डीएनए हिंदीः हमें एक लोकतांत्रिक देश में रहते हुए सात दशक से ज्यादा समय हो गया. ये एक लंबा वक्त है अपने देश को जानने के लिए. देश के संविधान को समझने के लिए. लेकिन ऐसे कई तथ्य और किस्से हो सकते हैं जो शायद आपको अपने देश के संविधान के बारे में पता ना हों. आज संविधान दिवस से अच्छा मौका नहीं हो सकता, इन किस्सों को जानने और याद करने का.

कब और क्यों लिया गया संविधान दिवस मनाने का फैसला
26 नवंबर 1949 को ही संविधान सभा ने संविधान को अपनी स्वीकृति दी थी लेकिन इसे लागू किया 26 जनवरी 1950 को. साल 2015 में सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने 26 नवंबर को 'संविधान दिवस' के रूप में मनाने के केंद्र सरकार के फैसले को अधिसूचित किया था. हमारे देश के संविधान के निर्माण में डॉ. भीमराव अम्बेडकर की अहम भूमिका थी इसलिए संविधान दिवस उन्हें श्रद्धाजंलि देने के प्रतीक के रूप में भी मनाया जाता है. इस दिन का उद्देश्य संवैधानकि मूल्यों के प्रति नागरिकों में सम्मान की भावना को बढ़ाना भी है.

दुनिया का सबसे लंबा लिखित संविधान

हमारा संविधान दुनिया का सबसे लंबा लिखित संविधान है. इसमें कुल 1,17, 369 शब्द दर्ज हैं. मूल रूप से भारतीय संविधान में कुल 395 अनुच्छेद और आठ अनुसूचियां थीं, कई संशोधनों के बाद अब इसमें कुल 448 अनुच्छेद और 12 अनुसूचियां हैं। वैसे आपके लिए ये जानना भी दिलचस्प हो सकता है कि दुनिया का सबसे छोटा संविधान मोनाको का है, इसमें सिर्फ 3814 शब्द हैं. 

हाथ से लिखा गया पूरा संविधान

बताया जाता है कि भारतीय संविधान को प्रेम बिहारी नारायण रायजादा द्वारा देहरादून में प्रकाशित भी किया गया था. प्रेम बिहारी एक कैलीग्राफर थे जिन्होंने हाथ से इटैलिक स्टाइल में पूरा भारतीय संविधान लिखा था. 

तीन साल लगे संविधान लिखे जाने में

एकदम सही से गणना करें तो संविधान का अंतिम ड्राफ्ट लिखकर तैयार होने में 2 साल 11 महीने और 18 दिन का समय लगा था. अंतिम रूम में पहुंचने से पहले संविधान के पहले ड्राफ्ट में 2000 संशोधन किए गए थे. साल 2020 के जनवरी महीने तक भारतीय संविधान में इसके लागू होने के बाद से अब तक 104 बार संशोधन किया जा चुका है. 

डॉ. अंबेडकर खुद जला देना चाहते थे संविधान

दुनिया के सबसे विस्तृत और सबसे अधिक शब्दों वाले संविधान के निर्माता डॉ. अंबेडकर इस संविधान को जला देना चाहते थे. देश में एक गवर्नर की शक्तियां बढ़ाने पर हो रही चर्चा के दौरान डॉ. भीमराव अंबेडकर ने संविधान संशोधन का पुरजोर समर्थन किया. डॉ. भीमराव अंबेडकर ने 2 सितम्बर 1953 को राज्यसभा में कहा था कि मैं इसके लिए पूरी तरह तैयार हूं औऱ मैं पहला व्यक्ति होउंगा जो इस संविधान को जलाएगा.

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history of constitution day why it is celebrated
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26 नवंबर 1949 को ही संविधान सभा ने संविधान को अपनी स्वीकृति दी थी
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