डीएनए हिंदी: क्रिकेट खेलने वाले हर देश के एक्सपर्ट्स कोहली के बल्ले की खामोशी पर अपनी-अपनी राय दे चुके हैं. कुछ ने उन्हें 'चुका हुआ खिलाड़ी' बताकर रिटायरमेंट तक की सलाह दे दी है. लेकिन क्या यह पहली बार है, जब कोई दिग्गज क्रिकेटर अपने करियर के एक दौर में अचानक ही आउट ऑफ फॉर्म दिखाई देने लगा हो?
जी नहीं, यदि आंकड़ों की किताब उठाकर देखी जाए तो ऐसे तमाम दिग्गज चेहरे आपको मिल जाएंगे, जो करियर में एक निश्चित पड़ाव पर आकर अचानक ठिठक गए और उनका बल्ला सोया हुआ महसूस होने लगा. इन दिग्गज क्रिकेटर्स में जहां क्रिकेट के भगवान सचिन तेंदुलकर (Sachin Tendulkar) जैसा नाम शामिल है, तो वहीं महान विवियन रिचडर्स (Viv Richards), सुनील गावस्कर (Sunil Gavaskar) भी इस लिस्ट में मौजूद हैं.
यदि बात कोहली के समकक्षों की ही करें तो रनों के ढेर लगाने वाले पूर्व ऑस्ट्रेलियाई कप्तान स्टीव स्मिथ (STeve Smith) और पिच पर दीवार की तरह खड़े होने वाले चेतेश्वर पुजारा (Cheteshwar Pujara) का बल्ला भी उम्र के इस दौर में आने के बाद खामोश हो गया है.
क्या आप जानते हैं कि इन सब नामों की असफलता के दौर में एक बात कॉमन है. इन सभी क्रिकेटर्स के लिए करियर का यह दौर उम्र के 30वें साल के बाद आया यानी जिस उम्र से इस समय विराट कोहली गुजर रहे हैं. ऐसे में क्या यह मान लिया जाए कि कोहली के बल्ले की खामोशी और 30 की उम्र के दशक का आपस में कोई संबंध है? आइए इस सवाल का जवाब तलाशने की कोशिश करते हैं.
31 से 33 की उम्र दिग्गजों पर भारी
यदि आंकड़ों की किताब पलटी जाए तो 30 साल की उम्र के बाद ज्यादातर क्रिकेटर्स की फॉर्म का अंदाज बदल जाता है. कुछ क्रिकेटर अनुभव की बदौलत पहले से ज्यादा निखरे हुए दिखाई देते हैं तो बहुत सारे दिग्गज अचानक ढेर हो जाते हैं. इसका अंदाजा आप इन 10 दिग्गजों के आंकड़ों से लगा लीजिए.
1. विराट कोहली (कुल रिकॉर्ड- 102 टेस्ट, 8074 रन, 49.53 औसत, शतक-27, फिफ्टी-28)
पूर्व भारतीय कप्तान कोहली ने 31 की उम्र से पहले जहां 55+ के औसत से रन बनाए थे, वहीं 31वां साल छूने के बाद खेले 20 टेस्ट मैच में वे महज 29.84 के औसत से रन बना पाए हैं. उनके खाते में महज 1 शतक शामिल है और नवंबर, 2019 के बाद से वे 100 रन का आंकड़ा छूने के लिए तरस गए हैं यानी 31 से 33वें साल का दौर उनके लिए सुपर फ्लॉप साबित हुआ है.
2. सचिन तेंदुलकर (कुल रिकॉर्ड- 200 टेस्ट, 15921 रन, 53.78 औसत, शतक- 51, फिफ्टी- 68)
क्रिकेट के भगवान सचिन की बात करें तो 31 से 33 साल की उम्र के बीच वे भी 21 टेस्ट मैच में महज 1198 रन बना पाए थे. उनका रन औसत घटकर रह गया था महज 39.93 और इस दौरान उन्होंने 2 शतक और 6 फिफ्टी ही अपने खाते में जोड़ी थी.
3. सुनील गावस्कर (कुल रिकॉर्ड- 125 टेस्ट, 10122 रन, 51.12 औसत, शतक- 34, फिफ्टी- 45)
टेस्ट क्रिकेट के पहले 10 हजारी गावस्कर ने इस दौरान 27 टेस्ट मैच में 41.27 के औसत के साथ महज 1651 रन बनाए. हालांकि उन्होंने 4 शतक और 8 फिफ्टी अपने खाते में दर्ज की थी.
4. विव रिचडर्स (कुल रिकॉर्ड- 121 टेस्ट, 8540 रन, 50.23 औसत, शतक- 24, फिफ्टी- 45)
वेस्टइंडीज के इस महान क्रिकेटर ने 31 से 33 साल की उम्र में 30 टेस्ट मैच खेलकर 1693 रन बनाए. इस दौरान उनका औसत घटकर 44.55 का हो गया था, लेकिन उन्होंने उम्र के इस दौर में भी 6 शतक और 7 फिफ्टी लगाई थी.
