डीएनए हिंदी: Bihar Political Updates- बिहार में नई सरकार के गठन के बावजूद राजनीतिक उठापटक जारी है. जेडीयू सुप्रीमो और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को समर्थन देकर सरकार बनाने के बाद अब भाजपा ने लालू प्रसाद यादव की राजद को एक और झटका देने की तैयारी कर ली है. दरअसल भाजपा ने विधानसभा अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी (Awadh Bihari Choudhary) को भी हटाने की तैयारी कर ली है, जो लालू प्रसाद यादव की पार्टी के ही नेता हैं. भाजपा ने इसके लिए चौधरी के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस भी दे दिया है. अब देखना यह है कि चौधरी इस प्रस्ताव पर चर्चा कराएंगे या खुद ही अपने पद से इस्तीफा देंगे. हालांकि दोनों ही स्थिति में विधानसभा को नया स्पीकर मिलना तय है, जो भाजपा-जेडीयू खेमे का ही होगा. आइए आपको बताते हैं कि विधानसभा स्पीकर को हटाने के लिए अविश्वास प्रस्ताव लाने की प्रक्रिया क्या है?

पहले जान लीजिए विधानसभा के अंदर का गणित

विधानसभा के अंदर यदि भाजपा के नोटिस के बाद अविश्वास प्रस्ताव पर पर चर्चा हुई तो चौधरी का हटना तय माना जा रहा है. इसका कारण विधानसभा में वोट का गणित है, जो भाजपा नेतृत्व वाले NDA गठबंधन के पक्ष में है. भाजपा-जेडीयू खेमे के पास विधानसभा में 128 विधायकों का समर्थन है, जबकि लालू यादव की RJD के नेतृत्व वाले महागठबंधन के पास 114 विधायक हैं. ऐसे में वोटिंग होने की स्थिति में भाजपा खेमा आसानी से जरूरी 122 वोट डाल सकता है. 

अब जान लीजिए क्या होती है अविश्वास प्रस्ताव की प्रक्रिया

विधानसभा स्पीकर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाकर उन्हें हटाने का प्रावधान भारतीय संविधान में किया गया है. इसके लिए भारतीय संविधान के अनुच्छेद 179 के खंड (c) में पूरी प्रक्रिया दी गई है, जो सभी राज्यों में एकसमान लागू होती है. इस प्रस्ताव के तहत चार चरण में पूरी प्रकिया होती है.

सबसे पहले देना होता है 14 दिन का नोटिस

विधानसभा को हटाने के लिए कोई भी विधायक अविश्वास प्रस्ताव सदन के अंदर पेश कर सकता है. यह अविश्वास प्रस्ताव लिखित रूप में विधानसभा सचिव को दिया जाता है, जिसके बाद स्पीकर को जवाब देने के लिए 14 दिन का समय मिलता है. भाजपा ने अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दे दिया है, जिसमें लिखा है कि विधानसभा के मौजूदा स्पीकर अवध बिहारी चौधरी पर अब सभा का विश्वास नहीं रह गया है. इस नोटिस पर पूर्व मुख्यमंत्री व हिन्दुस्तान अवाम मोर्चा के अध्यक्ष जीतन राम मांझी, पूर्व डिप्टी सीएम ताराकिशोर प्रसाद आदि के हस्ताक्षर हैं.

स्पीकर के जवाब देने के बाद होता है मतदान

विधानसभा स्पीकर जब नोटिस का जवाब दे देते हैं या फिर 14 दिन का समय पूरा हो जाता है तो अविश्वास प्रस्ताव पर विधानसभा में मतदान होता है. इस मतदान में स्पीकर के खिलाफ बहुमत आने पर उन्हें पद से हटा दिया जाता है.

मतदान में बहुमत कैसे तय होता है

अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष या विपक्ष में बहुमत की संख्या मतदान में भाग लेने वाले सदस्यों की संख्या से तय होती है. यदि मतदान के समय विधानसभा में कुल सदस्यों की संख्या 100 से ज्यादा है तो 1/10 सदस्यों के अविश्वास प्रस्ताव का समर्थन करने पर इसे पारित मान लिया जाता है. यदि विधायकों की कुल संख्या 100 से कम है तो अविश्वास प्रस्ताव को कम से कम 1/5 सदस्यों का समर्थन मिलने पर ही विधानसभा स्पीकर को हटना पड़ता है.

स्पीकर नहीं चला सकता अविश्वास प्रस्ताव की कार्यवाही

विधानसभा में स्पीकर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव आने पर उन्हें खुद को कार्यवाही से अलग करना होता है यानी वे अपने खिलाफ हो रहे मतदान में एक सामान्य सदस्य के तौर पर ही भाग लेंगे. भारतीय संविधान के अनुच्छेद 181 में यह साफ किया गया है कि अविश्वास की प्रक्रिया के दौरान अध्यक्ष सदन की कार्यवाही का संचालन नहीं कर सकेगा, लेकिन सदन में बोलने और कार्यवाही में हिस्सा लेने का अधिकार होगा.

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Bihar में लालू खेमे को एक और झटका, विधानसभा स्पीकर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का
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Bihar में विधानसभा स्पीकर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस, जानिए क्या होती है हटाने की प्रक्रिया

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