डीएनए हिंदी: China News- चीन के युलिन शहर में 10 दिन लंबा डॉग मीट फेस्टिवल (Dog Meat Festival) बुधवार 21 जून से शुरू हो रहा है. इस फेस्टिवल के दौरान 10 दिन में हजारों कुत्तों को जिंदा भूनकर खाया जाता है, जिसे लेकर बेहद विवाद हो रहा है. दुनियाभर के पशुप्रेमी इसे क्रूरता बताकर एक बार फिर इस फेस्टिवल पर रोक लगाए जाने की मांग में जुट गए हैं, जबकि चीन इसे अपनी पुरातन संस्कृति का हिस्सा बताते हुए अध्यात्म से जोड़कर इस फेस्टिवल का समर्थन कर रहा है. हालांकि ऑफिशियल रूप से चीन ने कोरोना वायरस महामारी फैलने के बाद कुत्तों की खरीद-बेच पर बैन लगा रखा है, लेकिन एक पशुप्रेमी संगठन के सर्वे में सामने आया है कि इस बैन से भी कोई फर्क नहीं पड़ा है. कुत्तों का मांस खाने के शौकीन अब भी जमकर अपना शौक पूरा कर रहे हैं.
पश्चिमी साजिश मानते हैं बैन को चीनी
पशु प्रेमी संगठन ह्यूमन सोसाइटी इंटरनेशनल (HSI) ने युलिन शहर की जनता के बीच ही यह सर्वे किया है, जिसमें करीब 20 फीसदी लोगों ने कुत्तों का मांस खरीदने-बेचने पर बैन लगाने को चीनी संस्कृति के खिलाफ पश्चिमी देशों की साजिश बताया है. करीब 70 फीसदी लोगों का कहना है कि बैन से कोई फर्क नहीं पड़ता है. वे अपनी मर्जी का ही खाना खाएंगे.
क्यों खाया जाता है चीन में कुत्तों का मांस
चीनी इतिहास के हिसाब से 7 हजार साल से भी ज्यादा समय से कुत्ते मांस के लिए पाले जाते रहे हैं. चीनी मान्यता है कि गर्मियों में डॉग मीट खाने से सेहत बढ़िया रहती है और यौन शक्ति बढ़ती है. यौन शक्ति के लिए पशु अवशेषों के इस्तेमाल को लेकर चीन पहले से ही बदनाम है.
क्यों चीन अपने कल्चर पर अटैक मानता है बैन को
चीन में बच्चों को भी 'सैन जी जिंग' क्लास में डॉग मीट को मानसिक और आध्यात्मिक ताकत का स्रोत बताया गया है. इसी कारण चीन डॉग मीट के विरोध को अपने कल्चर पर अटैक मानता है. उनका कहना है कि डॉग मीट भी किसी अन्य जानवर के मांस की तरह ही सामान्य बात है.
पुरातन संस्कृति नहीं कॉमर्शियल फेस्टिवल है युलिन का आयोजन
खास बात ये है कि चीन के युलिन शहर में आयोजित होने वाले जिस लीची एंड डॉग मीट फेस्टिवल को लेकर हंगामा मचा है, उसका चीन के पुरातन कल्चर से कोई संबंध ही नहीं है. यह पूरी तरह कॉमर्शियल फेस्टिवल है, जिसकी शुरुआत साल 2009 में मीट व्यापारियों ने अपना व्यापार बढ़ाने के लिए की थी. इस फेस्टिवल के दौरान 10 दिन में कई तरह की लीची, कई तरह की चीनी शराब और कई तरह की कुत्तों की नस्लों का मांस लोगों को खिलाया जाता है. इसके चलते पूरे चीन से लोग वहां पहुंचते हैं, जिससे मीट व्यापारियों का बिजनेस बढ़ता है.
क्यों हो रहा है विरोध
HSI का दावा है कि इस फेस्टिवल में 10 दिन के दौरान ही करीब 15 हजार कुत्तों का मांस पकाकर खिलाया जाता है. इतने ही कुत्ते फेस्टिवल के लिए ट्रांसपोर्ट करते समय मर जाते हैं. फेस्टिवल के लिए पूरे चीन से कुत्ते लाए जाते हैं, जिन्हें बेहद छोटे पिंजड़ों में लाया जाता है, जिनमें साफसफाई नहीं होती. ना ही उन्हें रास्ते में ढंग से खाना दिया जाता है. इसी कारण बड़ी संख्या में कुत्ते रास्ते में ही मर जाते हैं. फेस्टिवल में जिंदा कुत्तों को बेहद बर्बर तरीके से मारकर पकाया जाता है. एक तरीके में जिंदा कुत्ते की खाल उतार दी जाती है. फिर उसे कई घंटे के लिए जिंदा ही मैरिनेट किया जाता है. इसके बाद पकाया जाता है. अन्य तरीके भी इतने ही बर्बर हैं, जिन्हें देखकर आप अंदर तक कांप जाएंगे.
इसके अलावा भी संगठन का दावा है कि पूरे साल में चीन करीब 2 करोड़ कुत्तों को काटकर खा जाता है. युलिन शहर का प्रशासन भी इस फेस्टिवल के कारण स्थानीय स्तर पर बिजनेस बढ़ने के चलते इसे बैन करने में रूचि नहीं लेता है. स्टेट न्यूज एजेंसी शिन्हुआ को साल 2020 में युलिन प्रशासन ने कहा था कि डॉग मीट फेस्टिवल निजी इवेंट है, इसलिए सरकार इस पर बैन नहीं लगा सकती है.
भारत में भी खाया जाता है डॉग मीट
भारत में भी पूर्वोत्तर भारत के नागालैंड, अरुणाचल प्रदेश आदि कई राज्यों में डॉग मीट खाया जाता है. इसके अलावा भी इंटरनेशनल लेवल पर वियतनाम, कंबोडिया, इंडोनेशिया और दक्षिण व उत्तरी कोरिया और मंगोलिया देशों में कुत्तों को खाया जाता है.
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Dog Meat Festival: क्या है चीन का डॉग-मीट फेस्टिवल, किस बात पर इसे लेकर चल रहा है हंगामा