डीएनए हिंदी: मुंबई बम धमाके साल 1993 में हुए थे. इन धमाकों के बाद दाऊद इब्राहिम (Dawood Ibrahim) को देश का मोस्ट वांटेड अपराधी घोषित कर दिया गया था. इसके करीब 29 साल बाद अब राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने पहली बार दाऊद इब्राहिम पर 25 लाख रुपये का इनाम घोषित किया है.
18 अगस्त को NIA Case no. RC- 01/2022/NIA/MUM के तहत जारी इनामी लिस्ट में दाऊद के अलावा शकील शेख उर्फ छोटा शकील (Chhota Shakeel) पर 20 लाख रुपये, जबकि D Company के अन्य खास गुर्गों हाजी अनीस उर्फ अनीस इब्राहिम शेख (Anees Ibrahim Shaikh), जावेद पटेल उर्फ जावेद चिकना (Javed Chikna), इब्राहिम मुश्ताक अब्दुल रज्जाक मेमन उर्फ टाइगर मेमन (Tiger Memon) में से हर एक पर 15-15 लाख रुपये का इनाम रखा गया है.
डी कंपनी के खिलाफ 29 साल बाद अचानक जांच एजेंसियों के एक्टिव होने से सभी हैरान रह गए हैं. आखिर इतने साल बाद भारतीय एजेंसियों के अचानक दोबारा सक्रिय होने का कारण क्या है? आइए हम आपको बताते हैं.
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पहले जानिए इनामी लिस्ट में लगाए गए सभी आरोप
NIA ने डी कंपनी पर भारत में दोबारा सक्रिय गिरोह बनाने का आरोप लगाया है. साथ ही इस गिरोह के जरिए हथियार, ड्रग्स और नकली नोटों की भारत में स्मगलिंग करने और देश में आतंकी हमलों में पाकिस्तानी एजेंसियों व आतंकी संगठनों की मदद करने का आरोप लगाया है.
फरवरी में दर्ज किया गया था नया मुकदमा
NIA सूत्रों के मुताबिक, इस नए गिरोह को सीधे तौर पर दाऊद हैंडल नहीं कर रहा है, बल्कि उसके नाम पर इब्राहिम ने इसकी कमान संभाली हुई है. एजेंसी ने इस साल फरवरी में उसके खिलाफ नया केस भी दर्ज किया था. NIA को मिली इंटेल के मुताबिक, इब्राहिम के इस गिरोह की मदद के लिए पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI के अलावा आतंकी संगठनों लश्कर-ए-तैयबा (LeT) और जैश-ए-मोहम्मद (JeM) ने भी अपने स्लीपर सेल्स को एक्टिव कर रखा है. दाऊद के इस नए गिरोह को प्रभावशाली भारतीय उद्योगपतियों और नेताओं को निशाना बनाने का निर्देश दिया गया है.
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मई में NIA की रेड में मिले थे बहुत सारे सबूत
NIA की टीमों ने मई में करीब 29 जगह रेड की थी, जिनमें दाऊद के इस नए सिंडिकेट से जुड़े बहुत सारे सबूत मिले थे. ये छापे मुंबई की मशहूर हाजी अली दरगाह और माहिम दरगाह के एक ट्रस्टी समीर हिंगोराह (Samir Hingorah) के अलावा छोटा शकील के बहनोई सलीम कुरैशी और कई अन्य लोगों के ठिकानों पर डाले गए थे. समीर का जुड़ाव मुंबई बम धमाकों में भी मिला था, जिसके लिए उसे सजा भी हुई थी.
इन छापों में मिले सबूत से जानकारी मिली थी कि यह नया गिरोह मुंबई, ठाणे और आसपास के इलाकों में फिरौती, सट्टेबाजी, बिल्डरों को धमकी और ड्रग्स का कारोबार बढ़ाकर मोटी रकम जुटा रहा है. इस रकम का उपयोग किसी बड़ी घटना को अंजाम देने के लिए किया जा सकता है.
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दाऊद पर इंटरनेशनल इनाम पहले से ही घोषित है
दाऊद इब्राहिम को साल 2003 में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) ने ग्लोबल टैररिस्ट (अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी) घोषित किया था. उसकी गिरफ्तारी के लिए 2.5 करोड़ डॉलर का इनाम भी रखा गया था. यह कार्रवाई भारत और अमेरिका की तरफ से पेश प्रस्ताव पर की गई थी, जिसका पाकिस्तान ने विरोध किया था. भारत ने दाऊद के खिलाफ 1993 के मुंबई बम धमाकों में शामिल होने के अलावा बड़े पैमाने पर फिरौती, इंटरनेशनल स्मगलिंग और हत्याओं में शामिल होने से जुड़े सबूत UNSC के सामने पेश किए थे.
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पिछले साल फिर से UNSC में उठाया था भारत ने मामला
भारत ने पिछले साल भी UN सुरक्षा परिषद के सामने फिर से डी-कंपनी का मुद्दा उठाया था. भारत ने कहा था कि D Company के नाम से चल रहे ऑर्गेनाइज्ड सिंडिकेट सोने और नकली नोटों की स्मगलिंग करता था, लेकिन इस पैसे की बदौलत साल 1993 में वह मुंबई बम ब्लास्ट को अंजाम देकर रातोंरात आतंकी संगठन में तब्दील हो गया. इस घटना में 250 से ज्यादा निर्दोष लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी और करोड़ों डॉलर की संपत्ति का नुकसान हुआ था.
भारत ने UNSC के सामने स्पष्ट कहा था कि दाऊद इतनी बड़ी आतंकी घटना को अंजाम देकर भी पड़ोसी देश की मदद से जिंदगी का मजा ले रहा है. साथ ही ग्लोबल लेवल पर आतंकी संगठनों के खतरे को कम करने के प्रयासों को ठेंगा दिखा रहा है.
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दाऊद की नई फोटो नहीं जुटाने में भारतीय एजेंसियां फेल
NIA ने गुरुवार को इनामी लिस्ट जारी करते हुए दाऊद समेत उसके गिरोह के सभी लोगों की फोटो भी जारी की हैं. जहां दाऊद के गुर्गों की ताजा फोटो एजेंसी ने जारी की है. वहीं दाऊद की अब भी 29 साल पुरानी वही तस्वीर दी गई है, जो 1993 मुंबई बम धमाकों के बाद पुलिस ने जारी की थी. इसका मतलब यह है कि 29 साल बाद भी भारतीय एजेंसियां दाऊद के आसपास पहुंचने तक में नाकाम हैं.
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Dawood Ibrahim पर 29 साल में पहली बार 25 लाख का इनाम, NIA ने क्यों किया ऐसा, जानिए पूरी बात