डीएनए हिंदी: Cybercrime Latest News- सीबीआई ने सैकड़ों भारतीयों को 300 करोड़ रुपये से भी ज्यादा की रकम का चूना लगाने वाले एक नेटवर्क का भंडाफोड़ किया है. करीब एक साल से भी ज्यादा समय तक जांच के बाद सीबीआई ने इस ठग नेटवर्क के जटिल जाल की जड़ खोज निकाली है, जो जॉब दिलाने, कर्ज दिलाने या पोंजी स्कीम्स में इन्वेस्टमेंट कराकर मोटा मुनाफा दिलाने का लालच देकर ठगी करता है. 137 फर्जी कंपनियों के जरिये चलाए जा रहे इस नेटवर्क के तार विदेशों से जुड़े मिले हैं. ठगी के इस गोरखधंधे में UPI खातों, क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) और इंटरनेशनल मनी ट्रांसफर का मकड़ी के जाले जैसा इतना जटिल जाल फैला हुआ था कि उसकी जांच में सीबीआई को एक साल लग गया है. इस दौरान सीबीआई ने मनी ट्रेल का एनालिसिस करने के आधार पर सामने आए संदिग्धों की तलाश में दर्जनों जगह छापेमारी भी की है.
बंगलूरू से चल रहा है पूरा गोरखधंधा
असल चिंता की बात ये है कि ठगी के इस गोरखधंधे का सेंटर पॉइंट देश का 'साइबर हब' बंगलूरू पाया गया है. सीबीआई की जांच में इस गोरखधंधे को अंजाम देने के लिए बनाई गईं 137 मुखौटा या फर्जी कंपनियां (Shell Company) सामने आई हैं. इन कंपनियों में से अधिकतर बंगलूरू में रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज के यहां रजिस्टर्ड कराई गई हैं. इनके डायरेक्टर भी बंगलूरू के ही रहने वाले लोग हैं. इनमें से कई डायरेक्टरों का नाता बंगलूरू स्थित एक मशहूर पेआउट मर्चेंट से पाया गया है यानी ये लोग इस पेआउट मर्चेंट के यहां कर्मचारी के तौर पर काम कर रहे थे.
ऑपरेशन चक्र-2 के तहत जांच में हुआ खुलासा
CBI की तरफ से जारी रिलीज के मुताबिक, साल 2022 में एजेंसी ने ऑपरेशन चक्र-2 (operation Chakra-II) की शुरुआत की थी. इसी के तहत जांच के दौरान सामने आए विभिन्न प्रकार के इनपुट के आधार पर एक केस दर्ज किया गया. एक इनपुट केंद्रीय गृह मंत्रालय के तहत काम करने वाले इंडियन साइबर क्राइम कोऑर्डिनेशन सेंटर (I4C) की तरफ से भी दिया गया था. इन इनपुट के आधार पर शुरू की गई जांच के बाद एक बड़े ठग नेटवर्क की जानकारी मिली थी.
सोशल मीडिया प्लेटफार्म्स के जरिये ढूंढते थे शिकार
सीबीआई के मुताबिक, इस नेटवर्क के ठग विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफार्म्स और उनके एडवरटाइजमेंट पोर्टल्स, एनक्रिप्टेड चैट एप्लिकेशंस और एसएमएस सर्विस का यूज शिकार तलाशने और उसके बाद ठगी को अंजाम देने में करते थे. ये लोग शिकार को कर्ज देने, पार्ट टाइम जॉब दिलाने, पोंजी स्कीम्स में इन्वेस्टमेंट कराने और मल्टी-लेवल मार्केटिंग इनिशिएटिव्स का लालच देकर ठगते थे.
हाई रिटर्न के लालच में UPI से करते इन्वेस्टमेंट और शुरू हो जाती ठगी
सीबीआई के मुताबिक, शिकार को UPI के जरिये फंड डिपॉजिट करने पर हाई रिटर्न का लालच दिया जाता था. एक बार रकम जमा हो जाती तो UPI खातों के जटिल नेटवर्क के जरिये मनी लॉन्ड्रिंग कर उसे इस तरह घुमा दिया जाता कि आसानी से उसका एंड पॉइंट मालूम ही ना हो सके. आखिर में इस पैसे को क्रिप्टोकरेंसी या सोने की खरीद में इस्तेमाल कर लिया जाता. यह काम भी झूठे नाम-पते के जरिये किया जाता था.
बड़े पेआउट मर्चेंट से जुड़ रहे हैं ठगी के तार
सीबीआई जांच में इस पूरी मनी लॉन्ड्रिंग के लिए इस्तेमाल की जा रही 137 नकली कंपनियों की जानकारी सामने आई है. बंगलूरू में रजिस्टर्ड इन कंपनियों के डायरेक्टर वहीं के एक बड़े पेआउट मर्चेंट से जुड़े हैं. यह मर्चेंट 16 बैंक खाते ऑपरेट कर रहा है, जिनमें 357 करोड़ रुपये ठगी के लिए जमा किए गए और फिर इन्हें विभिन्न बैंक खातों में ट्रांसफर कर दिया गया. सीबीआई ने बंगलूरू, कोच्चि (कोचीन) और गुरुग्राम में छापे मारकर इन नकली कंपनियों के डायरेक्टर्स के खिलाफ बहुत सारे सबूत जुटाए हैं.
ठगी का विदेशी लिंक भी आया है सामने
ठगी के इस पूरे नेटवर्क का एक विदेशी लिंक भी सामने आया है. नकली कंपनियों के डायरेक्टर एक विदेशी नागरिक से जुड़े हुए पाए गए हैं. इसके सबूत बंगलूरू में दो चार्टर्ड अकाउंटेंट्स के घरों पर छापेमारी के दौरान सामने आए हैं. ये दोनों सीए नकली कंपनियों से जुड़ी कॉन्टेक्ट इंफॉर्मेशन और डायरेक्टरशिप में छेड़छाड़ करने का काम करते थे. सीबीआई के मुताबिक, छापेमारी के दौरान ऐसे दस्तावेज, ईमेल कम्युनिकेशंस और व्हाट्सऐप चैट मिले हैं, जिनसे इस पूरे घोटाले में विदेशी नागरिक की मास्टरमाइंड जैसी भूमिका सामने आई है. मामले में अभी आगे जांच चल रही है.
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137 फर्जी कंपनी, 1 साल जांच, जानिए CBI ने कैसे पकड़ी भारतीयों से हुई 357 करोड़ रुपये की ठगी