डीएनए हिंदी: देश की आजादी के 75 साल बाद भी 63 पुलिस स्टेशन ऐसे हैं, जिनके पास कोई गाड़ी नहीं है यानी इन थानों की पुलिस को पैदल ही अपराधी दबोचने पड़ते हैं. हालांकि बेहतर बात ये है कि पिछले तीन साल में ऐसे थानों की संख्या 4 गुना घटी है. इतना ही नहीं देश में भले ही 5G मोबाइल क्रांति हो गई हो, लेकिन 285 पुलिस स्टेशन ऐसे हैं, जहां ना तो मोबाइल और ना ही वायरलेस सिस्टम के जरिये संपर्क करने की सुविधा है. चिंता की बात ये है कि पिछले तीन साल के दौरान ऐसे थानों की संख्या घटना की बजाय बढ़कर दोगुनी हो गई है. इन थानों की जानकारी मंगलवार को केंद्रीय गृहराज्य मंत्री नित्यानंद राय ने लोकसभा में एक प्रश्न के जवाब में दी है.
नित्यानंद राय ने लोकसभा को दी यह जानकारी
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने एक सवाल के लिखित जवाब में बताया कि देश में फिलहाल 17,535 पुलिस स्टेशन सभी राज्यों में संचालित हो रहे हैं. इनमें से 63 पुलिस स्टेशन के पास एक भी सरकारी वाहन नहीं है, जबकि 628 पुलिस स्टेशनों में टेलीफोन कनेक्शन भी मौजूद नहीं है. राय ने लोकसभा को बताया कि देश में अब भी 285 पुलिस स्टेशन ऐसे हैं, जहां संपर्क करने के लिए ना तो वायरलेस सेट और ना ही मोबाइल फोन की सुविधा उपलब्ध है.
63 police stations in country do not have any vehicle, 628 police stations do not have telephone connection and 285 police stations don't have a wireless set or mobile phone: Govt tells Lok Sabha
— Press Trust of India (@PTI_News) March 14, 2023
पिछले साल लोकसभा में पेश किए थे ये आंकड़े
गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने पिछले साल भी लोकसभा में 1 जनवरी, 2020 तक के आंकड़ों के आधार पुलिस थानों में कमियों की जानकारी दी थी. तब उन्होंने बताया था कि देश में 257 पुलिस थाने ऐसे हैं, जिनमें कोई वाहन नहीं हैं यानी 2020 से 2023 के बीज तीन साल के दौरान करीब 194 थानों को वाहन मिले हैं. राय ने पिछले साल 638 पुलिस स्टेशन में टेलीफोन या टेलीकम्युनिकेशन डिवाइस नहीं होने की जानकारी दी थी. यह संख्या अभी तक 10 ही घट सकी है.
मोबाइल सुविधा से वंचित थाने हुए दोगुने
सबसे बड़ा आश्चर्य पिछले साल के आंकड़ों के आधार पर मोबाइल या वायरलैस सुविधा से वंचित थानों के आंकड़ों को देखकर है. पिछले साल नित्यानंद राय ने लोकसभा को लिखित जवाब में ऐसे थानों की संख्या 143 बताई थी, जबकि इस साल उन्होंने ऐसे थानों की संख्या 285 बताई है. संचार क्रांति के दौर में कम्युनिकेशन लिंक वाले थाने बढ़ने के बजाय इससे वंचित थानों की संख्या में दोगुने से ज्यादा बढ़ोतरी सरकारी कामकाज पर सवालिया निशान लगा रही है.
नक्सलवादी हिंसा में हुई है 77% कमी
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री ने मंगलवार को लोकसभा को यह भी बताया कि पिछले 12 साल के दौरान देश में नक्सलवादी या वामपंथी उग्रवाद से जुड़ी हिंसा घटी है. उन्होंने सांसद पशुपति नाथ सिंह के प्रश्न के लिखित जवाब में बताया कि साल 2010 के मुकाबले ऐसी हिंसा साल 2022 तक 77% तक घट चुकी है. इतना ही नहीं इस हिंसा के कारण सुरक्षा बलों के जवानों या आम नागरिकों की मौत का आंकड़ा 90% तक कम हो गया है. साल 2010 में ऐसी 1005 मौत दर्ज की गई थी, जबकि साल 2022 में यह आंकड़ा 98 मौत का रहा है.
Naxal violence in India fell 77 pc over past 12 years, number of deaths in related incidents also declined 90 pc during same period: Govt tells Lok Sabha
— Press Trust of India (@PTI_News) March 14, 2023
लगातार घट रहा है लाल झंडे का एरिया
गृह राज्य मंत्री ने ये भी बताया कि वामपंथी हिंसा का भौगोलिक एरिया भी लगातार घट रहा है. साल 2022 में देश के 45 जिलों के 176 पुलिस थानों में वामपंथी उग्रवाद (LWE) से जुड़ी हिंसा की रिपोर्ट दर्ज हुई, जबकि साल 2010 में 96 जिलों के 465 पुलिस थानों में ऐसी रिपोर्ट आई थी. खासतौर पर झारखंड में हिंसा की घटनाओं में 82 फीसदी कमी आई है. साल 2009 में झारखंड में सबसे ज्यादा 742 घटनाएं हुई थीं, जो 2022 में घटकर 132 रह गई हैं.
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