5. स्टीव स्मिथ (कुल रिकॉर्ड- 86 टेस्ट, 8016 रन, 59.37 औसत, शतक- 27, फिफ्टी- 36)
ऑस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान स्मिथ को मौजूदा क्रिकेट के फैब-4 (अन्य 3 क्रिकेटर विराट कोहली, जो रूट, केन विलियमसन) में शुमार किया जाता है. एकसमय उनका रन औसत क्रिकेट बुक पर महान डॉन ब्रैडमैन (Don Bradman) के बाद बेस्ट था, लेकिन उम्र के इस दौर में वे 13 टेस्ट मैच खेल चुके हैं और उनका औसत महज 39.45 का रह गया है. स्मिथ ने इन 13 टेस्ट में 1 शतक व 7 फिफ्टी के साथ 789 रन ही बल्ले से बनाए हैं.
" Virat Kohli Will Come Back All Recharged after the Break and Hopefully will Do Phenomenally Well " - Dinesh Karthik
— RCB Trends™ (@TrendRCB) July 19, 2022
DK Popa 🫂💙 pic.twitter.com/X6JJ8rfY6w
6. एलेस्टेयर कुक (कुल रिकॉर्ड- 161 टेस्ट, 12472 रन, 45.35 औसत, शतक- 33, फिफ्टी- 57)
सचिन तेंदुलकर के संन्यास के बाद किसी को उनका रिकॉर्ड तोड़ने का सबसे बड़ा दावेदार माना गया था तो वे इंग्लैंड के पूर्व कप्तान एलेस्टेयर कुक (Alastair Cook) ही थे, लेकिन कुक की फॉर्म भी उम्र का शिकार हो गई. कुक ने 31 से 33 साल के बीच 39 टेस्ट मैच में 39.01 के औसत से 2692 रन ही बनाए. उन्होंने 5 शतक और 11 फिफ्टी इस दौरान अपने रिकॉर्ड में शामिल की थीं.
7. गुंडप्पा विश्वनाथ (कुल रिकॉर्ड- 91 टेस्ट, 6080 रन, 41.93 औसत, शतक- 14, फिफ्टी- 35)
अपने समय के सबसे क्लासिकल बल्लेबाज कहलाने वाले गुंडप्पा विश्वनाथ (Gundappa Vishwanath) भी उम्र के इस प्रभाव से अछूते नहीं रह सके. विश्वनाथ का औसत भी उम्र के इस दौर में घटकर महज 31.22 का रह गया था. उन्होंने इस दौरान 23 टेस्ट खेलकर महज 1093 रन ही अपने खाते में 3 शतक और 5 फिफ्टी के साथ जोड़े थे.
8. एबी डिविलियर्स (कुल रिकॉर्ड- 114 टेस्ट, 8765 रन, 50.66 औसत, शतक- 22, फिफ्टी- 46)
डिविलियर्स की बल्लेबाजी ने हर तरह की गेंदबाजी की बखिया उधेड़ीं, लेकिन जब उम्र के असर का दौर आया तो उन्हें भी इसका असर सहना पड़ा. 31 से 33 साल की उम्र के दौरान डिविलियर्स ने 12 टेस्ट खेले, लेकिन महज 732 रन ही बना सके. इस दौरान वह कोई शतक तो नहीं लगा सके, लेकिन 6 फिफ्टी उनके खाते में दर्ज हुईं. नतीजा ये रहा कि उनका रन औसत भी 50 से गिरकर महज 34.85 का ही रह गया था.
9. माइक वॉन (कुल रिकॉर्ड- 82 टेस्ट, 5719 रन, 41.44 औसत, शतक- 18, फिफ्टी- 18)
इंग्लैंड के पूर्व कप्तान माइकल वॉन आजकल विराट कोहली की असफलता के सबसे बड़े आलोचकों में से एक हैं, लेकिन वह खुद भी उम्र के इस पड़ाव पर ऐसे ही दौर से गुजरे हैं. वॉन ने इस दौरान 20 टेस्ट खेले थे, लेकिन वह 34.45 के खराब औसत से 3 शतक व 5 फिफ्टी के साथ महज 1206 रन ही बना पाए थे.
10. चेतेश्वर पुजारा (कुल रिकॉर्ड- 96 टेस्ट, 6792 रन, 43.81 औसत, शतक- 18, फिफ्टी- 33)
भारतीय क्रिकेट में राहुल द्रविड़ के बाद दूसरी दीवार माने गए पुजारा भी कोहली जैसे ही हालात से जूझ रहे हैं. टीम से बाहर होने के कगार पर खड़े पुजारा 31 साल का होने के बाद 27 टेस्ट मैच में महज 1287 रन बना सके हैं. उनका रन औसत घटकर 27.38 पर आ चुका है, जबकि वह कोई शतक नहीं बना पाए हैं. हालांकि इस दौरान वे 12 फिफ्टी लगाने में सफल रहे हैं.
