Delhi Election 2025 Results: दिल्ली में पिछले दो महीने से विधानसभा चुनाव की गर्मी ने कड़ाके की ठंड में भी लोगों का पारा हाई रखा है. लगातार चौथी बार सत्ता संभालने की जुगत भिड़ा रही आम आदमी पार्टी (AAP) हो या 27 साल बाद दोबारा राजधानी की गद्दी पर काबिज होने की आस लगा रही BJP या फिर अपनी राजशाही दोबारा लौटने की आस लगा रही Congress, हर पार्टी ने दो महीने के दौरान वोटर्स को लुभाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है. अब इस सारी कवायद का नतीजा सामने आने जा रहा है. शनिवार (8 फरवरी) को मतगणना शुरू होगी और शाम तक सभी 70 सीटों का परिणाम सामने आ जाएगा. इसके साथ ही तय हो जाएगा कि दिल्ली में अगली सरकार किसकी बनेगी. एग्जिट पोल्स में अलग-अलग तरह के दावे सामने आए हैं. हालांकि ज्यादातर एग्जिट पोल्स में भाजपा और आप को 32 से 40 सीट के बीच मिलने का अनुमान लगाया जा रहा है. ऐसे में यह सवाल उठ रहा है कि यदि दोनों दलों के बीच 70 में से 35-35 सीटों की जीत के साथ मुकाबला 'टाई' हो गया तो क्या होगा? ऐसे में किसकी सरकार बनेगी? चलिए इस सवाल का जवाब हम आपको देते हैं.
पहले जान लीजिए कितनी सीट पर है बहुमत
दिल्ली विधानसभा में 70 सीट हैं. बहुमत के लिए किसी को भी 36 सीटों की जरूरत है. इस बार पिछले चुनावों के मुकाबले मतदान घटा है. साल 2013 में 66% वोटिंग हुई थी तो 2015 में 67% और 2020 में 63% वोटर्स ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया था. इस बार यानी विधानसभा चुनाव 2025 में 60.4% वोटिंग हुई है.
क्या होता है स्पष्ट बहुमत नहीं मिलने पर
यदि दिल्ली विधानसभा चुनाव में कोई भी पार्टी बहुमत का आंकड़ा यानी 36 सीट नहीं जीत सकी तो कई विकल्प सामने होंगे. इनमें सबसे ज्यादा लोकप्रिय विकल्प गठबंधन की सरकार बनाने का रहा है. भाजपा और AAP पूरी तरह विपक्षी दल हैं यानी इन दोनों के बीच गठबंधन की कोई संभावना नहीं है. इसके उलट कांग्रेस और आप ने लोकसभा चुनाव आपसी गठबंधन में लड़ा था. ऐसे में इन दोनों दल के बीच विधानसभा चुनाव में दिखी भयंकर तनातनी के बावजूद इनके एकसाथ खड़े होने के आसार हैं. हालांकि यह तभी संभव होगा, जब कांग्रेस उतनी सीट जीतने में सफल रहे, जितनी सीट की आप को बहुमत के लिए कमी पड़ेगी. किसी भी एग्जिट पोल्स में कांग्रेस को 1-2 सीटों से ज्यादा पर जीतने का दावेदार नहीं माना गया है. ऐसे में गठबंधन की सरकार बनना बेहद मुश्किल लग रहा है.
गठबंधन सरकार नहीं बनी तो क्या होगा?
यदि दो दल आपस में मिलकर गठबंधन सरकार बनाने का समझौता नहीं कर पाते हैं तो बेहद मुश्किल स्थिति होगी. ऐसे में यह संभावना है कि उपराज्यपाल उस दल को सरकार बनाने का न्योता दे, जिसकी सीटें ज्यादा होंगी. ऐसे में यदि भाजपा की सीट 34 और आप की सीटें 30 हुईं तो भगवा दल को सरकार बनाने का न्योता मिलेगा और उसे बहुमत वाले दो वोट जुटाने होंगे. इसके उलट यदि आप की 34 सीट हुईं और भाजपा की 30 सीट हुईं तो आप को यह न्योता मिलेगा.
बड़ा दल सरकार नहीं बना पाए तो क्या होगा?
यदि उपराज्यपाल के न्योते के बावजूद सबसे बड़ा दल सरकार बनाने के लिए पर्याप्त बहुमत होने की बात उनके सामने साबित नहीं कर पाता है तो उन्हें शपथ लेने का मौका नहीं मिलेगा. ऐसी स्थिति में उपराज्यपाल दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश करेंगे. यह स्थिति भी भाजपा के फेवर में होगी, क्योंकि राष्ट्रपति शासन का मतलब सीधे केंद्र सरकार का शासन होगा, जो वह उपराज्यपाल के जरिये करेगी. राष्ट्रपति शासन लगने की स्थिति में मौजूदा विधानसभा निलंबित कर दी जाएगी यानी किसी भी विधायक की कोई पॉवर नहीं होगी.
दोबारा कराने होंगे राष्ट्रपति शासन लगने पर चुनाव
यदि दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लगता है तो यह 6 महीने के लिए प्रभावी होगा. इस दौरान चुनाव आयोग को दिल्ली में फिर से विधानसभा चुनाव कराने होंगे. इससे पहले भी ऐसा हो चुका है. साल 2013 में AAP और कांग्रेस ने गठबंधन सरकार बनाई थी. यह सरकार नहीं चल सकी थी और विधानसभा भंग कर दी गई थी. इसके बाद 2015 में फिर से विधानसभा चुनाव कराए गए थे.
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