डीएनए हिंदी: भारतीय शेयर बाजार में लगातार चार दिन से गिरावट दर्ज की जा रही है. शुक्रवार को ट्रेडिंग सेशंस में बेंचमार्क इक्विटी इंडेक्स में लगभग 4% की गिरावट दर्ज की गई जिसके चलते इक्विटी इनवेस्टर्स (Equity Investers) की वेल्थ में 8 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की कमी दर्ज की गई है. गुरुवार को जहां BSE सेंसेक्स पिछले तीन दिनों में 1835 अंक तक गिर चुका था. वहीं शुक्रवार के दोपहर 12 बजे तक सेंसेक्स 377 अंकों की गिरावट के साथ 59,086 पर आ गया और Nifty50 की बात करें तो यह 118 अंक गिरकर 17,635 पर कारोबार कर रहा था. वहीं निफ्टी मिडकैप (Nifty Midcap), स्माल कैप (Small cap) सहित सभी इंडेक्स (Index) में गिरावट बनी हुई थी. विदेशी बाजारों में भी गिरावट दर्ज की जा रही है जिसकी वजह से भी सेंसेक्स का मूड बिगड़ा हुआ है. आइए जानते हैं कि इंडेक्स में इतनी तेजी के साथ गिरावट क्यों हो रही है.
ग्लोबल मार्केट
अमेरिकी बाजारों में गिरावट देखने को मिल रहा है जिसका असर भारतीय बाजार पर भी दिख रहा है. कयास लगाया जा रहा है कि यूएस फेडरल रिजर्व (US Federal Reserve) ब्याज दरों में बढ़ोतरी कर सकता है. जिसकी वजह से ग्लोबल बॉन्ड यील्ड में उछाल के चलते इनवेस्टर जोखिम लेने से बच रहे हैं और इसलिए अपने पोर्टफोलियो में कम रिस्की असेट्स शामिल कर रहे हैं. गोल्ड और स्विस फ्रैंक जैसी करेंसीज में मजबूती से रिस्क से बचने का पता चलता है.
आर्थिक कमजोरी
कोरोना महामारी का असर ग्लोबल मार्केट पर पड़ा है जिसकी वजह से अमेरिका सहित भारत में भी वित्तीय स्थिति खराब हो रही है. इसकी वजह से रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया (RBI) धीरे-धीरे लिक्विडिटी के नॉर्मलाइजेशन की ओर बढ़ रहा है. कॉल मनी रेट 4.55% की ऊंचाई पर पहुंच गया, जो पिछले महीने 3.25 से 3.50% के स्तर पर था.
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फॉरेन पोर्टफोलियो इनवेस्टर्स की बिकवाली
ग्लोबल बॉन्ड यील्ड में बढ़ोतरी के बीच महंगे बाजारों से निकलने और जापान और यूरोप जैसे आकर्षक वैल्यू वाले बाजारों की ओर रुख करने की वजह से फॉरेन पोर्टफोलियो इनवेस्टर्स (FPI) की बिकवाली जारी है. कुल मिलाकर फॉरेन पोर्टफोलियो इनवेस्टर्स अक्टूबर से अबतक 1 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की बिकवाली कर चुके हैं.
मार्जिन और डिमांड का असर
दिसंबर में समाप्त तिमाही में भारतीय कंपनियों की अर्निंग (Earning) से अभी तक उनके ऑपरेटिंग मार्जिन (Operating Margin) पर भारी दबाव के संकेत मिले हैं और इसका असर उनकी लाभप्रदता पर पड़ रहा है.
एक्सपर्ट्स का कहना है कि मुद्रास्फीति (Inflation) बढ़ रही है और मौद्रिक स्तर पर सरकारों की सख्ती की वजह से बाजार थोड़ा धीमा चल सकता है. हालांकि साल के दूसरे हाफ में यह स्थिति संभल सकती है.
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