एक ऐसे समय में जब दुनिया दूसरी बार डोनाल्ड ट्रंप को अमेरिका की कमान संभालते देखने वाली है, बीते दिनों दुनिया एक बड़ी घटना की साक्षी बनी है. मॉस्को में, डोनाल्ड ट्रम्प के अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेने से कुछ दिन पहले, पश्चिम के दो मुख्य विरोधी रूस और ईरान ने एक रणनीतिक साझेदारी समझौते पर हस्ताक्षर किया है. माना जा रहा है कि यह उस रिश्ते को और गहरा करेगा जो यूक्रेन पर मॉस्को के पूर्ण पैमाने पर आक्रमण के बाद से पनपा है.
क्या पश्चिम को चिंतित होना चाहिए?
इस सवाल का जवाब खुद रूस ने दिया है. रूस के अनुसार नहीं. जी हां सही सुना आपने. दरअसल विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने अभी कुछ दिनों पहले ही इस बात का जिक्र किया था कि, 'यह समझौता, उत्तर कोरिया के साथ हमारी संधि की तरह, किसी के खिलाफ़ नहीं है.'
ज्ञात हो कि उन्होंने पिछले साल प्योंगयांग के साथ मास्को द्वारा हस्ताक्षरित इसी तरह के समझौते का जिक्र किया. हालांकि, उस संधि में एक म्यूच्यूअल डिफेंस क्लॉज शामिल था, जिसमें दोनों देशों ने ज़रूरत पड़ने पर एक-दूसरे की सहायता करने का वचन दिया था.
❗️🇮🇷🤝🇷🇺 BREAKING: The 20-year strategic cooperation agreement between Russia and Iran has now been signed in Moscow
— BZ (@BZKanging) January 17, 2025
The agreement was signed by the presidents of the two countries, Masoud Pezeshkian and Vladimir Putin, on Friday, January 17, 2025 , in a ceremony in the Kremlin pic.twitter.com/C7Lwx1cgHx
रूस और ईरान के बीच हुए इस समझौते ने तुरंत ही वाशिंगटन, कीव, सियोल समेत कई अन्य जगहों पर खतरे की घंटी बजा दी. और अब, छह महीने से भी कम समय बाद, यूक्रेन ने कहा है कि उसने युद्ध के मैदान में दो उत्तर कोरियाई सैनिकों को पकड़ लिया है.
यूक्रेन द्वारा की गई ये हरकत इस बात का सबूत है कि रूस ने प्योंगयांग के हजारों सैनिकों को अग्रिम मोर्चे पर तैनात किया है. इससे पता चलता है कि पश्चिम की आशंकाएं जायज़ थीं.
कार्नेगी रूस यूरेशिया सेंटर के निदेशक अलेक्जेंडर गबुएव ने पश्चिम की मीडिया से बात करते हुए कई महत्वपूर्व बातों का जिक्र किया है. गबुएव ने कहा है कि, 'रूस की विदेश नीति का प्रमुख आयोजन सिद्धांत अब यूक्रेन में अपने युद्ध को आगे बढ़ाना है.
गबुएव के अनुसार, मुझे उम्मीद है कि ईरान के साथ साझेदारी भी इसी तरह की चिंता पैदा करेगी.वहीं उन्होंने ये भी कहा कि, हर देश का मूल्यांकन इस नजरिए से किया जाता है कि वह देश युद्ध के मैदान में क्या कर सकता है.
❗️🇮🇷🤝🇷🇺 BREAKING: The 20-year strategic cooperation agreement between Russia and Iran has now been signed in Moscow
— BZ (@BZKanging) January 17, 2025
The agreement was signed by the presidents of the two countries, Masoud Pezeshkian and Vladimir Putin, on Friday, January 17, 2025 , in a ceremony in the Kremlin pic.twitter.com/C7Lwx1cgHx
यह देश रूस को आर्थिक दबाव का सामना करने में कैसे मदद कर सकता है? और क्रेमलिन में बैठे सख्त लोग पश्चिम को दंडित करने के लिए इस रिश्ते का कैसे इस्तेमाल कर सकते हैं? और मजेदार बात ये है कि ईरान इस श्रेणी में बिल्कुल फिट बैठता है.
