New Sim Card Rules: देश में साइबर क्राइम की घटनाएं बढ़ती ही जा रही हैं. इसके चलते केंद्र सरकार पर कुछ ऐसा कदम उठाने का दबाव बना हुआ है, जो साइबर अपराधियों की नाक में नकेल कस सके. साइबर क्राइम में अपराधियों का सबसे बड़ा हथियार नकली आईडी पर लिए गए सिमकार्ड होते हैं, जिनके जरिये पहचान छिपाकर अपराध को दूसरे के नाम से अंजाम दिया जा सकता है. अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने यह हथियार ही साइबर अपराधियों से छीनने की तैयारी कर ली है. इसके लिए पूरे देश में नया सिमकार्ड खरीदने के लिए डिजिटल इंटिग्रेटिड वेरीफिकेशन सिस्टम (Digital Integrated Verification System) लागू किया जा रहा है. दूरसंचार विभाग ने सभी टेलिकॉम कंपनियों को इसे लागू करने का आदेश दे दिया है. DIVS के लागू होने से नया सिमकार्ड लेने के नियम और ज्यादा सख्त हो गए हैं. दावा किया जा रहा है कि इस आधार नंबर बेस्ड बायोमीट्रिक वेरीफिकेशन सिस्टम (Aadhaar Based Biometric Verification System) के लागू होने के बाद अब नया सिमकार्ड लेना आसान नहीं होगा.
10 एंगल से क्लिक होगा आपका फोटो
DIVS के लागू होने पर नया सिमकार्ड जारी करने की प्रक्रिया बहुत लंबी हो जाएगी. इसके लिए मोबाइल कंपनियों को कई चरण पर जांच करनी होगी. इसके बाद ही नया सिमकार्ड दिया जाएगा. कंपनियों को सिमकार्ड लेने वाले कस्टमर की 10 अलग-अलग एंगल से ठीक उसी तरह फोटो क्लिक करनी होगी, जैसे जेल में भर्ती होने से पहले आप हॉलीवुड फिल्मों में किसी कैदी की फोटोज क्लिक होते हुए देखते हैं.
आधार नहीं तो सिमकार्ड नहीं
DIVS बायोमीट्रिक बेस्ड वेरीफिकेशन सिस्टम है, जिसके लिए सिमकार्ड खरीदने वाले व्यक्ति के पास आधार नंबर (Aadhaar Number) होना अनिवार्य होगा. अब कोई भी सिमकार्ड सेलर महज वोटर आईडी कार्ड, पासपोर्ट या आधार कार्ड की फोटोकॉपी लेकर नया सिम नहीं दे पाएगा. उसे पहले कस्टमर का आधार बेस्ड बायोमीट्रिक वेरीफिकेशन पूरा करना होगा. इसके बाद ही सिमकार्ड इश्यू किया जा सकता है. यदि ऐसा नहीं किया जाएगा तो वह सिमकार्ड कंपनी चालू नहीं कर सकती है.
एक से ज्यादा सिमकार्ड तो होगी इसकी भी जांच
DIVS के तहत नया सिमकार्ड जारी करते समय टेलीकॉम कंपनियों को यह भी जांच करनी होगी कि उस कस्टमर ने कितने सिमकार्ड ले रखे हैं. यदि उसके नाम पहले से सिमकार्ड जारी है तो इसकी जानकारी टेलीकॉम डिपार्टमेंट को देनी होगी ताकि उसकी निगरानी की जा सके. माना जाता है कि कई सिम इश्यू कराने वाले लोगों द्वारा इनका इस्तेमाल साइबर अपराध या रंगदारी वसूलने जैसे अपराध करने की संभावना ज्यादा होती है.
PMO के आदेश पर की जा रही है कवायद
पिछले महीने सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यालय (PMO) से टेलीकॉम डिपार्टमेंट को नए सिमकार्ड के लिए आधार बेस्ड वेरीफिकेशन लागू करने का आदेश दिया गया था. यह कदम साइबर क्राइम पर रोक लगाने की कवायद के तहत उठाया गया था. PMO ने यह आदेश जांच एजेंसियों की बात में यह तथ्य सामने आने के बाद दिया था कि फाइनेंशियल फ्रॉड में यूज किए गए एक-एक मोबाइल से कई-कई सिमकार्ड चलाए गए हैं.
साइबर फ्रॉड के खिलाफ सरकारी मुहिम
- केंद्र सरकार अब तक ऐसे 2.50 करोड़ सिमकार्ड ब्लॉक कर चुकी है, जो जांच के दौरान फर्जी पाए गए हैं.
- केंद्र सरकार जल्द ही ऐसे फ्रॉड को रोकने के लिए एक AI बेस्ड टूल भी लॉन्च करने जा रही है.
- यह AI टूल संदिग्ध मोबाइल नंबरों की ट्रैकिंग करेगा और उसकी फ्रॉड से जुड़ी गतिविधियों की निगरानी करेगा.
- फर्जी दस्तावेजों पर सिमकार्ड जारी करने वाले दुकानदारों पर भी शिकंजा कसा जा रहा है. उन्हें कड़ी सजा भी दी जाएगी.
- जिन लोगों के नाम पर फर्जी आईडी से कई-कई सिमकार्ड जारी पाए जाएंगे, उनकी गतिविधियों की रेगुलर निगरानी होगी.
सरकार को क्यों लागू करना पड़ा है DIVS?
