डीएनए हिंदी: अगले साल जनवरी से दिल्ली में 10 साल पुराने डीजल वाहन नहीं चल पाएंगे. एनजीटी के निर्देश के मुताबिक दिल्ली सरकार ने एक जनवरी 2022 से 10 साल पुराने डीजल वाहनों को रद्द करने का फैसला लिया है. ऐसे में सवाल उठता है कि ये फैसला क्यों लिया गया है और डीजल वाहन पर्यावरण के लिए कितने खतरनाक साबित होते हैं? इन सवालों के जवाब जानने के लिए हमें पेट्रोल और डीजल बनने की पूरी प्रक्रिया को समझना होगा. आसान शब्दों ये जानकारी यहां पढ़ें-

पेट्रोलियम से बनते हैं पेट्रोल और डीजल
दरअसल पेट्रोल और डीजल दोनों ही पेट्रोलियम से बनते हैं. पेट्रोलियम दो शब्दों से मिलकर बना है- पेट्रा (Petra) और ऑलियम (Oleum). पेट्रा का मतलब होता है चट्टान और ऑलियम का मतलब होता है तेल. इसे रॉक ऑयल के नाम से भी जाना जाता है, यानी ऐसा तेल जो चट्टानों से निकलता है. पेट्रोलियम से पेट्रोल, डीजल, हाइड्रोकार्बन, मिट्टी का तेल, प्राकृतिक गैस, इथर आदि तैयार किए जाते है. अलग-अलग तापमान पर तैयार होने वाले पदार्थों को अलग-अलग नाम दिया जाता है. जानकारी के अनुसार पेट्रोलियम को 260 डिग्री पर उबालने पर डीजल मिलता है. वहीं 110 डिग्री पर गर्म करने पर पेट्रोल मिलता है. 

ये भी पढ़ें- सावधान! दिल्ली में 1 जनवरी से इन वाहनों को चलाने पर लगेगी रोक, जानिए नया नियम

ज्यादा रिफाइंड तरीके से बनता है पेट्रोल
पेट्रोल को ज्यादा रिफाइंड तरीके से बनाया जाता है. वहीं डीजल कम रिफाइंड होता है. ज्यादा रिफाइंड होने की वजह से ही पेट्रोल महंगा होता है और पर्यावरण के लिए इसे कम खतरनाक बताया जाता है. ये भी सच है कि डीजल कारों से पेट्रोल की तुलना में 20% कम CO2 उत्सर्जित होती है, लेकिन डीजल से नाइट्रस ऑक्साइड, हाइड्रोकार्बन और पार्टिकुलेट मैटर ज्यादा निकलते हैं.

ये पर्यावरण के लिए काफी नुकसानदायक साबित होते हैं. यही वजह है कि डीजल की तुलना में पेट्रोल कारों की उम्र लंबी होती है. पेट्रोल वाहनों में पारंपरिक combustion engines का उपयोग किया जाता है. इसमें फ्यूल एक स्पार्क से प्रज्वलित होता है और इससे कार को पावर मिलती है. 

ये भी पढ़ें- Kia Carens Photos: जानें खास फीचर्स की सारी डिटेल, अगले साल अप्रैल में होगी लॉन्च

डीजल से निकलते हैं हानिकारक कण
पेट्रोल इंजन जहां स्पार्क से पावर जनरेट करते हैं, वहीं डीजल इंजन  air compression का उपयोग करके ईंधन को प्रज्वलित करते हैं. इस तरह देखा जाए, तो डीजल इंजन ज्यादा fuel Efficient होते हैं. लंबी दूरी तय करने के लिए ईंधन कम खपत के हिसाब से डीजल वाहन मुफीद होते हैं, लेकिन पर्यावरण के लिए वे ज्यादा हानिकारक साबित होते हैं. 

एक शोध के अनुसार पेट्रोल की तुलना में डीजल चार गुना ज्यादा नाइट्रोजन डाइऑक्साइड और 22 गुना ज्यादा खतरनाक कण छोड़ता है. डीजल में मौजूद सल्फर नामक धातु सल्फर डाइऑक्साइड बनाती है जिससे नाक, गले और सांस की नली में समस्या पैदा होती है और खांसी, छींक और सांस की समस्या पैदा होती है. ऐसे में आपकी सेहत के लिए डीजल ज्यादा खतरनाक साबित होता है.

Url Title
know-why-diesel-cars-retired-before-petrol-cars-harmful-for-environment
Short Title
10 साल बाद क्यों नहीं होती डीजल कारों को चलाने की इजाजत
Article Type
Language
Hindi
Page views
1
Embargo
Off
Image
Image
Diesel cars
Caption

Diesel cars

Date updated
Date published