डीएनए हिंदी: Delhi Excise Policy Scam Updates- आपको पता ही होगा ED ने कथित शराब घोटाले में मुख्यमंत्री केजरीवाल को दूसरी बार समन जारी करके पूछताछ के लिए बुलाया था. केजरीवाल को आज यानी गुरुवार 21 दिसंबर को ED के दफ्तर में हाजिरी लगानी थी, लेकिन वो एक दिन पहले ही विपश्यना करने के लिए होशियारपुर रवाना हो गए यानी पिछली बार की तरह इस बार भी केजरीवाल ने ED को गोली दे दी है. केजरीवाल पूछताछ के लिए तो नहीं गए, लेकिन उन्होंने, ED को अपना जवाब भेज दिया है और ये भी बता दिया है कि वो ED के समन को Seriously क्यों नहीं ले रहे हैं.
केजरीवाल ने पूछे ED से ही 12 सवाल
ED को CM केजरीवाल ने 6 पन्नों का लिखित जवाब भेजा है. इस जवाब में CM केजरीवाल ने ED से ही बारह सवाल पूछ लिए हैं. CM केजरीवाल ने ED से पूछा है कि उन्हें किस हैसियत से समन भेजा गया है? क्या ED उनसे केस में गवाह या संदिग्ध के रूप में पूछताछ करना चाहती है? उन्हें दिल्ली के मुख्यमंत्री के तौर पर पेश होना है या आम आदमी पार्टी के संयोजक के तौर पर ED ने उन्हें पूछताछ के लिए बुलाया है? CM केजरीवाल ने ED से ये भी पूछा है कि ED की तरफ से उन्हें Case से जुड़ी कोई जानकारी मुहैया नहीं करवाई है और ना ही समन भेजने की वजह के बारे में कोई जानकारी दी है. ED को अपने जवाब में CM केजरीवाल ने बताया है कि 20 दिसंबर को विपश्यना मेडिटेशन कोर्स करने का उनका प्रोग्राम पहले से तय था.
अगर कम शब्दों में कहें तो CM केजरीवाल ने ED को बता दिया है कि...
वो हर कानूनी समन को मानने के लिए तैयार हैं, लेकिन ED का ये समन भी पिछले समन की तरह गैरकानूनी है.
ED का समन राजनीति से प्रेरित है, ये समन वापस लिया जाए. केजरीवाल ने ED से कहा है कि उन्होंने अपना जीवन ईमानदारी और पारदर्शिता से जिया है. उनके पास छिपाने को कुछ नहीं है.
अपने खिलाफ साजिश बता रहे हैं केजरीवाल
CM केजरीवाल कई दफा कह चुके हैं कि कथित शराब घोटाले के केस में ED का नोटिस, उनके खिलाफ साजिश है. इसी केस में दिल्ली के उपमुख्यमंत्री रहे मनीष सिसोदिया और AAP के राज्यसभा सांसद संजय सिंह पहले ही जेल में बंद हैं. इन दोनों को भी ED ने पहले समन देकर पूछताछ के लिए ही बुलाया था और फिर गिरफ्तार कर लिया था. अब आम आदमी पार्टी को लग रहा है कि CM केजरीवाल को भी पूछताछ के लिए बुलाकर गिरफ्तार कर लिया जाएगा.
हालांकि ED की तरफ से ऐसा कुछ नहीं कहा जा रहा है, लेकिन केजरीवाल को ED द्वारा भेजे गए समन पर सियासत में तेज उछाल आ गया है. इस मामले पर बीजेपी और AAP के बीच कैसी जबरदस्त जुबानी जंग चल रही है. ये आपको देखना चाहिए. वैसे तो 21 दिसंबर को CM केजरीवाल को ED दफ्तर जाना था, लेकिन वो 20 दिसंबर को ही विपश्यना करने के लिए होशियारपुर चले गए, लेकिन क्यों चले गये?
