साल  2004 से 2014 तक दो बार भारत के प्रधानमंत्री रहे 92 साल के मनमोहन सिंह का दिल्ली के एम्स अस्पताल में निधन हो गया है.  उन्हें आज शाम तबीयत बिगड़ने के बाद AIIMS के इमरजेंसी डिपार्टमेंट में भर्ती कराया गया है. डॉक्टर मनमोहन सिंह की शख्सियत क्या थी? इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वो एक कुशल राजनीतिज्ञ, अर्थशास्त्री, शिक्षाविद और नौकरशाह थे. मनमोहन सिंह ने 1982-1985 तक भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर के रूप में कार्य किया और पी.वी. नरसिम्हा राव की सरकार में वित्त मंत्री रहे.

ध्यान रहे कि मनमोहन सिंह 1991 में भारत के आर्थिक उदारीकरण के लिए जिम्मेदार लोगों में से एक थे. वे एक प्रसिद्ध अर्थशास्त्री थे, जिन्हें 1990 के दशक में व्यापक सुधारों को शुरू करने का श्रेय दिया जाता है.

आइये नजर डालें डॉक्टर मनमोहन सिंह की कुछ ऐसी उपलब्धियों पर जिन्हें बतौर हिंदुस्तानी हमें हर हाल में जानना ही चाहिए.

महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम

महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम या MGNREGA 2005 को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा देश के ग्रामीण क्षेत्रों में परिवारों की आजीविका सुरक्षा को बढ़ाने के लिए पेश किया गया था. 

इसके तहत प्रत्येक वित्तीय वर्ष में प्रत्येक परिवार को कम से कम सौ दिनों की गारंटीकृत मजदूरी रोजगार प्रदान किया जाता है, जिसके वयस्क सदस्य अकुशल शारीरिक श्रम करने के लिए स्वेच्छा से आगे आते हैं.

यह भारत का सबसे बड़ा सार्वजनिक कार्यक्रम है जो ग्रामीण अकुशल श्रमिकों को 100 दिनों की गारंटीकृत मजदूरी रोजगार प्रदान करता है.

आर्थिक उदारीकरण

मनमोहन सिंह द्वारा किए गए प्रमुख योगदानों में से एक भारत का आर्थिक उदारीकरण है. 1991 में, भारत का राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद का 8.5 प्रतिशत के करीब था, भुगतान संतुलन घाटा बहुत बड़ा था और चालू खाता घाटा भारत के सकल घरेलू उत्पाद का 3.5 प्रतिशत के करीब था.

इस दौरान भारत आर्थिक संकट का सामना कर रहा था और उस समय मनमोहन सिंह केंद्रीय वित्त मंत्री थे.

बताते चलें कि भारत में आर्थिक उदारीकरण से तात्पर्य देश की अर्थव्यवस्था को दुनिया के लिए खोलने के उद्देश्य से नीतिगत परिवर्तनों की श्रृंखला से है. माना जाता है कि इसी के बाद भारत की अर्थव्यवस्था को सही आकार मिला.

अमेरिका के साथ परमाणु समझौता

123 एग्रीमेट के नाम से भी जाना जाने वाला अमेरिका-भारत असैन्य परमाणु समझौता सिंह और पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश द्वारा हस्ताक्षरित किया गया था.

इस समझौते के तहत, भारत अपनी असैन्य और सैन्य परमाणु सुविधाओं को अलग करने और अपनी सभी असैन्य परमाणु सुविधाओं को अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) सुरक्षा उपायों के तहत रखने के लिए सहमत हुआ. 

और बदले में, संयुक्त राज्य अमेरिका भारत के साथ पूर्ण असैन्य परमाणु सहयोग की दिशा में काम करने के लिए आगे आया.

सूचना का अधिकार अधिनियम

मनमोहन सिंह सरकार ने 2005 में सूचना का अधिकार (आरटीआई) अधिनियम पारित किया, जिसके तहत कोई भी भारतीय नागरिक आरटीआई अधिनियम की शर्तों के तहत किसी 'सार्वजनिक प्राधिकरण' से सूचना का अनुरोध कर सकता है, और 'सार्वजनिक प्राधिकरण' को तुरंत या तीस दिनों के भीतर जवाब देना आवश्यक है.

यदि सूचना याचिकाकर्ता के जीवन या स्वतंत्रता से संबंधित है तो उसे 48 घंटों के भीतर दिया जाना चाहिए.

पोलियो उन्मूलन

कोविड-19 के टीके तो आज हमारे हमारे जीवन में आए हैं लेकिन इससे बहुत पहले से ही पोलियो और चेचक के टीके लग रहे हैं. 24 फरवरी 2012 को, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भारत को 'सक्रिय पोलियोवायरस संचरण वाले स्थानिक देशों' की सूची से हटा दिया.

यह तब हुआ था जब भारत ने 13 जनवरी 2011 को अपना अंतिम पोलियो मामला दर्ज किया था.

हालांकि भारत 1988 से पोलियो उन्मूलन के लिए वैश्विक समझौतों पर हस्ताक्षरकर्ता है, लेकिन डॉ. मनमोहन सिंह और स्वास्थ्य मंत्रालय ने 2004 में पदभार संभालने के बाद से ही भारत को पोलियो मुक्त बनाने के लिए कड़ी मेहनत की थी. 

मैनुअल स्कैवेंजिंग एक्ट 2013

सम्मान के अधिकार को कायम रखते हुए, मनमोहन सिंह सरकार ने मैनुअल स्कैवेंजिंग एक्ट 2013 की शुरुआत की, जिसमें मैनुअल स्कैवेंजर के रूप में रोजगार पर रोक लगाने, मैनुअल स्कैवेंजर और उनके परिवारों के पुनर्वास का प्रावधान किया गया.

इस अधिनियम में कहा गया है कि 'राज्य कमजोर वर्गों और विशेष रूप से अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों को सामाजिक अन्याय और सभी प्रकार के शोषण से बचाएगा. 

ज्ञात हो कि अस्वच्छ शौचालयों और अत्यधिक अन्यायपूर्ण जाति व्यवस्था के निरंतर अस्तित्व से उत्पन्न मैनुअल स्कैवेंजिंग की अमानवीय प्रथा देश के विभिन्न हिस्सों में बनी थी और इस कानून के बाद काफी हद तक उसमें लगाम लगी. 

लोकपाल

भ्रष्टाचार के कई आरोपों के कारण सिंह सरकार ने जन लोकपाल विधेयक पारित करने पर जोर दिया और वरिष्ठ सरकारी पदों पर बैठे लोगों के भ्रष्टाचार के मामलों की जांच के लिए लोकपाल की एक स्वतंत्र संस्था की स्थापना की. 

यह विधेयक 2010 से ही विचाराधीन था, लेकिन 1 जनवरी 2014 को इसे लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम 2013 के रूप में अधिसूचित किया गया और लागू किया गया. 

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Former Indian PM Manmohan Singh Passes away at Delhi AIIMS 7 reasons to be grateful to him
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Manmohan Singh की वो उपलब्धियां जिनका जिक्र होना ही चाहिए!
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मनमोहन सिंह के खाते में ऐसी तमाम उपलब्धियां थीं जिनपर हमें गर्व करना चाहिए
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Manmohan Singh Passes Away: पूर्व पीएम की वो उपलब्धियां, जिनका जिक्र होना ही चाहिए! 

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