Pakistan Jaffar Express Train Hijack: आतंकवाद और आतंकवादियों की आरामगाह रहे पाकिस्तान ने शायद ही कभी सोचा हो कि दुनिया जलाने के मकसद से उसने जिस चिंगारी को हवा दी, वो कभी उसका ही अस्तित्व खत्म कर देगी. अब ऐसा ही हो रहा है. खबर है कि बलूचिस्तान प्रांत के सुदूर पहाड़ी इलाके में बलूच आतंकवादियों ने ट्रेन यात्रियों को बंधक बना लिया है. बलूच लिबरेशन आर्मी (बीएलए) ने 450 से ज़्यादा यात्रियों के अपहरण की ज़िम्मेदारी ली है, जिसमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं. बीएलए ने कहा कि अगर बंधकों को छुड़ाने की कोशिश की गई तो इसके 'गंभीर परिणाम' होंगे.

कई मीडिया आउटलेट्स के मुताबिक, यह घटना मंगलवार दोपहर सिबी प्रांत के पास हुई. बलूच विद्रोहियों ने पाकिस्तानी सेना के बुनियादी ढांचे पर कई हमले किए हैं और इस क्षेत्र में काम कर रहे चीनी इंजीनियरों को भी निशाना बनाया है, उनका दावा है कि बाहरी लोग इस क्षेत्र की संपत्ति से मुनाफ़ा कमा रहे हैं.

विद्रोही पाकिस्तान से अलग होकर अपना एक अलग देश बनाना चाहते हैं और उनका दावा है कि वे ऐसा इसलिए कर रहे हैं क्योंकि पाकिस्तानी राज्य ने बलूच निवासियों पर कई हमले किए हैं जिसमें हजारों लोगों ने अपनी जान गंवाई है. बलूच विद्रोहियों द्वारा अलग देश की मांग करने के पीछे एक कारण जबरन गायब होना भी है.

बलूचिस्तान के निवासियों ने पहले दावा किया है कि वे जातीय भेदभाव के अधीन हैं.  संयुक्त राष्ट्र का हवाला देते हुए फ्रांसीसी समाचार एजेंसी ले मोंडे की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि जनवरी 2024 तक, जबरन गायब होने की संयुक्त राष्ट्र जांच आयोग ने 2011 से पाकिस्तान में कुल 10,078 जबरन गायब होने की रिपोर्ट की है, जिसमें बलूचिस्तान से 2,752 मामले शामिल हैं.

वॉयस फॉर बलूच मिसिंग पर्सन्स (VBMP) का दावा है कि 2001 से 2017 के बीच लगभग 5,228 बलूच लोग लापता हुए. ध्यान रहे कि बलूचिस्तान दक्षिण-पश्चिमी पाकिस्तान में है और देश के भूमि क्षेत्र का लगभग 44% हिस्सा बनाता है, लेकिन पाकिस्तान के 240 मिलियन लोगों में से केवल 6% लोग ही वहां रहते हैं.

यह प्रांत ईरान और तालिबान शासित अफ़गानिस्तान के साथ सीमा साझा करता है और अरब सागर के साथ इसकी लंबी तटरेखा है. बलूच लोग सबसे बड़ा जातीय समूह हैं, उसके बाद पश्तून हैं. प्रांत का नाम बलूच जनजाति के नाम पर रखा गया है, जो सदियों से वहां रहती है.

बलूचिस्तान गैस और खनिजों जैसे प्राकृतिक संसाधनों से समृद्ध है और चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की बेल्ट एंड रोड पहल के हिस्से के रूप में, इस क्षेत्र में ओमान की खाड़ी के पास ग्वादर में एक गहरे समुद्र का बंदरगाह है.

जब से पाकिस्तान ने 1948 में बलूचिस्तान पर नियंत्रण किया है, तब से इस क्षेत्र में कई विद्रोह हुए हैं, जो राजनीतिक उपेक्षा, आर्थिक शोषण और सांस्कृतिक दमन के कारण गुस्से से भड़के हैं. प्राकृतिक गैस, कोयला, तांबा और सोने के अपने समृद्ध भंडार के बावजूद, बलूचिस्तान देश का सबसे गरीब प्रांत बना हुआ है. 

पाकिस्तानी सरकार द्वारा जारी किए गए सरकारी आंकड़ों से पता चलता है कि पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था में इसका योगदान उसके संसाधनों की तुलना में बहुत कम है और यहां के लोग राष्ट्रीय औसत से बहुत कम कमाते हैं.

