डीएनए हिंदी: UP Nikay Chunav- कर्नाटक में भाजपा की बड़ी हार के बीच उत्तर प्रदेश में नगर निकाय चुनाव में भगवा दल को भारी सफलता मिली है. राज्य के सभी 17 नगर निगमों के मेयर पद भाजपा ने कब्जा लिए हैं. भाजपा ने दोपहर 3 बजे तक राज्य में सभी 17 मेयर पद, 199 में से 93 नगर पालिका अध्यक्ष पद और 544 में से 189 नगर पंचायत अध्यक्ष पद कब्जा लिए थे. इसे भगवा आंधी की तरह देखा जा रहा है, क्योंकि शहरी इलाकों को भाजपा का परंपरागत वोटर कहा जाता है. एक तरह से इसे प्रदेश की योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली सरकार के एक साल के कार्यकाल के रिपोर्ट कार्ड पर जनता की मुहर भी माना जा रहा है. इस बार भाजपा ने मेरठ-अलीगढ़ के मेयर पदों को भी दोबारा हासिल कर लिया है तो शाहजहांपुर जैसी समाजवादी पार्टी के कोर वोटर वाले शहर में भी अपना मेयर बनाया है. इससे संकेत मिल रहे हैं कि जनता ने महज सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के आधार पर वोट देने के बजाय विकास को तरजीह दी है. इसे एक तरीके से प्रदेश सरकार के अतीक और मुख्तार जैस बाहुबलियों के खिलाफ उठाए सख्त कदमों पर भी जनता की मंजूरी की मुहर माना जा रहा है. आइए 5 पॉइंट्स में जानते हैं कि कैसे कर्नाटक में मोदी-शाह की जोड़ी की असफलता के बीच उत्तर प्रदेश में 'बाबा के बुलडोजर' ने भगवा परचम लहराया है.
1. पहले जानते हैं लोगों को क्या भाया
उत्तर प्रदेश में साल 2017 में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में भाजपा की सरकार बनी थी. पहले ही दिन से मुख्यमंत्री ने माफियाराज पर कार्रवाई और विकास कार्यों को तरजीह देने के बीच बैलेंस बनाकर काम किया. हालांकि बीच-बीच में उन पर एक खास समुदाय के खिलाफ तीखे बोल बोलकर सांप्रदायिक ध्रुवीकरण करने के भी आरोप लगते रहे, लेकिन कठोर शैली में काम करने वाले योगी आदित्यनाथ ने अपना रुख नहीं बदला. वे किसी दबाव में आए बिना 'जो कहो, उस पर अमल करो' वाले अंदाज में अपने काम करते रहे. आम जनता को उनका यह दबंग अंदाज भाता है. इसका सबूत पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव में भी मिला था, जो योगी आदित्यनाथ को चेहरा बनाकर लड़ा गया था. अब यही सबूत नगर निकाय चुनाव में भी लड़ा है. निकाय चुनाव के लिए योगी आदित्यनाथ ही पार्टी के सबसे बड़े कैंपेनर थे, जिन्होंने राज्य के 75 में से करीब 40 जिलों में ताबड़तोड़ जनसभाएं कीं.
2. प्रदेश में माफिया राज की छुट्टी
योगी आदित्यनाथ की सरकार की लोकप्रियता का सबसे बड़ा कारण माफियाराज पर अंकुश लगाए जाना भी रहा है. प्रदेश में मुख्तार अंसारी और अतीक अहमद के नाम सुनते ही बच्चा-बच्चा भी कांप जाता है, लेकिन महज 2 महीने के अंदर योगी प्रशासन ने जिस अंदाज में अतीक का साम्राज्य ध्वस्त कर दिया, उसने निकाय चुनाव से पहले भाजपा के पक्ष में बड़ी लहर बनाने का काम किया. मुख्तार अंसारी को भी योगी सरकार ने घुटनों पर ला रखा है. मुख्तार को कई दशक से चल रहे मामलों में सजा सुनाए जाना हो या उसकी संपत्तियों को जब्त करने का काम, योगी सरकार का हर कदम जनता में लोकप्रिय बनकर उभरा है.
3. विपक्ष की आलोचना पर विकास ज्यादा भारी
उत्तर प्रदेश में पिछले 6 साल के दौरान योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री रहते हुए जमकर विकास कार्य हुए हैं. दिल्ली से मेरठ तक रैपिड मेट्रो ट्रेन, कानपुर में मेट्रो ट्रेन, गोरखपुर समेत कई महानगरों में मेट्रो ट्रेन प्रोजेक्ट की नींव रखने से लेकर पूर्वांचल एक्सप्रेसवे का निर्माण और गंगा एक्सप्रेसवे के निर्माण की शुरुआत आदि बड़े प्रोजेक्ट्स इस दौर में उत्तर प्रदेश की कायापलट कर गए हैं. इसके अलावा योगी आदित्यनाथ की पहल पर आयोजित इंवेस्टर समिट से पहली बार उत्तर प्रदेश में भी निवेशकों का बड़े पैमाने पर आगमन हुआ है, जिससे रोजगार की राह खुली है. माना जा रहा है कि ये विकास कार्य विपक्षी दलों की उन आलोचनाओं पर भारी पड़े हैं, जिनके दम पर वे राज्य सरकार को घेरते रहे हैं.
4. बुलडोजर बना ट्रेडमार्क
माफिया और बाहुबलियों के खिलाफ बुलडोजर चलवाकर उनके आतंक को ध्वस्त करने की शुरुआत योगी आदित्यनाथ ने ही की थी. यह कार्रवाई जनता को बेहद भायी थी. नतीजतन यूपी में 'बाबा का बुलडोजर' ट्रे़डमार्क की तरह हो गया है, जिसका इंतजार जनता अब किसी भी बाहुबली के आतंक मचाने पर करने लगती है. जनता में यह काम कितना लोकप्रिय हुआ था, इसका अंदाजा ऐसे लगाया जा सकता है कि बात में मध्य प्रदेश, उत्तराखंड समेत कई राज्यों में इसे फॉलो किया गया था और वहां भी माफिया के खिलाफ ऐसे अभियान चलाए गए. उत्तर प्रदेश के नगर निकायों में भी अवैध अतिक्रमण के खिलाफ योगी आदित्यनाथ ने बुलडोजर चलवाने में गुरेज नहीं किया. इसका सशक्त उदाहरण मेरठ का अवैध वाहन कटान बाजार सोतीगंज है, जिसे पूरी तरह योगी आदित्यनाथ सरकार ने खत्म ही करा दिया है. बाबा के इस बुलडोजर ने भी जनता को कमल के फूल पर मुहर लगाने की तरफ प्रेरित किया है.
5. बाबा की हाजिर जवाबी
योगी आदित्यनाथ के भाषण महज जोशीले ही नहीं बल्कि हाजिरजवाबी से भरपूर भी रहे हैं. किसी भी नेता की तरफ से उछाले जाने वाले कीचड़ का जवाब उसी के अंदाज में देने की मुख्यमंत्री की शैली भी जनता में चर्चित रही है. इसी साल बजट सत्र के दौरान सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव की मुख्यमंत्री ने विधानसभा में जिस अंदाज में खिंचाई की थी, उसके वीडियो बेहद पॉपुलर हुए थे. निकाय चुनाव प्रचार के दौरान भी जनसभाओं में मंच से योगी आदित्यनाथ ने कई बार ऐसे चुटीले अंदाज में विपक्ष के आरोपों का जवाब दिया, जिस पर जमकर तालियां बजती नजर आईं.
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