डीएनए हिंदी: Bihar News- अगले साल लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections 2024) में एकजुट विपक्ष उतारने का बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का सपना अधर में ही दिखाई दे रहा है. नीतीश कुमार ने 'एक सीट-एक संयुक्त प्रत्याशी' वाले विपक्षी महागठबंधन पर सहमति बनाने के लिए पटना में 12 जून के महापंचायत का आयोजन कर रखा है, लेकिन यह महापंचायत महज कुछ लोगों का जमावड़ा ही बनती दिखाई दे रही है. कारण है इस बैठक में वरिष्ठ नेताओं ने शामिल होने पर बन रहा संशय. हालांकि कांग्रेस ने राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे की गैरमौजूदगी के बावजूद बैठक में शामिल होने की घोषणा कर नीतीश को राहत दी है, लेकिन कई अन्य दलों के नेताओं के बैठक से दूरी बना लेने के चलते यह अभियान सफल होता नहीं दिख रहा है.
कांग्रेस के शामिल होने पर भी था संशय
पहले इस बैठक में कांग्रेस के भी शामिल होने पर संशय के बादल छाए हुए थे. कारण था 12 जून को पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का अमेरिका में होना और पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का एक निजी काम में व्यस्त रहना. कांग्रेस ने बैठक की तारीख को आगे बढ़ाकर 23 जून करने का आग्रह किया था, लेकिन उस पर नीतीश तैयार नहीं थे. इसके चलते कांग्रेस के बैठक से दूर रहने की संभावना लग रही थी, लेकिन गुरुवार को कांग्रेस के महासचिव (कम्युनिकेशन) व वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने इस संशय को दूर कर दिया. जयराम रमेश ने कहा, हम 12 जून को पटना में होने वाली बैठक में भाग लेंगे. हालांकि हमारी तरफ से कौन भाग लेगा, ये तय किया जाना अभी बाकी है.
#WATCH हम 12 जून को पटना में होने वाली बैठक में भाग लेंगे। हमारी तरफ से कौन भाग लेगा, ये तय किया जाना बाकी है: बिहार के पटना में सभी विपक्षी दलों की होने वाली बैठक पर जयराम रमेश, कांग्रेस pic.twitter.com/sxzosT3yj1
— ANI_HindiNews (@AHindinews) June 1, 2023
तमिलनाडु के सीएम और माकपा महासचिव भी रहेंगे नदारद
बैठक में द्रमुक सुप्रीमो और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने भी एक निजी कारण के चलते आने में असमर्थता जता दी है. हालांकि नीतीश के चेन्नई दौरे के दौरान स्टालिन ने उन्हें एकजुट विपक्ष का हिस्सा बनने का पक्का आश्वासन दिया था. उधर, माकपा महासचिव सीताराम येचुरी के नहीं आने को कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं की गैरमौजूदगी से जोड़ा जा रहा है. दरअसल इस बैठक को बुलाने के पीछे पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का दिमाग था. उन्होंने ही नीतीश को जयप्रकाश नारायण की धरती से एक बार फिर केंद्रीय सत्ता को हिलाने वाली एकजुट विपक्षी हुंकार सुनाने की सलाह दी थी. माकपा पहले इस गठजोड़ में कांग्रेस के साथ गठबंधन में होने के नाम पर शामिल हो रही थी, लेकिन कांग्रेस के बिना वामपंथी दल ममता के साथ खड़े हुए नहीं दिखना चाहते हैं. इसका कारण बंगाल की राजनीति में दोनों के बीच घोर दुश्मनी होना भी है.
पूरे देश में न्योता देने गए थे नीतीश
नीतीश कुमार संयुक्त विपक्ष का मुख्य चेहरा बनने के लिए रात-दिन कवायद में जुटे हुए हैं. उन्होंने अपनी इस बैठक को सफल बनाने के लिए पूरे देश का दौरा किया है. इस दौरान उन्होंने सभी दिग्गज नेताओं से मिलकर उन्हें बैठक में आने का न्योता भी दिया. नीतीश ने इस दौरान शरद पवार, ममता बनर्जी, उद्धव ठाकरे, नवीन पटनायक, अखिलेश यादव, के. चंद्रशेखर राव, राहुल गांधी, अरविंद केजरीवाल, मल्लिकार्जुन खड़गे समेत सभी दिग्गज नेताओं से मुलाकात की है. इन सभी के बैठक में आने की संभावना थी, लेकिन अब एक के बाद एक कई नेताओं की गैरमौजूदगी की खबरों ने विपक्षी एकजुटता को सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया है.
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Mission 2024: कांग्रेस होगी विपक्ष की महापंचायत में शामिल, फिर भी क्यों लग रहा नीतीश के विपक्षी एकता अभियान को झटका