डीएनए हिंदी: Delhi News- भारतीय कुश्ती संघ (Wrestling Federation of India) के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह (Brijbhushan Sharan Singh) मुश्किल में हैं. दिल्ली पुलिस ने महिला पहलवानों के यौन शोषण मामले में दाखिल चार्जशीट में उन्हें कई गंभीर आरोपों का दोषी माना है. पुलिस ने माना है कि बृजभूषण पर छह महिला पहलवानों के यौन उत्पीड़न, छेड़छाड़ और लगातार पीछा करने के आरोप में मुकदमा चलाकर सजा दी जानी चाहिए. यह चार्जशीट 15 जून को दाखिल की गई थी. दिल्ली पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने मंगलवार को कहा कि इस चार्जशीट के हिसाब से भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह का गुनाह मुकदमा चलाकर सजा दिए जाने लायक है. उन पर लगे आरोपों के सबूत भी दिल्ली पुलिस के पास मौजूद हैं.
आइए 5 पॉइंट्स में जानते हैं किस तरह कस रहा है बृजभूषण शरण सिंह पर पुलिस का शिकंजा.
1. पहले जान लें चार्जशीट में कौन सी धाराएं लगाई गई हैं
12 साल से कुश्ती संघ का अध्यक्ष पद संभाल रहे बृजभूषण के खिलाफ IPC की धारा 354 (शीलभंग करने की नीयत से छेड़छाड़ करना), 354ए (यौन उत्पीड़न) और 354डी (पीछा करना) के तहत आरोप लगाए गए हैं. उनके सहयोगी विनोद तोमर को IPC की धारा 109 (बहकाना), 354, 354ए और 506 (धमकी देना) के तहत आरोपी बनाया गया है. धारा 354 के तहत अधिकतम 5 साल जेल की सजा का प्रावधान है, जबकि धारा 354ए और 354डी के तहत 3-3 साल की सजा मिलती है.
2. दिल्ली पुलिस को मिले हैं ऐसे सबूत
दिल्ली पुलिस के सीनियर अफसर ने कहा, जांच टीम को बृजभूषण के खिलाफ चार महिला पहलवानों की शिकायत के मामले में सबूत मिले हैं. ये सबूत शीलभंग करने की कोशिश और यौन उत्पीड़न के हैं. दो अन्य महिला पहलवानों के मामले में पीछा करने, शीलभंग की कोशिश करने और यौन उत्पीड़ने के सबूत मिले हैं. उन्होंने कहा, 1,082 पेज की चार्जशीट बृजभूषण शरण सिंह और विनोद तोमर के खिलाफ दाखिल की गई है. इन दोनों को चार्जशीट में कॉलम-11 के तहत आरोपी बनाया गया है. चार्जशीट में कॉलम-11 का मतलब होता है कि जांचकर्ताओं को आरोपियों के खिलाफ सबूत मिले हैं. बता दें कि दिल्ली पुलिस ने पहले ही कहा था कि 6 में से 4 महिला पहलवानों ने अपने आरोपों को साबित करने के लिए ऑडियो और विजुअल सबूत उपलब्ध कराए हैं.
3. क्यों नहीं किया गया है गिरफ्तार?
सबूत मिलने के बावजूद बृजभूषण और विनोद को गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया है? इस सवाल पर सीनियर अफसर ने कहा, सुप्रीम कोर्ट के निर्णय में कहा गया है कि जिन मामलों में 7 साल से कम कैद का प्रावधान है, उनमें गिरफ्तारी अनिवार्य नहीं है. मौजूदा मामले में अधिकतम सजा 5 साल की है. इस कारण हमने उन्हें गिरफ्तार नहीं किया है.
4. इस तरीके से मजबूत बन जाएगा केस
दिल्ली पुलिस के एक अन्य अधिकारी ने कहा कि 15 जून को दाखिल दस्तावेज महज प्राइमरी चार्जशीट है. यह फाइनल रिपोर्ट नहीं है. उन्होंने कहा, जांचकर्ताओं को जैसे-जैसे सबूत मिलते रहेंगे, वे सप्लीमेंट्री चार्जशीट में उन्हें जोड़ लेंगे. साथ ही अभी तक लेबोरेट्री से फोटोज, वीडियोज और ऑडियो फाइल्स की फोरेंसिक रिपोर्ट भी नहीं मिली है. इन रिपोर्ट में सामने आए तथ्य भी डिजिटल सबूत के तौर पर सप्लीमेंट्री चार्जशीट में दर्ज होंगी.
5. कोर्ट ले चुका है चार्जशीट का संज्ञान, 18 जुलाई को है सुनवाई
दिल्ली पुलिस की चार्जशीट पर एडिशनल चीफ मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट हरजीत सिंह जसपाल संज्ञान ले चुके हैं. इस चार्जशीट पर सुनवाई के लिए 18 जुलाई की तारीख तय की गई है. कोर्ट ने इस दिन बृजभूषण और कुश्ती संघ के निलंबित सहायक सचिव विनोद तोमर को भी पेश होने का समन दिया है. कोर्ट ने चार्जशीट का संज्ञान लेते हुए इस बात को अंडरलाइन किया है कि दोनों के खिलाफ मुकदमा चलाने लायक पर्याप्त सबूत मौजूद हैं.
देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगल, फ़ेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम पर.
- Log in to post comments
बृजभूषण ने किया है सजा लायक गुनाह, 5 पॉइंट्स में समझें दिल्ली पुलिस की चार्जशीट का पूरा फैक्ट