वीजा लेने की जरूरत नहीं पड़ती है. सार्क देश इस योजना को लागू करने की समीक्षा समय-समय पर करते रहते हैं. यह योजना हर सदस्य देश के इमिग्रेशन अधिकारियों द्वारा संचालित की जाती है, जो इसे ज्यादा प्रभावी बनाने के लिए समय-समय पर नियमों की समीक्षा करते रहते हैं.
SVES के तहत बिजनेसमैन को खास वरीयता
SVES के तहत बिजनेसमैन कैटेगरी के लोगों को खास वरीयता दी जाती है. केंद्र सरकार की तरफ से साल 2015 में शेयर किए दस्तावेज के मुताबिक, सार्क देशों के नागरिकों को बिजनेस कैटेगरी के तहत भारत की यात्रा करने पर 5 साल तक का बिजनेस वीजा दिया जाता है. हालांकि बिजनेसमैन अपनी सुविधा के हिसाब से कम समय का वीजा भी ले सकते हैं. हालांकि यह सुविधा सार्क देशों के नागरिकों को नेपाल, भूटान और पाकिस्तान की यात्रा करने पर नहीं मिलती है, क्योंकि इसे खासतौर पर भारत ने ही सार्क देशों के बीच बिजनेस को बढ़ावा देने के लिए अपनी तरफ से लागू कर रखा है.
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क्या है सार्क वीजा स्कीम, जिसे Pahalgam Terror Attack के बाद भारत ने किया खत्म