देश में साइबर क्राइम का आंकड़ा तेजी से बढ़ा है. रोजमर्रा की जिंदगी में अब बैंक जाने के बजाय यूपीआई (UPI), डेबिट/क्रेडिट कार्ड या नेटबैंकिंग (Net Banking) के जरिये भुगतान का चलन बढ़ा है. ऐसे में साइबर क्रिमिनल्स को भी दूसरे के साथ फ्रॉड करने का ज्यादा मौका मिल रहा है. इस पर अंकुश लगाने के लिए DIVS लागू किया जा रहा है ताकि टेलीकॉम सेक्टर में सिक्योरिटी मानकों को ज्यादा मजबूत किया जा सके.
- अपराधी दूसरे के नाम पर फर्जी दस्तावेजों से सिमकार्ड लेते हैं, जिसके चलते जांच एजेंसिंयां उनकी गतिविधि ट्रैक नहीं कर पाती हैं.
- फर्जी आईडी पर लिए गए सिमकार्ड आमतौर पर फिशिंग और ऑनलाइन फ्रॉड जैसे अपराधों में उपयोग होते हैं.
- अनवेरीफाइड मोबाइल नंबर आसानी से मिल जाने के कारण अपराधियों द्वारा के फाइनेंशियल फ्रॉड बढ़ते जा रहे हैं.
- अनवेरीफाइड सिमकार्ड का उपयोग अवैध गतिविधियों में बढ़ने के कारण टेलीकॉम सेक्टर की विश्वसनीयता खत्म हो रही है.
- आधार बेस्ड बायोमीट्रिक वेरीफेकशन के जरिये सरकार का मकसद फर्जी सिमकार्ड्स को नेटवर्क से बाहर कर देना है.
कैसे काम करेगी नया SIM Card Verification Process?
DIVS में नए आधार-बेस्ड वेरीफिकेशन सिस्टम के जरिये मल्टीपल सिक्योरिटी लेयर्स रहेंगी जो हर सिमकार्ड के एक वेरीफाइड आइडेंटिटी से लिंक होने की बात सुनिश्चित करेंगी. आइए आपको बताते हैं कि यह सिस्टम कैसे काम करेगा-
- कस्टमर को नया सिमकार्ड खरीदने के लिए बायोमीट्रिक वेरीफिकेशन कराना होगा, जिसके लिए उसे आधार डाटा उपलब्ध कराना होगा.
- रिटेलर्स नया सिमकार्ड जारी करने से पहले कस्टमर का बायोमीट्रिक डाटा (फिंगरप्रिंट्स या IRIS स्कैन) ऑथोंटिकेशन के लिए लेंगे.
- कस्टमर को सिमकार्ड देने से पहले उसका 10 अलग-अलग एंगल से फोटो क्लिक किया जाएगा, ताकि आइडेंटिटी फ्रॉड ना हो सके.
- टेलीकॉम कंपनियों को नया सिमकार्ड एक्टीवेट करने से पहले कस्टमर की सिमकार्ड हिस्ट्री यानी कितने सिम इश्यू हैं, ये भी चेक करना होगा.
- सिक्योरिटी चेक्स के लिए हर नए सिमकार्ड का डाटा डिजिटल इंटिग्रेटिड वेरीफिकेशन सिस्टम (SDIVS) में मेनटेन करके रखा जाएगा.
क्या होगा नए सिमकार्ड नियमों का लाभ?
आधार बेस्ड बायोमीट्रिक वेरीफिकेशन सिस्टम DIVS लागू होने से कई तरह के फायदे होंगे.
- फर्जी सिमकार्डों पर अंकुश लगने से साइबर क्राइम और ऑनलाइन फ्रॉड में कमी आएगी.
- कस्टमर्स पहले से ज्यादा सिक्योर हो जाएंगे, क्योंकि हर मोबाइल नंबर पूरी तरह वेरीफाई होगा. इससे साइबर क्राइम भी घटेंगे.
- सिमकार्ड जारी करने पर टेलीकॉम कंपनियों का ज्यादा कंट्रोल होने से टेलीकॉम रेगुलेशन का कंप्लायंस लागू होगा.
- जांच एजेंसियों को भी केंद्रीय डाटाबेस होने से मोबाइल कनेक्शन वेरीफाई करने और अपराधियों की निगरानी करने में ज्यादा मदद मिलेगी.
फ्रॉड रोकने के लिए बना सिस्टम ही ना करा दे 'फ्रॉड'
आधार-बेस्ड सिम वेरीफिकेशन सिस्टम को भले ही साइबर क्राइम रोकने वाला हथियार माना जा रहा है, लेकिन इससे कई तरह की चुनौतियां भी पैदा हो जाएंगी. इससे फ्रॉड रोकने के लिए बना सिस्टम ही आपसे 'फ्रॉड' करा सकता है. साथ ही डाटा सिक्योरिटी की भी चिंता बढ़ेगी.
- बायोमीट्रिक डाटा स्टोरेज व उसके उपयोग से कस्टमर्स का निजी डाटा चोरी होने की चुनौती पैदा हो जाएगी.
- ग्रामीण इलाकों में अब भी बायोमीट्रिक ऑथेंटिकेशन बहुत बड़ी समस्या है. ये चुनौती भी टेलीकॉम सेक्टर के सामने रहेगी.
- टेलीकॉम रिटेलर्स के लिए नए वेरीफिकेशन सिस्टम को लागू करना बहुत ही असुविधाजनक साबित हो सकता है.
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क्या है DIVS, जिसके बाद नया सिमकार्ड लेना भारी, जेल के कैदियों जैसी क्लिक होगी आपकी फोटो