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क्यों होते हैं इस उम्र में दिग्गज क्रिकेटर भी असफल, जानिए कारण
दिग्गज क्रिकेटर्स के 30 साल की उम्र के बाद असफल होने के तमाम कारण गिनाए जाते हैं, लेकिन अमूमन ज्यादातर एक्सपर्ट्स इसे बढ़ती उम्र के कारण शरीर में होने वाले बदलावों का असर मानते हैं. आइए उन 5 कारणों के बारे में जानते हैं, जिन्हें इस असफलता का सबसे बड़ा कारण माना जाता है.
1- कमजोर रिफ्लेकसेस: एक्सपर्ट्स का मानना है कि 30 की उम्र के बाद आमतौर पर इंसान की देखने की शक्ति प्रभावित होती है. इससे उन खिलाड़ियों को सबसे ज्यादा परेशानी होती है, जिनका खेल तकनीक से ज्यादा टाइमिंग पर निर्भर होता है. इसका बेहतरीन उदाहरण भारतीय ओपनिंग बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग (Virendra Sehwag) को माना जाता है, जिनकी आंखों पर नजर का चश्मा चढ़ने के बाद वे पहले जैसे धाकड़ बल्लेबाज साबित नहीं हुए.
2- जिस्म-दिमाग का तालमेल घटना: 30 की उम्र के बाद शरीर की चुस्ती में कमी आती है, जिससे दिमाग और जिस्म का तालमेल गड़बड़ाने लगता है. दिमाग जितनी तेजी से सक्रियता दिखाता है, जिस्म उतनी फुर्ती से रिएक्ट नहीं कर पाता. इसका नतीजा ये होता है कि खिलाड़ी दिमाग में तो आसानी से शॉट खेलने के लिए अपने शरीर के सही जगह पहुंचने की बात सोच रहा होता है, लेकिन वास्तव में उसका शरीर वहां तक नहीं पहुंच रहा होता. इसके चलते वह उन शॉट्स पर भी आउट होने लगता है, जिन पर वह आसानी से चौके-छक्के लगा रहा था.
3- शारीरिक फिटनेस की कमी: हालांकि यह पॉइंट विराट कोहली के साथ मैच नहीं करता है, जो टीम इंडिया ही नहीं मौजूदा सभी क्रिकेटर्स में सबसे ज्यादा फिट खिलाड़ियों में से एक हैं.
4- तकनीक में बदलाव: कई बार लगातार खेल रहे क्रिकेटर किसी एक शॉट या बल्लेबाजी में एक्सपेरिमेंट करने लगते हैं. इसका नतीजा यह होता है कि उनकी तकनीक में मामूली बदलाव आ जाता है, जिसकी भनक उन्हें खुद भी नहीं लगती. इसी मामूली बदलाव के कारण कई बार वे जिस शॉट के मास्टर माने जाते थे, उसी पर आउट होने लगते हैं. इसका उदाहरण विराट कोहली को भी माना जा सकता है, जो अपने सबसे चर्चित शॉट यानी कवर ड्राइव पर हालिया दिनों में कई बार आउट हुए हैं.
5- ओवर कॉन्फिडेंस होना: जब आप लंबे समय से बेहतरीन खेल दिखा रहे हों तो आपको खुद पर ओवर कॉन्फिडेंस हो जाता है. ऐसे में आप अपनी तकनीक की मामूली खामियों की अनदेखी शुरू कर देते हैं और आपका खेल भी थोड़ा लापरवाह हो जाता है. इसके चलते भी खिलाड़ी जल्दी आउट होने लगता है.
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क्या विराट को याद करनी चाहिए अपने 'फिटनेस गुरु' की सलाह
विराट कोहली को लगातार असफलता के बीच अपने 'फिटनेस गुरु' शंकर बासु (Shankar Bashu) की सलाह भी याद करनी चाहिए. टीम इंडिया के फिटनेस ट्रेनर रह चुके बासु ने पिछले साल कहा था कि विराट कोहली को ट्रेनिंग में अब कुछ अलग करना चाहिए. उनकी ट्रेनिंग में कुछ नया नहीं दिख रहा, जिसका असर उनके फॉर्म पर भी पड़ रहा है.
बासु ने कहा था कि जो ट्रेनिंग का तरीका 30 साल की उम्र में काम कर सकता है, यह जरूरी नहीं कि वही तरीका 32 की उम्र में भी काम करेगा. ऐसे ही 32 की उम्र का तरीका 34 साल की उम्र में भी चले, यह जरूरी नहीं है. बासु ने ये बात पिछले साल चेन्नई में एक बुक लॉन्च के दौरान कही थी. बता दें कि विराट कोहली अपनी फिटनेस का सारा श्रेय शंकर बासु की ट्रेनिंग को ही देते हैं
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Virat Kohli : विराट कोहली ही नहीं, पहले भी दिग्गजों पर भारी रही है 30+ की उम्र, जानिए क्या है कारण