डीएनए हिंदी: UN on Israel Hamas Conflict- फिलिस्तीनी आतंकी समूह हमास के इजरायल में घुसकर एक दिन में 1,400 लोगों को मारने की घटना को 18 दिन से ज्यादा बीच चुके हैं. इस हमले के बाद गुस्साया इजरायल हमास को पूरी तरह नेस्तनाबूद करने की कसम खाकर गाजा पट्टी में बमबारी में जुटा हुआ है. हजारों लोग इस बमबारी में मारे जा चुके हैं और हजारों घायल हुए हैं. गाजा पट्टी मलबे का ढेर बन गई है. अब हर कोई इजरायल को रुकने के लिए कह रहा है, लेकिन इजरायल किसी की सुनने को तैयार नहीं है. उसका सिर्फ एक ही मकसद है, हमास का संपूर्ण विनाश. अपने इस मकसद के लिए इजरायल किसी भी हद से गुजर जाने के लिए तैयार है. इस वक्त इजरायल को ना किसी के मानवाधिकारों की फिक्र है. जो भी गाजा पर इजरायल के हमलों पर सवाल उठा रहा है, इजरायल उसकी बोलती बंद कर रहा है और अब इजरायल के इस क्रोध का शिकार बना है संयुक्त राष्ट्र, और उसके महासचिव एंटोनियो गुटेरेस.
24 अक्टूबर को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक हुई । बैठक में शामिल देशों के प्रतिनिधियों ने इजरायल-हमास युद्ध पर अपना-अपना Stand Clear किया. अमेरिका ने गाजा पर इजरायल के हमलों का समर्थन किया. ईरान, जॉर्डन, मिश्र ने इजरायल के हमलों की निंदा की. लेकिन संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने एक ऐसी बात बोल दी जो इजरायल को बुरी तरह चुभ गई. इजरायल के विदेश मंत्री और राजदूत ने भरी सभा में हंगामा मचा दिया. पहले संयुक्त राष्ट्र को खूब खरी-खोटी सुनाई और फिर सीधे UN महासचिव का इस्तीफा ही मांग लिया. आखिर संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने ऐसा क्या कह दिया जिससे इजरायल नाराज हो गया और संयुक्त राष्ट्र को बहुत बुरा सुना दिया. इन सारे सवालों के जवाब आपको हमारी इस रिपोर्ट में मिलेंगे.
गुटेरेस ने इजरायल को पढ़ाया मानवाधिकार कानूनों का पाठ
दरअसल हमास के आतंकवादी हमले की निंदा करने में हिचकिचाहट महसूस करने वाले संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने इजरायल को अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार कानूनों का पाठ पढ़ाया. इससे इजरायल नाराज हो गया. इजरायल ने भी दो टूक शब्दों में बता दिया कि वह अपने अस्तित्व की जंग लड़ रहा है, और ये जंग तबतक नहीं रुकेगी, जबतक इजरायल, हमास का अस्तित्व नहीं मिटा देगा.
इजरायल-हमास युद्ध में संयुक्त राष्ट्र की भूमिका तो पहले से ही संदेह के घेरे में है और अब तो गुटेरेस ने हमास के हमले को ही जस्टिफाई करने वाला बयान दे दिया है. कह दिया है कि हमास ने इजरायल पर जो हमला किया. वो अचानक नहीं हुआ. गुटेरेस ने बिना नाम लिए इजरायल को ही हमास के हमले का जिम्मेदार बता दिया. गुटेरेस के बयान का मतलब समझिये. वो ये कहना चाह रहे हैं कि गाजा पट्टी में इजरायल पिछले 56 वर्षों से अत्याचार कर रहा था. गाजा पट्टी में जो भुखमरी, जो गरीबी है. वो सब इजरायल की वजह से है.
दरअसल संयुक्त राष्ट्र महासचिव को शायद पता ही नहीं है कि वर्ष 2005 से ही गाजा पट्टी, इजरायल के नियंत्रण से पूरी तरह बाहर है. गाजा पट्टी में हमास की सरकार चलती है, जिसे पूरी दुनिया से हर साल करोड़ों डॉलर्स की मदद मिलती है, जिसका इस्तेमाल हमास, इजरायल पर हमले करने के लिए करता है. इजरायल के विदेश मंत्री एली कोहेन ने संयुक्त राष्ट्र महासचिव गुटेरेस के मनगढ़ंत आरोपों की खड़े खड़े ही हवा निकाल दी. कोहेन ने कहा, हम फिलिस्तीनी गाजा का आखिरी मिलीमीटर तक देने को तैयार हैं. गाजा की धरती को लेकर कोई विवाद नहीं है, लेकिन वे (हमास) पूरी दुनिया से पैसा लेते हैं और उससे अस्पताल, ऑफिस बिल्डिंग, कॉमर्शियल सेंटर बनाने के बजाय सुरंगें खोदते हैं. रॉकेट फैक्टरी बनाते हैं, जो लोगों के हित में नहीं है.