अमेरिका और ब्रिटेन पहले ही तेहरान पर यूक्रेन के खिलाफ इस्तेमाल के लिए मास्को को बैलिस्टिक मिसाइल और ड्रोन मुहैया कराने का आरोप लगा चुके हैं. रूस और ईरान दोनों ही इस दावे से इनकार करते हैं. लेकिन रक्षा एक ऐसा क्षेत्र है जहाँ इस नई साझेदारी के परिणामस्वरूप दोनों देश अधिक निकटता से सहयोग करेंगे.
गबुएव इसे जिसे 'केक पर प्रतीकात्मक आइसिंग' के रूप में वर्णित करते हैं. गबुएव के मुताबिक, 'वास्तविक सहयोगआइसबर्ग के नीचे पानी की तरह है जिसमें रूस ड्रोन खरीदता है, और ड्रोन और मिसाइलों और विभिन्न प्रकार के हथियारों के लिए डिज़ाइन करता है जिनकी उसे यूक्रेन में युद्ध के मैदान के लिए ज़रूरत होती है.'
इसके बदले में ईरान को रूसी तकनीकी विशेषज्ञता मिलेगी.' क्रेमलिन के अनुसार, संधि पर हस्ताक्षर करने का समय पूरी तरह से संयोग है, और इसका ट्रंप के शपथ ग्रहण से कोई लेना-देना नहीं है.
US-Americanised Middle East experts look at the Russia-Iran thing through the lens of agreements Arabs sign with the USA Empire
— Dominic (@DHredux) January 19, 2025
Russia is not USA
you signing with them doesn't mean you have to be their puppet and go along with any insanity - like Arab "leaders" must do with USA https://t.co/Q1X4kR0aYi pic.twitter.com/QefEPQgRTJ
वहीं रूस और ईरान के रिश्ते पर उठ रहे सवालों को लेकर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने कहा है कि, 'षड्यंत्र सिद्धांतकारों को अपना मनोरंजन करने दें.'
बहरहाल, संयोग हो या न हो, रूस के लिए यह दृष्टिकोण सुविधाजनक है. यह समझौता पश्चिम को यह याद दिलाता है कि दुनिया बदल रही है और मॉस्को के अनुसार, अमेरिका के नेतृत्व वाली नियम-आधारित वैश्विक व्यवस्था चरमरा रही है.
पुतिन अक्सर पश्चिमी साम्राज्यवाद और अमेरिका के आधिपत्य से मुक्त एक बहुध्रुवीय दुनिया बनाने की अपनी इच्छा के बारे में बात करते हैं. वह यह दिखाना चाहते हैं कि रूस को अलग-थलग करने के पश्चिम के प्रयासों के बावजूद उनके प्रयास काम कर रहे हैं.
पहले उत्तर कोरिया, अब ईरान - प्रतिबंधों के माध्यम से एकजुटता ये जो नया घटनाक्रम हुआ है उससे इतना तो स्पष्ट हो चुका है कि अब दुनिया न केवल बदल रही है बल्कि महाशक्तियों ने अपने को अलग अलग गुटों में बांट लिया है.
ईरान और रूस की ये दोस्ती कितनी दूर तक जाती है और इसका कितना फायदा दुनिया को मिलता है? इस प्रश्न का जवाब तो भविष्य की गर्त में छुपा है.
'ताकत' को लेकर जो दुनिया का मौजूदा स्वरूप है. उसे देखकर इतना तो साफ़ हो ही गया है कि जैसे जैसे दिन आगे बढ़ेंगे, जियो पॉलिटिक्स के लिहाज से हम ऐसा बहुत कुछ देखेंगे जो हमारी सोच और कल्पना से कहीं ज्यादा परे होगा और हमें हैरत में डालेगा. कह सकते हैं कि रूस और ईरान की दोस्ती उसी कड़ी का एक हिस्सा है.
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एक समझौते से साथ आ गए हैं Russia-Iran, क्या दुनिया को परेशान करेगी दो मुल्कों की ये दोस्ती?