- संबित पात्रा: मैं बताता हूं कि वो ईडी के सामने क्यों नहीं जा रहे. मनीष को देखा. गियो तो गियो. सतेंद्र भी गियो. संजय जी भी गियो. इसलिए उपाय ये है कि भागियो. क्योंकि वो (केजरीवाल) भी जाएंगे तो गियो तो गियो, पर कित्थे भागियो. कितना भागियो?
- राघव चड्ढा: समन ऐसे समय सामने आया है. एक हफ्ते पहले सबको पता था 10 दिन के लिए विपश्यना जा रहे हैं. फिर भी जानबूझकर किया. नीयत जांच की नहीं है.
AAP का दावा ईडी नहीं भाजपा भेज रही समन
चलिये ठीक है, इस बार केजरीवाल को अपनी सालाना विपश्यना यात्रा पर जाना था इसलिए ED दफ्तर नहीं गए, लेकिन उनको ED ने 2 नवंबर को भी बुलाया था. वो तब भी नहीं गए थे. आखिर CM केजरीवाल ED के समन को इतने हलके में क्यों ले रहे हैं? दरअसल जिस कथित शराब घोटाले के केस में ED को CM केजरीवाल से पूछताछ की दरकार है, उसमें केजरीवाल के दो मंत्री पहले ही जेल में हैं. केजरीवाल और आम आदमी पार्टी को लग रहा है कि समन ED नहीं बीजेपी वाले भिजवा रहे हैं यानी ED के समन कानून से नहीं, राजनीति से प्रेरित हैं.
राघव चड्ढा के मुताबिक, भाजपा नेता पहले घोषित कर देते हैं समन की तारीख. ये समन बीजेपी भेज रही है. बीजेपी समन पॉलिटिकल है, राजनीति से प्रेरित है. भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा के मुताबिक, कुशासना और विपश्यना साथ नहीं. जेल आसन करना ही होगा.
क्यों लग रहा AAP को समन के पीछे गिरफ्तारी की कोशिश
केजरीवाल की गिरफ्तारी होगी या नहीं होगी. ये तो ED ही जानती होगी, लेकिन आम आदमी पार्टी को लगता है कि ED का समन तो बहाना है. भाजपा का मकसद केजरीवाल को गिरफ्तार करवाना है, लेकिन क्यों?
- आतिशी: भाजपा लंबी लकीर नहीं खिंच पा रही है. लोकप्रियता को रोकने के लिए आप के नेताओं को गिरफ्तार कर रही है.
- मनोज तिवारी: तीनों मंत्री जेल में हैं. फिर ये केस गैरकानूनी कैसे हो सकता है? इससे तो ये साबित हो जाएगा कि इस केस के मास्टरमाइंड अरविंद केजरीवाल हैं.
भाजपा की इच्छा पूरी होगी या नहीं, ये तो नहीं पता. लेकिन फिलहाल तो ED को दूसरी बार गोली देकर केजरीवाल. योग साधना में लीन हो चुके हैं. इधर ED के समन पर दिल्ली की सियासत में तनाव चरम पर पहुंचा हुआ है. अरविंद केजरीवाल दूसरी बार भी ED के समन को नजरअंदाज करके विपश्यना करने चले गये हैं. केजरीवाल दस दिन तनाव मुक्त होने के लिए योग और साधना करेंगे, लेकिन इससे भाजपा को तनाव हो गया है, जिसे उम्मीद थी कि केजरीवाल को ED गिरफ्तार कर लेगी. अब देखना ये है कि केजरीवाल कबतक ED के सवालों से बचते रह सकेंगे?
क्या हैं ED के पास अब विकल्प
अब तक ED के समन पर हो रही सियासत तो आप समझ ही गए होंगे, लेकिन आखिर कबतक केजरीवाल ED के समन से बचते रहेंगे? अब ED के पास क्या विकल्प हैं ? ये भी आपको बताते हैं.
- अब ED, अरविंद केजरीवाल को तीसरा समन जारी कर सकती है. Prevention Of Money Laundring Act यानी PMLA कानून की धारा 50 के मुताबिक, कोई भी शख्स, ED के तीन ही समन को नजरअंदाज कर सकता है.
