चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने अमेरिकी टैरिफ के खिलाफ आवाज उठाई है और उस पर 'अच्छाई का सामना बुराई से करने' का आरोप लगाया है. बीजिंग में एक सप्ताह तक चलने वाली नेशनल पीपुल्स कांग्रेस के हिस्से के रूप में एक दुर्लभ प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान बोलते हुए, वांग ने वर्तमान जियो- पॉलिटिकल माहौल के तहत ऐसा बहुत कुछ बोल दिया, जिससे एक नई तरह गतिरोध को बल मिल गया है.
उन्होंने ताइवान के स्व-शासित द्वीप की स्थिति को भी संबोधित किया और चीन की स्थिति को दोहराया कि यह 'चीन का अविभाज्य हिस्सा' है और इसे स्वतंत्र बनाने का कोई भी प्रयास 'विफल होने के लिए अभिशप्त' है.
अभी भी यह स्पष्ट नहीं है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ताइवान के मुद्दे से कैसे निपटेंगे. ट्रंप का रूस की ओर झुकाव और यूक्रेन से दूर होना संघर्ष की स्थिति में ताइवान के प्रति अमेरिका की प्रतिबद्धता पर सवाल खड़े करता है.
चीन जोर देकर कहता है कि ताइवान के साथ 'पुनर्मिलन' अपरिहार्य है. और कहता है कि यदि आवश्यक हुआ तो यह बलपूर्वक होगा. ताइवान की सरकार यथास्थिति बनाए रखना चाहती है.
आधिकारिक तौर पर, अमेरिका, चीन की स्थिति को स्वीकार करता है और हमले की स्थिति में खुद की रक्षा के लिए द्वीप को हथियार मुहैया कराता है.
ध्यान रहे कि यह सब ताइवान को दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण भू-राजनीतिक फ्लैशपॉइंट में से एक बनाता है. ताइवान स्ट्रेट के दोनों ओर के लोग अनिश्चितता और तनाव के आदी हो चुके हैं.
पिछले महीने ताइवान ने एक चीनी जहाज को जब्त कर लिया था, जिस पर द्वीप तक जाने वाली समुद्री केबल को काटने का आरोप था. इस तरह की घटनाएं इस बात को उजागर करती हैं कि यह क्षेत्र कितना गर्म हो सकता है.
सवाल यह है कि अगर यह भड़कता है, तो अमेरिका कैसे प्रतिक्रिया देगा?
इस सवाल के मद्देनजर अब तक मिले-जुले संदेश मिले हैं. अमेरिकी विदेश विभाग ने हाल ही में ताइवान के बारे में तथ्यों को अपनी वेबसाइट में संशोधित किया है और कई वाक्यांशों को हटा दिया है. इस पर चीन ने कड़ी फटकार लगाई है.
आधिकारिक तौर पर, ताइवान के प्रति अमेरिकी नीति में कोई बदलाव नहीं आया है. हालांकि, व्हाइट हाउस में राष्ट्रपति ट्रंप के होने के कारण, इसकी कोई गारंटी नहीं है. ट्रंप ने कहा है कि ताइवान को अपनी सुरक्षा के लिए भुगतान करना चाहिए और उस पर अमेरिकी सेमीकंडक्टर उद्योग को चुराने का आरोप लगाया है.
अमेरिकी राष्ट्रपति स्पष्ट रूप से चीन के नेता शी जिनपिंग की प्रशंसा करते हैं और उनकी प्रशंसा भी की है. कई ताइवानियों के लिए यह परेशान करने वाला समय है.
ध्यान रहे कि दुनिया भर में जियो- पॉलिटिकल दरारें बढ़ती जा रही हैं और बेचैनी की भावना है. अमेरिका, चीन और रूस के बीच संबंध उतार-चढ़ाव की स्थिति में हैं क्योंकि तीनों देश वर्चस्व के लिए संघर्ष कर रहे हैं.
रक्षा के साथ साथ ग्लोबल जियो-पॉलिटिक्स को समझने वाले कई एक्सपर्ट्स ऐसे हैं, जिन्होंने इन कयासों को बल देना शुरू कर दिया है कि आने वाला वक़्त मुश्किल है.
दुनिया छोटे बड़े कई युद्धों की साक्षी बन सकती है. ये तमाम कयास सही होंगे या फिर गलत इसका फैसला तो वक़्त करेगा मगर जो वर्तमान है और जिस लिहाज की राजनीति चल रही है चाहे वो चीन हो या अमेरिका सबका उद्देश्य एक दूसरे के सामने खुद को सुपर पावर दर्शना है.
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दुनिया के सबसे विवादित बिंदुओं में शुमार है ताइवान, समस्या का हल कैसे निकालेंगे डोनाल्ड ट्रंप?