Free Cashless Treatment in Accident: अब सड़क पर एक्सीडेंट होने के बाद किसी भी घायल को बिना इलाज के तड़पना नहीं होगा. केंद्र सरकार ने एक्सीडेंट में घायल होने वाले लोगों के लिए फ्री कैशलेस ट्रीटमेंट स्कीम (Free Cashless Treatment in Accident) 5 मई) से पूरे देश में लागू कर दी है. इसके लिए मंगलवार को सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय ने अधिसूचना भी जारी कर दी है. इस अधिसूचना के मुताबिक, अब पूरे देश में किसी भी एक्सीडेंट में घायल होने वालों को अधिकतम 1.5 लाख रुपये तक का मुफ्त इलाज मिल पाएगा. हालांकि योजना का लाभ केवल उसी हादसे में दिया जाएगा, जो किसी वाहन के कारण हुआ है. अन्य एक्सीडेंट यानी छत से गिरना, खाई में गिरना, एडवेंचर स्पोर्ट्स में चोट खाना आदि में यह योजना लागू नहीं होगी. इस योजना को अभी तक देश के कुछ हिस्सों में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर चलाया जा रहा था, जहां सफलता मिलने के बाद अब इसे पूरे देश में लागू कर दिया गया है.
इस योजना का लाभ किसे, कैसे और कहां पर मिलेगा, इस तरह के सभी सवालों के जवाब हम आपको 5 पॉइंट्स में बता रहे हैं.
1. पहले जान लीजिए क्या है पूरी योजना
सरकारी नोटिफिकेशन के मुताबिक, देश के किसी भी हिस्से में रोड एक्सीडेंट में घायल होने वाले व्यक्ति को 1,50,000 रुपये तक का मुफ्त इलाज दिया जाएगा. यह इलाज एक्सीडेंट की तारीख से अगले सात दिन तक के दिया जाएगा. इस दौरान एक्सीडेंट में घायल व्यक्ति को इलाज के लिए कोई पैसा अस्पताल को नहीं देना होगा.
2. किस मरीज को और कहां पर मिलेगा इलाज
नोटिफिकेशन के मुताबिक, यह योजना पूरे देश में लागू की गई है. इसका लाभ एक्सीडेंट में घायल होने वाले हर व्यक्ति को मिलेगा. हालांकि यह लाभ केवल सरकारी अस्पताल या सरकार की तरफ से 'नामित' अस्पतालों में इलाज कराने पर ही मिलेगा. इसे लागू करने की जिम्मेदारी नेशनल हेल्थ अथॉरिटी (NHA) की होगी, जो पुलिस, अस्पताल और राज्य स्वास्थ्य एजेंसियों के साथ मिलकर इसका पूरा लाभ घायलों को दिलाने के लिए काम करेगी.
3. क्या होगा यदि नामित अस्पताल में नहीं कराया इलाज
यदि घायल व्यक्ति को इकिसी ऐसे अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जो सरकार से नामित नहीं है तो उसे इस योजना का लाभ कैसे मिलेगा? इस सवाल का भी जवाब नोटिफिकेशन में दिया गया है. सरकार ने इसके लिए अलग से गाइडलाइंस जारी की हैं. इस गाइडलाइंस के तहत मरीज को उस अस्पताल में हुए तब तक के इलाज का भुगतान किया जाएगा, जब तक उसकी हालत स्थिर होकर खतरे से बाहर नहीं हो गई है. इससे आगे के भुगतान के लिए उसे अस्पताल बदलकर नामित अस्पताल में ही भर्ती होना होगा.
4. कैसे होगी पूरी योजना की निगरानी
इस योजना को एक ऑनलाइन पोर्टल और एक हेल्पलाइन नंबर के जरिये संचालित किया जाएगा, जिस पर पीड़ित या उसके परिजनों को पूरी जानकारी मिलेगी. यह योजना सही ढंग से चले इसके लिए हर राज्य और केंद्र शासित प्रदेश में रोड सेफ्टी काउंसिल को नोडल एजेंसी बनाया गया है. रोड सेफ्टी काउंसिल इस योजना से ज्यादा से ज्यादा अस्पतालों को जोड़ने, पीड़ितों को इलाज दिलाने, पेमेंट प्रोसेस सही ढंग से लिया जाए, इसकी निगरानी का काम करेगी. योजना की निगरानी के लिए केंद्र सरकार भी एक स्टीयरिंग कमेटी बनाएगी, जो पूरे देश में नजर रखेगी.
5. देश में हर साल 1.8 लाख लोगों की जान 'गोल्डन ऑवर' में बचाने की कवायद
यह योजना देश में 'गोल्डन ऑवर' यानी एक्सीडेंट के पहले घंटे में इलाज नहीं मिलने से हर साल लाखों लोगों की मौत पर रोक लगाने के लिए लाई गई है. माना जाता है कि इस दौरान इलाज मिलने पर जान बचने की संभावना बढ़ जाती है. साल 2024 में सड़क हादसों में 1.8 लाख लोगों की जान गई थी. केंद्रीय सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) ने बताया था कि इनमें से 30,000 लोगों की मौत हेलमेट नहीं पहनने के कारण हुई थी. मरने वालों में करीब 66 फीसदी लोग 18 से 34 साल की उम्र के थे. इससे पहले साल 2023 में भी 1.7 लाख लोगों की मौत रोड एक्सीडेंट में हुई थी. इसके बाद सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय ने 14 मार्च, 2024 को असम, हरियाणा, पंजाब, उत्तराखंड, चंडीगढ़ और पुडुचेरी में इस योजना को पायलट प्रोग्राम के तौर पर लागू किया था. इस पायलट प्रोग्राम को सफलता मिलने पर अब इसे पूरे देश में लागू कर दिया गया है.
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Accident होने पर अब पूरे देश में 'मुफ्त इलाज', कैसे और किन्हें मिलेगा लाभ, पढ़ें 5 पॉइंट्स