डीएनए हिंदी: अमेरिका के National Earthquake Information Centre के अनुसार पूरी दुनिया में हर रोज 55 और एक साल में करीब 20000 भूकंप आते हैं. वहीं भारत में औसतन हर रोज 4 भूकंप आते हैं. इनमें से अधिकतर तो हमें महसूस भी नहीं होते. लेकिन कुछ सालों के अंतराल पर बड़े भूकंप अपना भीषण रुप दिखाते रहते हैं. अभी तक हम इसका पूर्वानुमान लगा पाने में सक्षम नहीं हुए हैं. ऐसे में भूकंप से होने वाला जान माल के नुकसान का अनुमान लगाना बेहद आवश्यक हो जाता है. इसी अनुमान के लिए Earthquake Disaster Risk Index बनाया गया. आईए देखते हैं कि देश के 50 शहर इस इडेंक्स में कौन से पायदान पर हैं.
हर महीने आते हैं देश में 120 भूकंप, 11 प्रतिशत रिक्टर पैमाने पर 5 से ज्यादा
भारत और इसके पड़ोसी हिस्सों में हर महीने औसतन छोटे बड़े 120 भूकंप आते हैं. पिछले एक साल जुलाई 2021 से 30 जून 2022 तक देश में छोटे मोटे कुल 1434 भूकंप आ चुके हैं. इनमें से अधिकतर रिक्टर स्केल पर 4.9 से नीचे के होते हैं. रिक्टर पैमाने पर 5 या इससे ज्यादा क्षमता के भूकंपों की संख्या 11 प्रतिशत (166) रही है.
क्यों बनाया गया Earthquake Disaster Risk Index ?
भारत के लगभग 59 प्रतिशत क्षेत्र पर मध्यम से भारी भूकंप का खतरा मंडराता रहता है. हाल ही में इन बड़े भूकंपों में मणिपुर (2016), नेपाल (2015), सिक्किम (2011), कश्मीर (2005), भुज (2001), चमोली (1999), जबलपुर (1997) और लातूर (1993) शामिल है. इन सबसे भूकंपों के अध्ययन से पता चला कि भूकंप रोधी डिजाइन न होने पर सभी प्रकार की इमारतों को नुकसान होता है. यही नहीं भारत में पिछले भूकंपों में 90% से अधिक लोगों की जान सिर्फ इमारतों के गिरने के कारण हुई है. इसलिए भारत के शहरों पर इसके खतरे को आंकने के लिए National Disaster Management Authority (NDMA) और IIT हैदराबाद ने साल 2019 में ने देश के 50 शहरों के लिए Earthquake Disaster Risk Index Report जारी की थी.
किसी शहर के खतरे को EDRI द्वारा कैसे मापते हैं ?
Earthquake Disaster Risk Index में किसी शहर पर खतरे को तीन पैमानों पर आंका गया है.पहला, उस क्षेत्र विशेष की स्थलाकृति यानी Topography किस प्रकार की है. दूसरा उस इलाके में कितने लोग और इमारतें मौजूद हैं, इसे तकनीकी रुप से Exposure कहते है. तीसरा कारक है इमारत की मौजूदा स्थिति, जिसे Vulnerability कहा जाता है. इस इंडेक्स के जरिए भूकंप की स्थिति में किसी शहर में जान माल हानि के खतरे का अनुमान लगाया जाता है.
सर्वे में कैसे चुने गए शहर ?
सर्वे में देश के 50 शहरों को चुना गया. इनमें से 15 शहर सिज्मिक जोन 5 में थे, 20 शहर जोन 4 से, बाकी 7 महानगर हैं. हालांकि कुछ महानगर सिज्मिक जोन 3 में भी आते है लेकिन उनके आबादी घनत्व और उंची इमारतों के खतरे को देखते हुए शामिल किया गया.
भूकंप से सबसे सुरक्षित शहरों में भुज का नाम
सर्वे में शामिल 50 शहरो में से देहरादून, सिलीगुढ़ी,अमृतसर, लुधियाना और भुज पर भूकंप के समय जन-धन हानि का खतरा सबसे कम है. इनमें भुज का छोड़कर सभी शहर सिज्मिक जोन 4 में आते हैं. भुज सिज्मिक जोन 5 में आता है. भुज साल 2001 में भूकंप की विभीषिका को झेल चुका है. और अब ये शहर भूकंप के खतरे से निपटने के लिए अपनी तैयारी बेहतर कर चुका है.
देश की राजधानी दिल्ली पर मध्यम दर्जे का खतरा
EDRI के अनुसार देश के 32 शहरों में भूकंप के बाद जान माल का खतरा मध्यम स्तर का है. इन शहरों में अधिकतर सिज्मिक जोन 4 और 5 में आते हैं. लेकिन देश के कई महानगर अपनी आबादी घनत्व के कारण भौगोलिक रुप से सिज्मिक जोन 3 में होने के बावजूद इस सूची में शामिल हैं. इन महानगरों में मुबंई, कोलकाता, चेन्नई और पुणे शामिल हैं.
देश की राजधानी दिल्ली पर भी भूकंप से मध्यम रुप से प्रभावित होने का अनुमान लगाया गया है. इसके अलावा इस सूची में शिलॉंग, कोहिमा, पटना, गाजियाबाद, गुरुग्राम,दिसपुर, फरीदाबाग, मेरठ, अहमदाबाद, इटानगर, गुवाहाटी, मंडी, चमोली, अलवर, गौतमबुद्ध नगर (नोयडा), बरेली, दरभंगा, अगरतला, पंचकूला, जालंधर,मथुरा, जम्मू, दार्जिलिंग, पोर्ट ब्लेयर, इंफाल, चंडीगढ़ और जामनगर शामिल हैं.
आईजोल पर खतरा सबसे ज्यादा, जानिए बाकी 12 शहरों के नाम
सूची में देश के 13 शहरों पर सबसे ज्यादा खतरा है.इन सूची में आईजोल, शिमला, पानीपत, रत्नागिरी,गंगटोक, मुरादाबाद, पिथौरागढ़, नैनीताल, विजयवाड़ा, श्रीनगर, भागलपुर, सोलन, उत्तरकाशी शामिल हैं.
सूची के ज्यादातर शहर सिज्मिक जोन 4 और 5 में आते हैं. लेकिन आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा शहर सिज्मिक जोन 3 में आने के बाद भी भूकंप से सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाले शहरों में से एक है. ये इस सूची में शामिल देश का एक मात्र महानगर है.
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Earthquake: देश में हर दिन आते हैं 4 भूकंप, दिल्ली और शहरों में भुज सबसे सुरक्षित, जानिए अपने शहर का हाल