नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) एक ऐसी एजेंसी है जिसका काम गैरकानूनी ढंग से ड्रग्स के कारोबार, तस्करी और ड्रग संबंधित अपराधों पर नजर रखना है. यह जांच एजेंसी अक्सर चर्चा में बनी रहती है. कहीं सितारों के ऊपर एनसीबी का एक्शन चर्चा में होता है तो कहीं ड्रग्स सप्लाई की चेन पर एनसीबी का शिकंजा. नशे के कारोबार को रोकने के लिए एजेंसी लगाातर काम करती है. कभी सोचा है कि क्यों आखिर इस एजेंसी की जरूरत पड़ी, जब पुलिस और केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) जैसी संस्थाएं पहले से काम कर रही हैं.
भारत में कानून का सर्वोच्च और इकलौता स्रोत है संविधान. संविधान में राज्य के नीति निदेशक तत्वों के भीतर आने वाला अनुच्छेद 47 ड्रग्स के संबंध में एक निर्देश देता है. अनुच्छेद 47 के मुताबिक राज्य अफने लोगों के पोषाहार स्तर और जीवन स्तर सुधार और लोक स्वास्थ्य में सुधार को प्राथमिक कर्तव्य मानेगा. राज्य मादक पदार्थ (Intoxicating Drugs) और स्वास्थ्य के लिए हानिकारक औषधियों के इस्तेमाल पर रोक लगाएगा, केवल उन्हीं मादक पदार्थों के इस्तेमाल की इजाजत दी जा सकेगी, जिनका मेडिकल यूज होता हो.
संविधान के इसी अनुच्छेद को आधार बनाकर एनसीबी का गठन किया गया है. 17 मार्च 1986 को नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो का गठन केंद्र सरकार ने किया. इस एजेंसी का कंट्रोल और सुपरविजन केंद्र सरकार के पास है. नारकोटिक्स ड्रग एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंसेज एक्ट, 1985 और ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक एक्ट 1940 के तहत, एनसीबी अलग-अलग राज्यों के अधिकारियों के साथ काम करती है और ड्रग के गैरकानूनी तस्करी, सप्लाई पर रोक लगाती है.
कैसे पड़ी नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो की नींव?
भारत नशे के कारोबार की रोकथाम पर सबसे पहले पहल करने वाले वाले देशों में शुमार है. यही वजह है कि जब साल 1961 में नारकोटिक्स ड्रग पर कन्वेंशन बुलाई गई, तब भारत ने इस कन्वेंशन के दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किए थे. इसे 1972 के एक प्रोटोकॉल के तहत बात में संशोधित किया गया. साइकोट्रॉपिक स्बस्टेंसेज पर 1972 में हुए कन्वेंशन और 1988 में भी हुए कन्वेंशन का भी हिस्सा भारत रहा है. 1988 में संयुक्त राष्ट्र संघ में गैरकानूनी ड्रग स्करी पर कन्वेंशन बुलाई गई थी. सभी वैश्विक सम्मेलनों में मादक पदार्थों की गैरकानूनी तस्करी, कारोबार और रोकथाम पर चर्चा की गई थी. संविधान से इतर, इन सम्मेलनों का भी एनसीबी के गठन में अहम योगदान रहा है.
भारत नशे पर होने वाले वैश्विक सम्मेलनों का अहम हिस्सा रहा वहीं एजेंसियां लगातार ड्रग्स कंट्रोल पर काम करती रहीं. दि बोर्ड लेजिसलेटिव पॉलिसी 3 केंद्रीय कानूनों के तहत काम करती है. ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक एक्ट 1940, द नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंसेज एक्ट 1985 और द प्रिवेंशन ऑफ इलिक्ट ट्रैफिक एंड नारकोटिक ड्रग एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंसेज एक्ट 1988. मुख्य तौर पर इन तीनों एक्ट्स में ड्रग के धंधे पर नजर रखने की बात कही गई है. ड्रग्स से जुड़े मामलों पर केंद्र की नजर होती है. केंद्रीय मंत्रालयों, विभागों और संस्थानों के साझा प्रयासों के जरिए मादक पदार्थों पर कानून बनाए जाते हैं. वित्त मंत्रालय, राजस्व मंत्रालय की भी नोडल कॉर्डिनेशन में अहम भूमिका होती है.
