व्हाइट हाउस में डोनाल्ड ट्रंप के साथ बेंजामिन नेतन्याहू की मुलाकात किसी विश्व नेता की नियमित यात्रा से कहीं अधिक है. क्यों? इसलिए क्योंकि दोनों ही नेता जिस बात पर सहमत या असहमत होंगे, उसका सीधा असर हमें गाजा में देखने को मिलेगा। ध्यान रहे कि नेतन्याहू राष्ट्रपति ट्रंप के ओवल ऑफिस में लौटने के बाद उनसे मिलने वाले पहले नेता बन गए हैं.
भेंट पर ख़ुशी जाहिर करते हुए इजरायली प्रधानमंत्री ने तेल अवीव में आधिकारिक सरकारी विमान विंग्स ऑफ ज़ायन में सवार होते हुए कहा कि, 'यह हमारी व्यक्तिगत दोस्ती की मजबूती का प्रमाण है.' लेकिन न तो नेतन्याहू और न ही उनके साथ यात्रा कर रहे इजरायली मीडिया को इस बात का भ्रम है कि ट्रंप के साथ उनके रिश्ते वास्तव में कितने नाजुक हैं और क्या दांव पर लगा है.
माना जाता है कि इजराइल, ब्रिटेन के मुकाबले अमेरिका के साथ अपने संबंधों को लेकर बहुत ज्यादा जुनूनी है और इसकी एक बड़ी वजह है कि अपने पहले कार्यकाल में, अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने नेतन्याहू को कई मोर्चों, चाहे वो ईरान परमाणु समझौते से अमेरिका को बाहर निकालना हो या फिर यरुशलम को इजराइल की राजधानी के रूप में मान्यता देना हो पर 'जीत' दिलाई है.
लेकिन जनवरी 2020 में इजरायल अमेरिका के रिश्ते में खटास तब आई, जब इजरायली नेता ने आखिरी समय में ईरानी कुद्स फोर्स के कमांडर कासिम सुलेमानी की हत्या में भाग लेने से हाथ खींच लिया, फिर इसका श्रेय लेने की कोशिश की और ट्रंप को एहसास हुआ कि नेतन्याहू ने क्षेत्रीय मामलों पर घरेलू राजनीति को प्राथमिकता दी.
यह एक ऐसा क्षण था जब लगा कि अमेरिका ने अब्राहम समझौते को भी खतरे में डाल दिया है. इसके बाद जब नेतन्याहू ने सार्वजनिक रूप से जो बाइडेन को 2020 का चुनाव जीतने पर बधाई दी, तो माना यही गया कि ये बात डोनाल्ड ट्रंप को नागवार गुजरी.
हालांकि, इस बार ट्रंप,बेंजामिन नेतन्याहू से कहीं अधिक सावधान रहने वाले हैं, और इस निमंत्रण का सम्मान मध्य पूर्व में चीजों को उस तरह से आगे बढ़ाना सुनिश्चित करने की व्यक्तिगत इच्छा में लिपटा हुआ है, जैसा कि वे चाहते हैं.
तत्काल प्राथमिकता गाजा है और युद्धविराम को बनाए रखना है. ट्रंप का फिर से चुनाव और यह धमकी कि 'सब कुछ बिगड़ जाएगा' निश्चित रूप से इस सौदे को अंतिम रूप देने में मददगार साबित हुई. ध्यान रहे कि ट्रंप हमास के खिलाफ इजरायल की लड़ाई का समर्थन करते हैं और इस बात पर सहमत हैं कि उसे फिर से गाजा पर शासन नहीं करना चाहिए.
ट्रंप क्यों नेतन्याहू से मिल रहे हैं इसकी एक बड़ी वजह सऊदी अरब और इजरायल के बीच एक सामान्यीकरण समझौते को भी माना जा रहा है. यह कुछ ऐसा है जिसे ट्रंप और नेतन्याहू दोनों चाहते हैं और इस पर तेजी से प्रगति चाहते हैं, लेकिन जब तक गाजा को लेकर कोई ठोस बात नहीं होती शायद ही सऊदी इनके पाले में पूर्णतः आए.
बहरहाल ट्रंप और नेतन्याहू के बीच क्या-क्या बातें होती हैं? दोनों किन मुद्दों पर सहमत और किसपर असहमत होते हैं इसपर पूरी दुनिया विशेषकर मिडिल ईस्ट और उसमें भी ईरान की नजर है. माना जा रहा है कि नेतन्याहू के साथ ट्रंप की ये भेंट अगर कामयाब होती है तो आने वाले वक़्त में ईरान यक़ीनन चौतरफा हमलों का सामना कर बर्बादी की कगार पर पहुंच सकता है.
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Trump-Netanyahu की मुलाकात गाजा और मध्य पूर्व के भविष्य के लिए क्यों है बेहद जरूरी?