डीएनए हिंदी: Parliament Security Breach Latest News- आज यानी 13 दिसंबर को नए संसद भवन के अंदर और बाहर जो हुआ, उसने 22 साल पहले की डरावनी यादों को फिर से ताजा कर दिया. क्योंकि, जो घटनाक्रम आज हुआ, कुछ वैसा ही 22 साल पहले हुआ था. आज जैसी ही अफरातफरी तब संसद भवन के अंदर और बाहर मची थी. वो 13 दिसंबर 2001 का दिन था, जब लश्कर और जैश ए मोहम्मद के 5 आतंकियों ने पुराने संसद भवन पर आतंकी हमला किया था. दोपहर का करीब सवा एक बज रहा था. लोकसभा में शून्य काल चल रहा था. पश्चिम बंगाल से बीजेपी सांसद स्वगेन मुर्मू भाषण दे रहे थे. तभी अचानक Visitor's Gallery से किसी के कूदने की आवाज आई. सांसदों को लगा कि शायद कोई Gallery से गिर गया है, लेकिन तभी एक युवक, एक Bench से दूसरी Bench पर कूदने लगा. ऐसा लग रहा था कि वो Speaker के पास पहुंचना चाह रहा था. सांसदों में कैसी अफरा-तफरी मची थी. ये सारा घटनाक्रम आज आपने पूरा दिन टीवी चैनलों से लेकर सोशल मीडिया तक पर वायरल हो रहे वीडियोज में देखा है. 

गुरपतवंत सिंह पन्नू की धमकी से तो नहीं नाता?

नए संसद भवन में हुए घटनाक्रम पर 13 दिसंबर की तारीख को लेकर कई सवाल हैं, आरोपियों ने संसद में Smoke Cracker से अफरातफरी मचाने के लिए आज का ही दिन क्यों चुना? इसे लेकर कई Theory सामने आ रही हैं, जिनमें से एक Theory खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू को लेकर है. कुछ दिन पहले ही गुरपतवंत सिंह पन्नू ने धमकी दी थी, कि भारतीय संसद पर आतंकी हमला करेगा. इस धमकी के बाद सुरक्षा एजेंसियां अलर्ट थीं. बावजूद इसके बड़ी चूक हुई और दो-दो संदिग्ध संसद भवन के अंदर Smoke Cracker के साथ पहुंच गए.

संसद भवन के अंदर और बाहर Smoke Cracker फोड़ने वाले क्या गुरपतवंत सिंह पन्नू के संपर्क में थे या नहीं, ये जांच का विषय है. जांच के बाद ही सच सामने आ पाएगा, क्योंकि गिरफ्तार आरोपी अलग-अलग शहरों के रहने वाले हैं, जिनके बारे में पता चला कि सभी Social Media के जरिये संपर्क में आए. फिर आरोपियों ने संसद भवन में Smoke Cracker फोड़ने और हंगामे का Plan बनाया. एक आरोपी सागर शर्मा के परिवार का कहना है कि उन्हें अंदाजा भी नहीं था, कि उनका बेटा ऐसा काम कर सकता है.

उठ रहे कई सवाल, लेकिन सुरक्षा में सेंध सबसे बड़ा प्रश्न

चारों आरोपियों का संसद भवन में घुसकर दहशत फैलाने का मकसद क्या था? घटनाक्रम में इनकी मदद किन लोगों ने की? कैसे आरोपी एक दूसरे के संपर्क में आए और क्या संसद भवन में हुए घटनाक्रम का विदेशी Connection है? ऐसे कई सवाल हैं, जिनका जवाब जांच एजेंसियों को आरोपियों से पूछताछ के बाद मिलेगा, लेकिन जिस तरह से 22 साल पहले वाली चूक एक बार फिर हुई है, वो फिक्र की बात जरूर है. संसद की security में हुई चूक एक गंभीर मामला है. संसद को लोकतंत्र का मंदिर कहा जाता है. प्रधानमंत्री से लेकर मंत्री, सांसद, बड़े-बड़े नेता संसद में आते-जाते रहते हैं. जिस संसद में देश को लेकर नीतियां बनती है, उस संसद में दो लोगों का घुस जाना, दो लोगों का बाहर हंगामा करना, बहुत बड़ी चूक का जीता-जागता सबूत है.

