डीएनए हिंदी: भारत में इस समय बाढ़ से कर्नाटक, तमिलनाडु और तेलंगाना पस्त है. हमारे पड़ोसी देश पाकिस्तान का बड़ा इलाका बाढ़ की चपेट में है. कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु (Flood in Bengaluru) में घरों में पानी घुस आया है और उससे बचने के लिए लोगों को होटलों का सहारा लेना पड़ रहा है. होटलों में एक रात बिताने का चार्ज 40 हजार रुपये तक वसूल रहे हैं. ऐसी ही कमोबेश कहानियां पाकिस्तान (Flood in Pakistan) से सुनने में आ रही हैं.

बाढ़ की त्रासदी एक ओर लोगों को पस्त कर रही जबकि उन्हीं इलाकों के लोग इस विपरीत परिस्थिति में मदद करने की बजाय लूट में लग गए हैं. 2013 में उत्तराखंड में बाढ़ के चलते आई भयंकर त्रासदी के दौरान भी बुनियादी चीजों मसलन दूध और अंडों के दाम कई गुणा ज्यादा वसूले गए थे.

अब सवाल है कि बाढ़ किन वजहों से आती है? क्या बाढ़ आने और उसकी त्रासदी बहुत बड़े पैमाने पर पहुंच जाने की वजह हमारा लालच है? हमें अन्य सवालों पर बात करने से पहले यह समझना होगा कि बाढ़ और सुखाड़ दोनों ही प्रकृति का हिस्सा हैं पर यह त्रासदी क्यों बन जाती है? सबसे पहले हमें यह समझना होगा कि बाढ़ क्यों आती है? 

Flood क्यों आती है? 

पानी के संग्रह होने के जितने भी प्राकृति स्रोत हैं मसलन नदी, समुद्र, ताल, तलैया, झील, नहर, पोखर, नाले आदि जब ओवरफ्लो होने लगे और पानी मैदानी या समतल इलाकों की ओर बहने लगे तो हम उसे बाढ़ कहते हैं. भारत मूल रूप से धनजल यानि अधिक जल वाला देश है. देश के कुछ इलाकों या प्रदेशों को छोड दें तो ज्यादातर राज्यों में अच्छी बारिश होती है और सबसे मजेदार बात यह है कि हम भारतीय इसके साथ जीने-मरने के आदी हो चुके हैं.

शहरों में घुस रहा है बाढ़ का पानी

हालांकि, पिछले दो-तीन दशकों में ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming) और शहरों के बढ़ते दायरे और कंक्रीट के जंगलों के चलते बाढ़ के चलते जानमाल की हानि ज्यादा होने लगी है. बाढ़ पहले नदियों के किनारे बसे गांवों को कुछ दिनों तक डुबोकर वापस चली जाती थी लेकिन दो दशकों में बाढ़ शहरों में अपने पांव पसारने लगी है. कभी मुंबई डूबने लगता है तो कभी अहमदाबाद और कभी बेंगलुरु. 

Monsoon के बाद चक्रवात बाढ़ की त्रासदी बढ़ाती है

साइंस डारेक्ट डॉटकॉम नाम की एक वेबसाइट के अनुसार, वर्ष 2021 में एक अध्ययन कराया गया था जिसमें यह कहा गया था कि पिछले 50 वर्षों में भारत में मौसम से संबंधित होने वाली मौतों में से 75 फीसदी मौत बाढ़ और चक्रवात (People Died due to Flood and Cyclone) के चलते होती है. एक अध्ययन में यह बताया गया है कि मानसून के ठीक बाद चक्रवात आने से बाढ़ की त्रासदी कई गुणा बढ़ जाती है. अगस्त 2018 में केरल की बाढ़, दिसंबर 2015 में चेन्नई की बाढ़, जून 2013 में उत्तराखंड की बाढ़, जून 2010 में लेह की बाढ़ और 2005 में मुंबई की बाढ़ की वजह चक्रवात ही थी. चक्रवात के चलते होने वाली पानी ज्यादा गिरता है जबकि शहरों के दायरे बढ़ने और गांवों में हर जगह पक्की सतह बनने से पानी के निकलने के रास्ते बहुत कम रह गए. शहरों में ताल-तलैयों में मिट्टी भरकर वहां बिल्डिंगें खड़ी कर दी गईं. दिल्ली में आजादी के समय 350 से ज्यादा तालाब थे लेकिन आज शायद चार भी तालाब अच्छी हालात में नहीं रह गए.

नदियां बाढ़ को समुद्र तक ले जाती हैं

यह एक तथ्य है कि नदियां पहाड़ों से निकलकर समतल इलाकों से बहती हुई समुद्र में जाकर गिरती थीं लेकिन बड़े पैमाने पर नदियां मर चुकी हैं. यही कारण है नदियां अब बाढ़ का पानी समुद्र तक ले जाने में असमर्थ हो रही हैं. दूसरा तथ्य यह है कि समुद्र का पानी मैदानी इलाकों में घुसने से नदियां रोकने का काम भी करती थीं. इन दो घटनाओं के चलते बाढ़ की त्रासदी में लगातार इजाफा हो रहा है. 

ये भी पढ़ेंः महासागर जैसे 'अनुपम' व्यक्तित्व से मुलाकात, उनके विचार मिटाते हैं मन का अकाल

भारत में मल्टीलेन वाली सड़कों का निर्माण बहुत बड़े पैमाने पर हुआ है. इस काम को अंजाम देने के लिए एक ओर पेड़ काटे गए तो दूसरी ओर पानी के निकलने या जमा होने के रास्तों को बंद किया गया है. जाहिर सी बात है कि आसमान से गिरने वाली बूंदों को अब इकट्ठा होने और ताल-तलैयों तक पहुंचने के काम में बाधा पहुंचाई गई है. प्रकृति बहुत लंबे समय में अपनी सभी चीजों का निर्माण करती है. प्रकृति निर्माण में कोई तय समय में या किसी खास समय के कैलेंडर में चीजें नहीं बनाती है लेकिन मनुष्य विकास के नाम पर अपनी चीजें बनाने में कम से कम समय लेता है. हमें इस तरह की हेडलाइन बहुत आकर्षित भी करती है- सबसे कम समय में दुनिया के सबसे बड़े पुल का निर्माण, सिर्फ 2 साल में इस नदी पर बना एशिया का सबसे बड़ा बांध आदि. दरअसल, प्रकृति तब भयंकर रूप लेती है जब हमारी मुनाफाखोरी प्रवृत्ति उसके साथ सामंजस्य बिठाने की बजाए हम उसे नोंचने, खसोंटने, छीलने, चीरने में लग जाते हैं. जाहिर सी बात है कि इसका नुकसान आखिरकार मानव सभ्यता को ही चुकानी पड़ती है. 

ये भी पढ़ेंः Opinion: धरती और आंखों में नमी नहीं बची तो हमें कौन बचाएगा?

Url Title
Urbanisation increase Flooding and Why is the floods entering the cities Bengaluru Pakistan
Short Title
Urbanisation increase Flooding: क्यों शहरों में घुसता चला आ रहा है बाढ़ का पानी? 
Article Type
Language
Hindi
Tags Hindi
Page views
1
Embargo
Off
Image
Image
Flood in Bengaluru/Pakistan
Caption

flood in urban areas

Date updated
Date published
Home Title

Urbanisation increase Flooding: क्यों शहरों में घुसता चला आ रहा है बाढ़ का पानी?