लोकसभा चुनाव 2024 (Lok Sabha Elections 2024) से पहले ही बिखरते दिख रहे विपक्षी गठबंधन INDIA को एक और झटका लगने के आसार हैं. उत्तर प्रदेश में भी यह गठबंधन चुनावों से पहले ही बिखरने की पटकथा लिख दी गई है. समाजवादी पार्टी के साथ कुछ दिन पहले चुनावी गठबंधन की घोषणा करने वाले राष्ट्रीय लोकदल (RLD) के अध्यक्ष जयंत चौधरी अब भाजपा के साथ हाथ मिला सकते हैं. सूत्रों के मुताबिक, भाजपा और जयंत फाइनल डील के करीब हैं. जल्द ही इसकी औपचारिक घोषणा कर दी जाएगी. यदि जयंत चौधरी भाजपा से हाथ मिलाते हैं तो इसे इंडी गठबंधन के लिए पश्चिमी यूपी में बड़ा झटका माना जाएगा, जहां की कम से कम 3 दर्जन लोकसभा सीटों पर राष्ट्रीय लोकदल जाट-मुस्लिम मतों के जरिये दूसरे दलों के समीकरण बिगाड़ने में सक्षम है. साथ ही इससे भगवा दल जाट मतदाताओं को भी वापस अपने खेमे में लाने में सक्षम हो पाएगा, जो फिलहाल भाजपा से नाराज बताया जा रहा है.
19 जनवरी को हुआ था रालोद और सपा का गठबंधन
रालोद और सपा ने उत्तर प्रदेश में मिलकर चुनाव लड़ने की घोषणा 19 जनवरी को की थी. सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने अपना और जयंत चौधरी का हाथ मिलाते हुए फोटो पोस्ट कर इस गठबंधन की घोषणा की थी, जिसमें रालोद को 7 सीटों पर चुनाव लड़ने का मौका दिया जा रहा था. जयंत चौधरी ने भी इस पोस्ट को रिट्वीट करते हुए इस गठबंधन की पुष्टि की थी. अब इसके 20 दिन बाद ही समीकरण बदलते दिख रहे हैं. मीडिया रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि जयंत चौधरी सपा का साथ छोड़कर भाजपा के साथ जाने को तैयार हो गए हैं.
भाजपा से मिल रही है महज 4 सीट
Zee News की रिपोर्ट के मुताबिक, जयंत चौधरी को भाजपा की तरफ से महज 4 लोकसभा सीट कैराना, बागपत, मथुरा और अमरोहा ही मिल रही है, जबकि अखिलेश यादव ने उन्हें 7 लोकसभा सीट ऑफर की थी. अखिलेश यादव की तरफ से बागपत, मुजफ्फरनगर, मथुरा, कैराना और हाथरस के अलावा दो सीट और देने की बात कही गई थी. इसके बावजूद जयंत चौधरी इंडी गठबंधन को छोड़कर भाजपा से जुड़ने के लिए राजी हो गए हैं, जिससे हर कोई हैरान है.
भाजपा से जुड़कर दिख रही है जीत पक्की
राजनीतिक एक्सपर्ट्स मान रहे हैं कि भाजपा से कम सीटें मिलने के बावजूद जयंत चौधरी उसके नेतृत्व वाले NDA गठबंधन से जुड़ने में अपना लाभ देख रहे हैं. दरअसल राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के बाद देश में भाजपा के समर्थन में लहर बनी है. इससे माना जा रहा है कि इंडी गठबंधन की पार्टियों की राह मुश्किल हुई है. खासतौर पर कांग्रेस की तरफ से जिस तरह राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा में नहीं जाने का फैसला लिया गया और उसका विरोध किया गया, उससे हिंदी पट्टी के इलाकों में जनता के बीच उसका विरोधी माहौल बनने की बात मानी जा रही है. राजनीतिक एक्सपर्ट्स का मानना है कि जयंत चौधरी को भी लग रहा है कि राम मंदिर की लहर में भाजपा के विरोध में रहकर जीत हासिल करना मुश्किल होगा, जबकि उसके खेमे में रहने पर जीत पक्की हो सकती है. यही कारण है कि जयंत चौधरी कम सीटों के बावजूद भाजपा खेमे से जुड़ने को तैयार हो गए हैं.
नड्डा के मुजफ्फरनगर दौरे से पहले हो सकती है घोषणा
रिपोर्ट में कहा गया है कि भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा 12 फरवरी को मुजफ्फरगनर में पहुंच रहे हैं. मुजफ्फरनगर जाट बाहुल्य जिला है और राष्ट्रीय लोकदल के भी मजबूत गढ़ में से एक माना जाता है. माना जा रहा है कि नड्डा के इस दौरे पर या इससे पहले दिल्ली में रालोद के भाजपा खेमे में आने की ऑफिशियल घोषणा हो सकती है.
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