संयुक्त राष्ट्र महासचिव को इजरायल में मरे लोग क्यों नहीं दिखे?
कहते हैं कि अन्याय के खिलाफ चुप रहना भी अन्याय का साथ देना होता है. इजरायल-हमास युद्ध में संयुक्त राष्ट्र महासचिव भी यही कर रहे हैं. गुटेरेस को गाजा में इजरायल के हमलों में मारे जा रहे लोग तो दिख रहे हैं लेकिन इजरायल पर हमास के हमले में मारे गए लोग क्यों नहीं दिख रहे. संयुक्त राष्ट्र को गाजा के लोगों की इतनी ही ज्यादा फिक्र है तो वो हमास को क्यों नहीं कहता कि वो इजरायल के बंधकों को छोड़ दे. अगर संयुक्त राष्ट्र इतना भी नहीं कर सकता तो उसके होने का क्या मतलब है? यही बात कहते हुए संयुक्त राष्ट्र में इजरायल के राजदूत ने गुटेरेस का इस्तीफा मांग लिया.
पहली बार नहीं दिखाया गया है यूएन को आईना
इजरायल ने संयुक्त राष्ट्र को आईना दिखा दिया है, जो गाजा पर हमलों के लिए इजरायल को तो दोषी ठहरा रहा है, लेकिन इजरायल पर हुए आतंकवादी हमले के दोषी हमास के लिए Soft Corner दिखा रहा है. वैसे ये कोई पहली बार नहीं हुआ है.
रूस-यूक्रेन जंग में संयुक्त राष्ट्र की भूमिका पर यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने कहा था कि संयुक्त राष्ट्र संघ में झूठे लोग बैठते हैं जो कुछ देशों के गलत काम को सही ठहराने का काम करता है. अब इजरायल-हमास जंग में भी संयुक्त राष्ट्र, हमास के गलत काम को सही ठहराने और इजरायल के हमलों को गलत बताने में जुटा है. इतिहास गवाह है कि अपनी इसी सोच के चलते, संयुक्त राष्ट्र संघ आजतक किसी भी जंग को नहीं रोक पाया है. कुछ उदाहरण आपको बताते हैं.
1. रूस-यूक्रेन जंग
संयुक्त राष्ट्र संघ में युद्ध रोकने और रूस पर एक्शन लेने के लिए कई बार प्रस्ताव आए, लेकिन दोनों देशों के बीच अब भी जंग जारी है.
2. वियतनाम-अमेरिका युद्ध
संयुक्त राष्ट्र के गठन के दस साल बाद 1955 में शुरू हुआ युद्ध 10 साल चला, जिसमें 20 लाख आम वियतनामी मारे गए, लेकिन UNO अमेरिका को वियतनाम पर हमले करने से नहीं रोक पाया.
3. इराक-ईरान युद्ध
वर्ष 1980 में शुरू हुआ ये युद्ध आठ सालों तक चला, जिसमें 10 लाख लोग मारे गए. पहली बार किसी युद्ध में रासायनिक हथियार इस्तेमाल हुए और यूएन यहां भी शांति बनाने में नाकाम रहा.
4. कश्मीर विवाद
भारत-पाकिस्तान के बीच चल रहे कश्मीर विवाद में भी संयुक्त राष्ट्र संघ की भूमिका संदेह के घेरे में रहती है. वर्ष 2021 में संयुक्त राष्ट्र संघ में एक संबोधन के दौरान भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी संयुक्त राष्ट्र संघ की भूमिका और मंशा पर सवाल उठाया था और संयुक्त राष्ट्र संघ की विफलता के लिए उसकी वीटो पॉलिसी को जिम्मेदार बताया था.
संयुक्त राष्ट्र की विफलता का जिम्मेदार कौन?
अभी अमेरिका, रूस, चीन, ब्रिटेन और फ्रांस को संयुक्त राष्ट्र संघ में वीटो पावर हासिल है. यही पांच देश, संयुक्त राष्ट्र संघ में अपना दबदबा रखते हैं. इसके अलावा संयुक्त राष्ट्र संघ की विफलता की एक वजह कमजोर नेतृत्व भी है, जो सही वक्त पर फैसले नहीं ले पाता है. जानकार मानते हैं कि संयुक्त राष्ट्र संघ अब एक दिशाहीन संगठन बन चुका है. पहले रूस-यूक्रेन युद्ध और अब इजरायल-हमास युद्ध. सवाल पूछा जा रहा है कि जिस संगठन की स्थापना ही दुनिया में शांति स्थापित करने के लिए हुई थी, वो संगठन. जब किसी युद्ध या विवाद को सुलझा ही नहीं पाता तो उसके होने का मतलब क्या है?
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