आधुनिक सिस्टम के सारे दावे हो गए फेल

नया संसद भवन कई खूबियों से लैस है. जिस वक्त इसका उद्घाटन हुआ था, उस वक्त इसकी security को लेकर कई बातें कही गई थीं, लेकिन आज सब कुछ Fail हो गया.

  • Thermal Imaging System - फेल हो गया.
  • Face Recognition System - फेल हो गया.
  • 360 Degree Rotate Cameras - फेल हो गए.
  • अत्याधुनिक हथियारों से लैस जवान - फेल हो गए.

क्या होता है आम आदमी का संसद में एंट्री का प्रोसेस, जरा समझिए

मैं एक आम आदमी हूं. अगर मैं संसद की कार्यवाही देखने जाता हूं तो मुझे कई security layer को पार कर संसद में entry मिलेगी. संसद में entry का एक process होता है, जिसे follow करना होता है. अंदर जाने के बाद भी सुरक्षाकर्मियों की नजरें बाहर से आने वाले लोगों पर टिकी रहते हैं. छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखा जाता है. संसद में entry का क्या process होता है अब वो आपको समझाता हूं.

  • सबसे पहले संसद के Gate पर checking होती है. जहां फोन जमा कर लिए जाते हैं.
  • इसके बाद अंदर entry मिलती है. यहां दो layer checking होती है.
  • इसके बाद लोकसभा या राज्यसभा की कार्यवाही देखने के लिए House में entry होती है.
  • वहां visitor के नाम की जानकारी होती है. यहां एक बार फिर checking होती है और एंट्री मिलती है.
  • दर्शक दीर्घा सदन के ऊपर बनी होती है, जहां से आम लोग सदन की कार्यवाही देखते हैं. इसके लिए pass जरूरी होता है.

यही वो process होता है जो एक आम आदमी को follow करना होता है, सिर्फ संसद के अंदर ही नहीं, संसद के बाहर भी 24 घंटे, साल के 365 दिन सुरक्षा का कड़ा पहरा रहता है. किसी पर भी शक होने पर तुरंत रोककर पूछताछ की जा सकती है, लेकिन इतना कड़ा पहरा होने के बावजूद दो लोगों का संसद के अंदर घुसना और दो लोगों का संसद के बाहर तानाशाही के नारे लगाना. वो भी तब जब संसद की कार्यवाही चल रही हो. बहुत गंभीर बात है.

कैसी है संसद की सुरक्षा, कितनी हैं लेयर

अब हम आपको बताते हैं कि संसद की सुरक्षा किन लोगों के जिम्मे होती है और ये कितने layer की होती है. point to point समझिए.

  • इसमें बाहरी सुरक्षा की जिम्मेदारी दिल्ली पुलिस के जिम्मे है. यानि अगर कोई संसद भवन में जाता है या फिर संसद भवन में कोई जबरदस्ती घुसने की कोशिश करता है तो सबसे पहले उसे दिल्ली पुलिस का सामना करना होगा.
  • इसके बाद second layer होती है Parliament Duty Group की. जिसे PDG कहा जाता है. संसद के बाहर अगला घेरा Central Reserve Police Force यानि CRPF के Parliament Duty Group का होता है.
  • इस सुरक्षा घेरे को बनाने का काम 13 दिसंबर 2001 को संसद पर हुए आतंकी हमले के बाद किया गया था. PDG के जवान खतरनाक हथियारों से लैस होते है. संसद की सुरक्षा में तैनात PDG वर्ष 2014 से संसद की सिक्योरिटी में तैनात है.
  • तीसरी लेयर होती है Parliamentary Security Service की. इसे PSS भी कहा जाता है. Parliamentary Security Service राज्यसभा और लोकसभा के लिए अलग-अलग होती है.
  • PSS का काम संसद में access को control करना, स्पीकर, सभापति, उप सभापति और सांसदों को सुरक्षा प्रदान करना है. PSS का काम आम लोगों और पत्रकारों के साथ-साथ संसद में प्रवेश कर रहे सांसदों की सही पहचान करना भी है.