क्या होता है एनसीबी का मुख्य काम?
नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो, केंद्र सरकार के अधीन काम करने वाली एक संस्था है जिसका मकसद ड्रग संबंधित कानूनों का अनुपालन कराना होता है. एनसीबी को अलग-अलग राज्यों के विभागों, सरकारों और संबंधित अधिकारियों का सहयोग मिलता है. एनसीबी तीनों अधिनियमों के तहत एक्शन ले सकती है. इस एजेंसी का काम अंतरराष्ट्रीय कानूनों, सम्मेलनों, प्रोटोकॉल, जिन्हें भारत में अपनाया गया है, उनका पलान कराना होता है. ड्रग की गैरकानूनी तस्करी रोकने के लिए अंतराष्ट्रीय स्तर पर संक्रिय संगठनों के साथ भी संपर्क में बने रहना होता है. वैश्विक स्तर पर ड्रग्स की तस्करी रोकने के लिए लगातार काम किए जाते हैं.
एनसीबी, ड्रग्स कंट्रोल पर काम करने वाली सर्वोच्च कॉर्डिनेटिंग संस्था है. यह एक प्रवर्तन एजेंसी (Enforcement agency) के तौर पर भी अपने जोन और अनुषांगिक संगठनों के जरिए काम करती है. एनसीबी के जोन अहमदाबाद, बेंगुलुरु, चंडीगढ़, चेन्नई, दिल्ली, गुवाहाटी, इंदौर, जम्मू, जोधपुर, कोलकाता, लखनऊ, मुंबई और पटना. एनसीबी के सब जोन अजमेर, अमृतसर, भुवनेश्वर, देहरादून, गोवा, हैदराबाद, इम्फाल, मंदसौर, मदुरै, मंडी, रायपुर, रांची और कोच्चि में हैं.
क्या होता है एनसीबी के अलग-अलग जोन का काम?
जोन और सब जोन नारकोटिक ड्रग की जब्ती, ट्रेंड्स, ड्रग्स तस्करों के काम करने के तरीके, इंटेलिजेंस इनपुट, कस्टम, राज्य पुलिस और अन्य प्रवर्तन एजेंसियों से संबंधित आंकड़े तैयार करते हैं. इन्हें मुख्यालय भेजा जाता है, जिसके बाद संबंधित अधिकारी इससे संबंधित एक्शन पर काम करते हैं.
किन सितारों पर गिर चुकी है एनसीबी की गाज?
ड्रग्स के दलदल में कई सितारे फंस चुके हैं. बॉलीवुड के सुपरहिट एक्टर्स में शुमार संजय दत्त भी ड्रग्स की वजह से जेल में एक वक्त गुजार चुके हैं. वहीं उनके बाद से अब तक कई सितारों ने जेल की हवा खाई है. सुशांत सिंह सुसाइड केस में ड्रग्स एंगल की एंट्री होने के बाद से ही लगातार एनसीबी चर्चा में है. ड्रग्स केस में रिया चक्रवर्ती, भारती सिंह, प्रतीक चौहान, अरमान कोहली, फरदीन खान, कपिल झावेरी, शबाना सईद, भारती सिंह और हर्ष जैसे सितारे एनसीबी के लॉकअप में रह चुके हैं. हाल ही में ड्रग्स केस में सुपरस्टार शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान का नाम सामने आया है जिसे एनसीबी के लॉकअप में कई रातें गुजारनी पड़ी हैं. वहीं ड्रग्स केस में दीपिका पादुकोण, सारा अली खान, रकुल प्रीत सिंह और नम्रता शिरोडकर जैसी अभिनेत्रियों का नाम सामने आ चुका है जिनसे एनसीबी पूछताछ कर रही है.
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