विश्व मानचित्र पर भारत अपनी आध्यात्मिकता की छटा बिखेर रहा है. कारण बना है यूपी के प्रयागराज में आयोजित हो रहा महाकुंभ 2025. करीब दो महीने तक चलने वाले इस भव्य उत्सव को लेकर आम से लेकर खास लोगों में जो उत्साह है वो देखने लायक है. ऐसा बिलकुल नहीं है कि महाकुंभ 2025 सिर्फ भारतीयों को अपनी तरफ आकर्षित कर रहा है. तमाम विदेशी पर्यटक भी ऐसे हैं जो खुद की खोज में प्रयागराज आए हैं और संगम में डुबकी लगाकर आध्यात्मिकता का आनंद ले रहे हैं.
प्रयागराज में आयोजित हो रहे इस भव्य उत्सव के अतिरिक्त, एक देश के रूप में भारत राम मंदिर का एक वर्ष पूरा कर रहा है. ज्ञात हो कि 22 जनवरी, 2024 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत और अन्य गणमान्य लोगों के साथ एक साल पहले प्राण प्रतिष्ठा समारोह की अध्यक्षता की थी. जिससे स्थल पर कानूनी और राजनीतिक लड़ाई का अंत हो गया.
जैसा की हम ऊपर ही आपको इस बात से अवगत करा चुके हैं कि अयोध्या में नवनिर्मित राम मंदिर में राम लला की प्राण प्रतिष्ठा को एक साल पूरे हो गए हैं और साथ ही राम मंदिर- बाबरी मस्जिद का वो विवाद भी ख़त्म हो गया है, जो बरसों से देश की जनता के बीच कौतूहल का विषय रहा है.
अब जबकि पूरा देश राम मंदिर के एक साल पूरा होने के जश्न में डूबा है और खुशियां मना रहा है. हमारे लिए भी ये बेहद ज़रूरी हो जाता है कि हम उन तथ्यों पर बात करें जिनको जानने के बाद इस बात की अनुभूति हो जाएगी कि अयोध्या में बना भव्य राम मंदिर यूं ही देश दुनिया के आकर्षण का केंद्र नहीं है. इसकी खासियतें इसे भारत के अन्य मंदिरों से अलग बनाती हैं.
राम मंदिर की वास्तुकला
तीन मंजिल में बने अयोध्या स्थित राम मंदिर को विभिन्न स्थापत्य शैलियों का उपयोग करके बनाया गया है. जानकारों का मानना है कि इसे पारंपरिक नागर शैली में बनाया गया है, राम मंदिर के निर्माण में मिर्जापुर से आए गुलाबी बलुआ पत्थरों के अलावा राजस्थान के भरतपुर के बंसी-पहाड़पुर क्षेत्र की पहाड़ियों का उपयोग किया गया है.
कौन हैं रामलला की मूर्ति को आकार देने वाले मूर्तिकार
शायद आपको ये बात हैरान करे. लेकिन राम मंदिर में राम लला की मूर्ति के लिए जिस काले ग्रेनाइट का इस्तेमाल किया गया है, उसे 2.5 अरब साल पुराना और प्री-कैम्ब्रियन युग का बताया जाता है. मैसूर के मूर्तिकार अरुण योगीराज ने पांच साल की राम लला की मूर्ति को हाथ से बनाया है. जिसे अब 'गर्भगृह' में स्थापित किया गया है. राम मंदिर में लगी राम लला की मूर्ति 51 इंच लंबी है.
राम मंदिर परिसर में अन्य देवता!
इस विषय में जो जानकारी अयोध्या स्थित राम मंदिर प्रशासन की तरफ से आई है. उसके मुताबिक मंदिर परिसर में आगामी चरणों में महर्षि वाल्मीकि, महर्षि वशिष्ठ, महर्षि विश्वामित्र, महर्षि अगस्त्य, निषाद राज, माता शबरी आदि को समर्पित मंदिर भी बनाए जाएंगे.
राम मंदिर के लिए अशोक वाटिका से भी आई है एक शिला
बताते चलें कि जिस समय राम मंदिर के अभिषेक समारोह का आयोजन हुआ, उस समय श्रीलंका से आए एक प्रतिनिधिमंडल ने मंदिर का दौरा किया था और तब उनके द्वारा मंदिर के लिए श्रीलंका स्थित ऐतिहासिक अशोक वाटिका से एक शिला भेंट की गई थी. अशोक वाटिका को लेकर पौराणिक मान्यता यही है कि ये रावण के राज्य में एक उद्यान था जहां उसने देवी सीता को बंदी बनाकर रखा था.
बेजोड़ और टिकाऊ है अयोध्या स्थित राम मंदिर
अयोध्या स्थित राम मंदिर कुछ ऐसे निर्मित किया गया है कि ये लंबे समय तक टिका रहे. बताया जाता है कि इसके निर्माण में किसी भी प्रकार के लोहे का इस्तेमाल नहीं किया गया है. मंदिर का निर्माण कम से कम 1,000 साल तक ठीके रहने के लिए किया गया है.
क्या है अयोध्या का ऐतिहासिक महत्व
अयोध्या का शुमार भारत के उन नगरों में है. जो बेहद प्राचीन तो है ही साथ ही ये पवित्र भी है. चूंकि सनातन धर्म के मानने वाले लोगों के लिए यह शहर एक बेहद महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है इसलिए साल भर यहां भक्तों का जमावड़ा रहता है. बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 5 अगस्त, 2020 को अयोध्या के भव्य राम मंदिर की आधारशिला रखी थी.
राम मंदिर निर्माण की कुल लागत
श्री राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण का प्रबंधन पूरी तरह से श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट द्वारा किया गया था. मंदिर कितना भव्य है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इस के निर्माण की अनुमानित लागत लगभग 1,800 करोड़ रुपये के आस पास है.
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