- अगर ED के तीसरे समन पर भी CM केजरीवाल पेश नहीं होते हैं तो अदालत के जरिये उनके खिलाफ गैर जमानती वॉरंट जारी कराया जा सकता है. उस स्थिति में, अगर केजरीवाल, अदालत में पेश नहीं होते तो उन्हें गिरफ्तार किया जा सकता है.
- ED के पास तीसरा विकल्प ये भी है कि वो CM केजरीवाल के आवास पर छापेमारी कर सकती है. अगर उनके खिलाफ कोई ठोस सबूत मिलें तो उन्हें सीधे गिरफ्तार भी किया जा सकता है.
इस लिहाज से देखा जाए तो ED के पास अभी कई विकल्प खुले हैं, लेकिन CM केजरीवाल के पास ED के सामने पेश होने के अलावा कोई विकल्प नहीं है. आज नहीं तो कल, उन्हें ED के सामने पेश होना ही होगा. ये बात आम आदमी पार्टी भी जानती है और CM केजरीवाल खुद भी समझते हैं. इसीलिए वो पहले ही मन बना चुके हैं कि अगर वो जेल गए तो इस्तीफा नहीं देंगे बल्कि जेल से ही सरकार चलाएंगे.
क्या जेल से चलाई जा सकती है सरकार?
अब सवाल ये है कि क्या गिरफ्तारी के बाद भी कोई मुख्यमंत्री अपने पद पर बना रह सकता है? क्या जेल में बैठकर अरविंद केजरीवाल दिल्ली सरकार चला सकते हैं? इसको लेकर कानून क्या कहता है? ये जानने के लिए हमने Legal Experts से बात की है, जिससे ये पता चला है कि Representation Of People's Act में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है कि जो मंत्री जेल जाता है, उसे मंत्रीपद से इस्तीफा देना जरूरी हो. इसका मतलब ये हुआ कि अगर CM केजरीवाल गिरफ्तार होते हैं और जेल जाते हैं तो भी वो मुख्यमंत्री बने रह सकते हैं और जेल से सरकार चला सकते हैं. इसमें कोई कानूनी अड़चन नहीं है.
जेल जाने पर भरोसेमंद को गद्दी सौंपने के तमाम उदाहरण
हालांकि ऐसा पहले कभी हुआ नहीं है कि किसी मुख्यमंत्री ने जेल में रहकर सरकार चलाई हो, लेकिन जेल जाने से पहले या जेल जाकर अपने किसी भरोसेमंद को Chief Minister बनाने के कई उदाहरण हैं.
- बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने जेल जाने से पहले इस्तीफा देकर अपनी पत्नी राबड़ी देवी को मुख्यमंत्री बना दिया था, लेकिन अप्रत्यक्ष तौर पर सरकार लालू यादव ही चला रहे थे.
- तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता जब जेल गईं थीं, तब उन्होंने भी अपनी कुर्सी, भरोसेमंद ओ. पनीरसेल्वम को सौंप दी थी.
इस लिहाज से देखा जाए तो कानूनी तौर पर भले ही मुमकिन हो, लेकिन Practically ये बेहद मुश्किल है कि कोई मुख्यमंत्री जेल में बैठकर सरकार चलाए. आम आदमी पार्टी और cm केजरीवाल ने भी जेल से सरकार चलाने के Challenges के बारे में सोचा ही होगा. लेकिन सोचने की बात तो ये भी है कि CM केजरीवाल भले ही जेल से सरकार चलाने में आने वाली चुनौतियों को पार कर लें. फिर भी क्या जेल में रहकर सरकार चलाना नैतिक तौर पर जायज होगा? अगर CM केजरीवाल गिरफ्तार हुए और उन्हें जेल से सरकार चलानी पड़ी तो इस सवाल का भी जवाब उन्हें जरूर देना होगा.
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