पाकिस्तान, जो 2023 से आर्थिक संकट के साथ-साथ राजनीतिक संकट का सामना कर रहा है, हाल के दिनों में ऐसे कई हमलों का साक्षी बना है जिसमें पाकिस्तानी सेना को निशाना बनाया गया है.  पिछले कुछ वर्षों में अलगाववादी बलूच लिबरेशन आर्मी (बीएलए), यूनाइटेड बलूच आर्मी (यूबीए), पाकिस्तान तालिबान और अन्य आतंकवादी समूहों द्वारा हमलों का नेतृत्व किया गया है, जिन्होंने आर्थिक और राजनीतिक अनिश्चितता का फायदा उठाया है.

बलूच विद्रोही इसलिए भी नाराज़ हैं क्योंकि बलूच यकजेहती समिति (बीवाईसी) (एक समिति जो बलूच अधिकारों के लिए शांतिपूर्ण प्रदर्शनों का आह्वान करती है,) को पिछले साल ग्वादर और इस्लामाबाद में मार्च निकालने पर पुलिस की बर्बरता का सामना करना पड़ा था.

उन्होंने यह भी मांग की कि पाकिस्तानी सरकार कार्यकर्ता महरंग बलूच को न्यूयॉर्क में टाइम पत्रिका द्वारा आयोजित सेमिनार में भाग लेने के लिए देश छोड़ने की अनुमति दे और वे तब नाराज थे जब पिछले साल अक्टूबर में उन्हें देश छोड़ने की अनुमति नहीं दी गई थी.

चीन की नीतियों से भी नाराज हैं  बलूचिस्तान के लोग 

क्षेत्र में चीनी परियोजनाओं ने बलूच निवासियों को भी नाराज कर दिया है, जिनका दावा है कि क्षेत्र में लगाए जा रहे सेलफोन टावरों का इस्तेमाल निगरानी के लिए किया जा रहा है. उन्होंने कई मौकों पर दावा किया कि इनका इस्तेमाल बलूच युवाओं की जासूसी करने के लिए किया जाता है.

आलोचकों का कहना है कि CPEC मुख्य रूप से इस्लामाबाद में केंद्र सरकार और चीनी निवेशकों को लाभ पहुंचाता है, जबकि स्थानीय लोगों की ज़रूरतों और उम्मीदों को पूरा करने के लिए बहुत कम किया गया है. वर्षों से  बलूचिस्तान के समृद्ध प्राकृतिक संसाधनों को बिना किसी उचित मुआवजे या लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के प्रयासों के छीन लिया गया है.

CPEC ने हालात को और भी बदतर बना दिया है, क्योंकि बड़ी परियोजनाओं ने पर्यावरण को नुकसान पहुंचाया है और समुदायों को अपने घर छोड़ने पर मजबूर किया है. खनन और निर्माण ने जंगलों को नष्ट कर दिया है, कृषि भूमि को कम कर दिया है और जल स्रोतों को प्रदूषित कर दिया है, जिससे स्थानीय लोगों को अपनी जीवन शैली को बनाए रखने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है.

बहरहाल अब जबकि बलूचिस्तान की तरफ से इतनी बड़ी वारदात को अंजाम दे दिया गया है जाहिर है कि इससे पूरी दुनिया में पाकिस्तान और वर्तमान प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ की खूब जबरदस्त किरकिरी हो रही है. सवाल ये है कि ट्रेन में यात्रा करते लोगों को यदि कुछ होता है तो क्या उसकी जिम्मेदारी लेंगे मुल्क के हुक्मरान? 

जाते जाते हम फिर उसी बात को दोहराएंगे कि सवाल तमाम हैं. जिनके जवाब वक़्त देगा. लेकिन जो वर्तमान है वो ये बता रहा है कि इतनी फजीहत के बावजूद जिस बेशर्मी से पाकिस्तान तर्क दे रहा, वो यह बताने के लिए काफी है कि अब वाक़ई इस मुल्क और यहां के निजाम का अल्लाह ही मालिक है. 

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Pakistan Jaffar Express Train Hijack reason is Baloch rebels fighting the Pakistani state for decades to control the brutality on Balochistan
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बलूचिस्तान संकट कितना गहरा? कैसे बता रहा है पाकिस्तान में हुआ ट्रेन अपहरण?
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बलोच आतंकियों ने ट्रेन को किडनैप कर पाकिस्तान को उसी की भाषा में जवाब दिया है
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बलूचिस्तान संकट कितना गहरा? बता रहा है पाकिस्तान में हुआ ट्रेन अपहरण, किन मुद्दों पर हो रहा बवाल? 

 

 

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