डीएनए हिंदी: Manipur News- पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी दो दिन के दौरे पर गुरुवार को मणिपुर पहुंच गए हैं. वे दिल्ली से हवाई जहाज के जरिये मणिपुर की राजधानी इंफाल पहुंचे हैं, जहां से वे छुराछंदपुर जिले के राहत शिविरों में जाएंगे, जहां मणिपुर हिंसा के दौरान विस्थापित हुए पीड़ितों से मुलाकात करेंगे. इसके अलावा भी वे राज्य में कई जगह जाएंगे. हालांकि देश की मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस के प्रमुख नेता होने के कारण हिंसा प्रभावित इलाके में राहुल का यह दौरा आम बात कही जा सकती है, लेकिन हिंसा की शुरुआत के दो महीने बाद अचानक मणिपुर दौरे ने राजनीतिक सरगर्मी बढ़ा दी है. उनके दौरे के पीछे कांग्रेस का लॉन्ग टर्म प्लान माना जा रहा है, जिससे पार्टी को नॉर्थ-ईस्ट में अपनी खो चुकी अहमियत दोबारा वापस पाने की उम्मीद दिखाई दे रही है.
पहले जानिए क्या हुआ है हिंसा में अब तक
मणिपुर में 3 मई को कुकी आदिवासी समुदाय और मैतेई समुदाय के बीच जातीय हिंसा शुरू हुई थी. हिंसा का कारण मैतेई समुदाय की आदिवासी वर्ग में शामिल करने की मांग पर हाई कोर्ट की तरफ से मंजूरी की मुहर लगना था, जिसका विरोध कुकी समुदाय कर रहा है. इस हिंसा में अब तक 56 दिन में 120 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं और करोड़ों रुपये की संपत्ति खाक हो चुकी है. राज्य में भारतीय सेना की तैनाती के बावजूद हिंसा नहीं थमी है. इसके बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सर्वदलीय बैठक बुलाई थी, जिसमें कई दलों ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की है.
आपके राहुल गांधी प्रेम, भाईचारा, अमन का पैगाम लेकर मणिपुर पहुंच गए हैं।
— Congress (@INCIndia) June 29, 2023
कुछ वक्त में वो हिंसा के पीड़ितों से मिलेंगे। pic.twitter.com/4nolu8TcIc
कांग्रेस के लिए भाजपा विरोधी बनी हिंसा में दिख रहा अवसर
दो महीने के दौरान हिंसा का रुख भाजपा विरोधी बनता नजर आया है. इन 56 दिन के दौरान दंगाइयों ने इंफाल समेत अन्य इलाकों में खासतौर पर हिंसा में भाजपा के राज्य सरकार में शामिल मंत्रियों व नेताओं को निशाना बनाया है. भाजपा नेताओं की कॉमर्शियल संपत्तियों और आवासों पर हमले करने के बाद उन्हें जलाया गया है. केंद्रीय मंत्री आरके रंजन सिंह का भी आवास जला दिया गया है. इससे राज्य में भाजपा विरोधी माहौल बनने के संकेत मिल रहे हैं. हिंसा के दौरान करीब 50,000 लोग विस्थापित हुए हैं. इन्हें मणिपुर में ही कई जगह और आसपास के राज्यों मेघालय, मिजोरम व असम में राहत शिविर बनाकर रखा गया है. इन लोगों में भी भाजपा विरोधी रुख पनप रहा है. कांग्रेस इस भाजपा विरोधी रुख में अपने लिए नॉर्थ-ईस्ट में वापसी का अवसर देख रही है. माना जा रहा है कि इसी कारण राहुल गांधी का दौरा कराया गया है ताकि पीड़ितों और उनके समर्थकों को पार्टी के समर्थन में लाया जा सके.