आम आदमी के लिए ये भी हैं पाबंदियां

अगर कोई आपके या मेरे जैसा आम आदमी संसद की कार्यवाही देखने जाता है तो इसके लिए भी कई नियमों को Follow करना होता है.

  • Entry के लिए valid card या पास जरूरी होता है.
  • संसद परिसर में फोटो खींचना मना है.
  • परिसर में धूम्रपान नहीं किया जा सकता.
  • छतरी, ब्रीफकेस, हेंडबैग, धूम्रपान का सामान, किताब ले जाने की मनाही होती है.
  • संसद परिसर में फोन भी नहीं ले जा सकते.
  • संसद की एक गैलरी से दूसरे गैलरी में visitors के जाने पर मनाही होती है.

2001 के बाद संसद की सुरक्षा को चाक चौबंद किया गया था. नई संसद में इसे और बेहतर बनाया गया है. लेकिन इसके बाद भी दो लोगों का संसद के अंदर घुसना, संसद को धुआं धुआं करना. बेहद गंभीर सुरक्षा उल्लंघन का मामला है.

PASS बिना एंट्री नहीं, वो भी मिलना आसान नहीं

अगर कोई संसद में जाना चाहता है तो इसके लिए सबसे जरूरी है PASS. इसके बिना संसद में entry नहीं हो सकती, लेकिन इसका बनना भी आसान नहीं है. आज जिन दो लोगों सागर शर्मा और मनोरंजन ने सुरक्षा घेरे को भेदते हुए लोकसभा में घुसकर सरेआम बवाल किया, उनके पास भी visitor पास था. जो मैसूर के बीजेपी सांसद प्रताप सिम्हा ने जारी किया था. अब सवाल है कि अगर कोई आम आदमी संसद की कार्यवाही देखने जाता है तो उसे किन नियमों का पालन करना होगा. PASS कैसे मिलेगा. एंट्री के लिए PASS कैसे बनेगा. इसका क्या process होता है. अब इसके बारे में बताते हैं.

  • संसद में entry के लिए सबसे जरूरी चीज पास होता है. पास के बिना entry नहीं हो सकती. संसद में जाने के लिए संसद सचिवालय से पास बनते है.
  • इसके अलावा visitor, सासंद के जरिए भी संसद में जा सकते हैं. सांसद के कहने पर भी पास बनता है. इसमें सांसद की सिफारिश की जरुरत होती है.
  • विजिटर पास पर उस सांसद का नाम भी लिखा होता है, जिसकी सिफारिश पर visitor का पास बना है.
  • एक व्यक्ति का पास अलग से बनता है. अगर कोई group में संसद देखने जाना चाहता है तो उन्हें अलग से इसके लिए apply करना होता है. दोनों में ही प्रक्रिया एक समान ही होती है.

संसद की कार्यवाही के दौरान आज जिन दो लोगों ने देश की सांसें रोकी, वो भी भाजपा सांसद प्रताप सिम्हा की सिफारिश पर बने PASS के जरिए ही संसद में दाखिल हुए थे. सवाल है कि क्या बीजेपी सांसद ने आंख मूंदकर इनका PASS बना दिया. 

कितनी तरह के हैं संसदीय पास

संसद में जाने के लिए अलग अलग पास होते हैं.

  • Same Day Visitor Pass - इसे एक दिन की संसद की कार्यवाही देखने के लिए जारी किया जाता है.
  • Media Personals and Photographers pass - इसे संसद की Press and Media Cell Issue करती है.

संसद में entry के लिए जो पास जारी होते है वो सिर्फ कुछ खास जगहों के लिए valid होते है. अगर किसी को visitor पास मिल भी गया है तो इसका ये मतलब नहीं है कि वो संसद परिसर में कहीं भी जा सकता है. अगर संसद के सुरक्षाकर्मी के निर्देशों के बावजूद कोई visitor नियमों को तोड़ता है तो उसे संसद की अवमानना के तहत उसे सजा दी जा सकती है.

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DNA TV Show: संसद हमले की 22वीं बरसी पर फिर घुसपैठ, सुरक्षा पर सवालों के बीच क्य
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DNA TV Show: संसद हमले की 22वीं बरसी पर फिर घुसपैठ, सुरक्षा पर सवालों के बीच क्यों उठ रहा खालिस्तानी आतंक का सवाल

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