डीएनए हिंदी: Naya Sansad Bhavan Boycott- पहले ट्रांसफर/पोस्टिंग पावर पर अध्यादेश और अब नए संसद भवन का उद्घाटन, पिछले कुछ दिन में लगातार दो मुद्दों पर विपक्षी दल एकसुर में दिखाई दिए हैं. जहां कांग्रेस से लेकर टीएमसी तक सभी दलों ने अध्यादेश के खिलाफ आम आदमी पार्टी का संसद के अंदर साथ देने का ऐलान किया है, वहीं मंगलवार को सभी ने   नए संसद भवन के उद्घाटन के बहिष्कार की भी एक ही अंदाज में घोषणा की है. यह एकसुर पिछले कुछ दिन से विपक्षी एकता के मुद्दे पर लगातार भारत भ्रमण कर रहे बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की  विभिन्न दलों के मुखियाओं से मुलाकात के बाद दिखाई दिए हैं. ऐसे में एक्सपर्ट्स इनमें 'मिशन 2024' की झलक देखने लगे हैं. हालांकि भाजपा ने भी विपक्षी दलों पर पलटवार किया है. खासतौर पर भाजपा ने कांग्रेस को पुराने संसद भवन के मॉडीफिकेशन की याद दिलाकर इंदिरा गांधी और राजीव गांधी का जिक्र करते हुए घेरने की कोशिश की है.

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जारी हो चुका है नए संसद भवन के उद्घाटन का कार्यक्रम

करीब 862 करोड़ रुपये की लागत से सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत बने नए संसद भवन का उद्घाटन 28 मई को होगा. विपक्षी दलों की आपत्तियों के बावजूद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला की अध्यक्षता वाले कार्यक्रम में इसका उद्घाटन करेंगे. लोकसभा सचिवालय की तरफ से जारी औपचारिक आमंत्रण पत्र के हिसाब से यह समारोह 28 मई की दोपहर 12 बजे शुरू किया जाएगा. लोकसभा के सेक्रेटरी जनरल उत्पल कुमार सिंह की तरफ से विभिन्न सम्मानित हस्तियों को यह आमंत्रण पत्र भेजा गया है.

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विपक्षी दल इस मुद्दे पर आपत्ति जताकर कर रहे बायकॉट

कई विपक्षी दलों ने इस उद्घाटन समारोह का बायकॉट करने की घोषणा की है. उनकी आपत्ति है कि देश की विधायिका के सर्वोच्च भवन का उद्घाटन सर्वोच्च संवैधानिक पदों यानी राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू (President of India Droupadi Murmu) या उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ (Vice President Jagdeep Dhankhar) से कराया जाना चाहिए. विपक्षी दलों का कहना है कि ऐसा नहीं करके भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार राष्ट्रपति-उपराष्ट्रपति के साथ ही संविधान का भी अपमान कर रही है.

'मेरी गिनती बाहर रहने वालों में कीजिए'

तृणमूल कांग्रेस ने मंगलवार को स्पष्टतौर पर इस इवेंट से दूर रहने की घोषणा कर दी. TMC सांसद डेरेक ओब्रायन ने इसे 'I, ME and Myself' का इवेंट बताया. उन्होंने कहा, संसद महज नई इमारत नहीं बल्कि पुरानी परंपराओं, मूल्यों और नियमों का घर भी है. भारतीय लोकतंत्र की यह नींव है. रविवार को नए संसद भवन का उद्घाटन समारोह पीएम मोदी का 'मै, मुझे और मेरा' इवेंट है, इसलिए हमारी गिनती इससे बाहर रहने वालों में कीजिए.

'राष्ट्रपति को नहीं बुलाने के विरोध में हम बायकॉट करेंगे'

आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने भी ट्वीट के जरिये पार्टी के इस समारोह से दूर रहने की जानकारी दी. उन्होंने लिखा, महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को संसद भवन के उद्घाटन समारोह में नहीं बुलाना उनका घोर अपमान है. ये भारत के आदिवासी, वंचित और दलित समुदाय का अपमान है. मोदी द्वारा महामहिम राष्ट्रपति को नहीं बुलाने के विरोध में आम आदमी पार्टी भी उद्घाटन समारोह का बायकॉट करेगी.

वाम दलों ने भी की बायकॉट की घोषणा

वामपंथी दलों ने भी उद्घाटन समारोह के बहिष्कार की घोषणा की है. माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने, जबकि भाकपा महासचिव डी. राजा ने ट्वीट के जरिए इस कार्यक्रम में शामिल नहीं होने की घोषणा की है. येचुरी ने कहा कि नए संसद भवन की नींव रखते समय भी पीएम मोदी ने तत्कालीन राष्ट्रपति को नजरअंदाज किया था. अब उद्घाटन समारोह में भी यह काम अस्वीकार्य है.

कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा था- दलित राष्ट्रपति का अपमान है ये

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने सोमवार को ही इस पर आपत्ति जताई थी. उन्होंने कहा था कि ऐसा लगता है भाजपा ने महज चुनावी कारणों से दलित व आदिवासी समुदाय से राष्ट्रपति का निर्वाचन होने दिया था. नए संसद भवन की आधारशिला रखते समय तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को नहीं बुलाया गया था. अब भाजपा ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को नए संसद भवन के उद्घाटन में नहीं बुलाया है. संसद भारतीय गणतंत्र की सर्वोच्च संवैधानिक संस्था है और राष्ट्रपति सर्वोच्च संवैधानिक अधिकारी. वह अकेली सरकार विपक्ष और भारत के हर नागरिक की प्रतिनिधि हैं. वह देश की प्रथम नागरिक हैं. उनके द्वारा नए संसद भवन का उद्घाटन लोकतांत्रिक मूल्यों और संवैधानिक मर्यादा के प्रति सरका के दायित्व का प्रतीक होगा.

सरकार ने इतिहास याद दिलाकर किया है ऐसे पलटवार

केंद्र सरकार की तरफ से कांग्रेस पर केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने इतिहास की याद दिलाते हुए पलटवार किया है. उन्होंने ट्वीट में लिखा, कांग्रेस को ऐसे विवाद पैदा करने की आदत है, जो मौजूद ही नहीं हैं. यदि राष्ट्रपति राज्य के मुखिया हैं, तो प्रधानमंत्री सरकार के मुखिया हैं और सरकार की तरफ से संसद का नेतृत्व करते हैं, जिनकी नीतियां कानून की शक्ल में प्रभाव डालती हैं. राष्ट्रपति किसी भी सदन के सदस्य नहीं हैं, जबकि प्रधानमंत्री हैं.

सरकार की तरफ से उठाए गए हैं ये 5 सवाल

  1. नए संसद भवन का उद्घाटन प्रधानमंत्री द्वारा करने पर मच रहे हल्ले के खिलाफ सरकार ने इतिहास के हवाले से कई सवाल उठाए हैं. उन्होंने संसद से जुड़े कई आयोजनों का हवाला देते हुए कांग्रेस से ही सवाल पूछा है, जिसके हाथ में देश की आजादी के बाद सबसे ज्यादा समय तक सत्ता रही है. सरकारी सूत्रों के मुताबिक निम्न सवाल उठाए गए हैं.
  2. संसद परिसर में पहला बड़ा निर्माण 1970 में हुआ, जब तत्कालीन राष्ट्रपति वीवी गिरी ने 3 अगस्त 1970 को पार्लियामेंट एनेक्सी बिल्डिंग की नींव रखी. इसका उद्घाटन तत्कालीन कांग्रेसी प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 24 अगस्त, 1975 को किया. यह उद्घाटन उन्होंने संविधान के सभी नियमों को ताक पर रखकर देश में इमरजेंसी लागू करने के 4 महीने बाद किया था.
  3. संसद परिसर में दूसरा बड़ा निर्माण 15 अगस्त, 1987 को शुरू हुआ, जब तत्कालीन कांग्रेसी प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने पार्लियामेंट लाइब्रेरी बिल्डिंग की नींव रखी. इस बिल्डिंग की ग्राउंडब्रेकिंग सेरेमनी करीब सात साल बाद 17 अप्रैल, 1994 को तत्कालीन लोकसभा स्पीकर शिवराज पाटिल ने की.
  4. संसद के सेंट्रल हॉल में मौजूद पोट्रेट्स में से 20 का अनावरण देश के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद से पिछले राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद तक ने किया. दो का अनावरण तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने, जबकि 1-1 का अनावरण तत्कालीन प्रधानमंत्री वीपी सिंह और चंद्रशेखर ने किया. सेंट्रल हॉल में महज एक पोट्रेट का अनावरण तत्कालीन लोकसभा स्पीकर द्वारा किया गया. यह काम 13 मार्च, 1953 को तत्कालीन स्पीकर मावलंकर ने दादाभाई नौरोजी के पोट्रेट का अनावरण करते हुए किया.
  5. लोकसभा चैंबर या संसद की इनर लॉबी में मौजूद सभी पोट्रेट का अनावरण तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने किया था. डॉ. मनमोहन सिंह ने पार्लियामेंट म्यूजियम में अपने कार्यकाल में 7 पोट्रेट का अनावरण किया, जबकि अटल बिहारी वाजपेयी ने दो पोट्रेट का अनावरण किया. कांग्रेस प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव से मनमोहन सिंह का कार्यकाल खत्म होने के बीच संसद भवन के वेटिंग रूम में सात स्टैचू का अनावरण किया गया.

सोनिया गांधी ने किस हैसियत से किए थे उद्घाटन?

ANI के मुताबिक, सरकार के सूत्रों ने यह भी सवाल उठाया है कि पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने किस हैसियत से सरकारी आयोजनों के उद्घाटन किए थे. सरकार में कोई भी पद नहीं होने के बावजूद उन्होंने 28 जून, 2010 को हिमाचल प्रदेश में अटल टनल की नींव का पत्थर रखने का काम और 2009 में मुंबई के बांद्रा-वर्ली सी लिंक का उद्घाटन किस हैसियत से किया था? 

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New Parliament Building Inauguration के बायकॉट पर विपक्षी दल एकजुट, क्या मिशन-20
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संसद की नई इमारत के उद्घाटन के बायकॉट पर विपक्षी दल एकजुट, क्या मिशन-2024 की दिखने लगी झलक?