पीएम मोदी के नहीं जाने का लाभ लेना चाहती है कांग्रेस
मणिपुर में दो महीने से चल रही हिंसा में केंद्र की भाजपा सरकार की तरफ से अब तक गृहमंत्री अमित शाह ही सक्रिय दिखे हैं. शाह चार दिन तक पिछले महीने मणिपुर में रहे भी थे और विभिन्न पक्षों से मुलाकात की थी. हालांकि पीएम नरेंद्र मोदी के अब तक मणिपुर नहीं जाने को विपक्ष ने मुद्दा बनाया हुआ है. पीएम मोदी के नहीं जाने से भी माहौल में भाजपा विरोधी नाराजगी है. इस कारण भी कांग्रेस ने अपने सबसे बड़े नेता राहुल गांधी को मणिपुर लाकर माहौल को अपने पक्ष में मोड़ने की रणनीति बनाई है.
कांग्रेस लगातार बोल रही है भाजपा पर हमला
मणिपुर हिंसा को लेकर कांग्रेस लगातार भाजपा पर हमलावर है. राज्य सरकार से भी ज्यादा कांग्रेस के निशाने पर केंद्र की भाजपा सरकार रही है, क्योंकि राज्य सरकार में भाजपा सेकंड नंबर की भूमिका में है. मणिपुर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष केशाम मेघचंद्र सिंह ने राहुल के इंफाल पहुंचने से पहले ANI से कहा, मौजूदा स्थिति में मणिपुर में शांति कायम नहीं हो सकती है. डबल इंजन सरकार यहां हालात काबू करने लायक नहीं है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह से हमें उम्मीद नहीं है. यहां पूरी तरह कानून-व्यवस्था फेल हो चुकी है.
इंफाल पहुंचे ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी (AICC) के नागालैंड प्रभारी अजॉय कुमार ने भी ANI से कहा, केंद्र सरकार ने मणिपुर की खबरों को दबाने की कोशिश की है. राहुल गांधी का दौरा देश का ध्यान इस राज्य के हालात पर फोकस कराने की कोशिश है. मणिपुर में 200 से ज्यादा हत्या, 1000 से ज्यादा घर जलाने के मामले, 700 से ज्यादा पूजास्थल व गिरिजाघरों में तोड़फोड़ हुए है. 50,000 से ज्यादा लोग बेघर हैं. इस दौरे से दुनिया का ध्यान इस तरफ जाएगा. राज्य की डबल इंजन सरकार अब 'ट्रिपल समस्या' वाली बन चुकी है. राहुल गांधी के दौरे से प्रधानमंत्री को सीख लेनी चाहिए, लेकिन उन्हें कोई चिंता नहीं है.
विपक्षी दलों का भी मिल रहा राहुल को समर्थन
राहुल के दौरे के समर्थन में विपक्षी दल भी खड़े हो गए हैं. शिवसेना (उद्धव ठाकरे) के सांसद संजय राऊत ने ANI से कहा, मणिपुर हिंसा में चीन का हाथ है, लेकिन सरकार उसका नाम लेने को तैयार नहीं है. मणिपुर जल रहा है और पीएम, गृह मंत्री व रक्षा मंत्री हवाई बातें कर रहे हैं. हमें पीएम के अमेरिका जाने से पहले मणिपुर जाकर जनता से मिलने की उम्मीद थी. सर्वदलीय बैठक में हमने साझा प्रतिनिधिमंडल मणिपुर ले जाकर जनता को विश्वास में लेने की मांग की थी, लेकिन इस पर भी सरकार की चुप्पी है. ऐसी हालत में राहुल मणिपुर जाकर वहां की जनता से मिल रहे हैं और इससे शांति बनती है तो हम उनका स्वागत कर रहे हैं. राऊत ने आगे कहा कि राहुल गांधी का एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल भी मणिपुर ले जाने की कोशिश करनी चाहिए.
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हिंसा शुरू होने के दो महीने बाद मणिपुर क्यों पहुंचे हैं राहुल गांधी, क्या है कांग्रेस का प्लान, क्या इससे मिलेगा लाभ