यूपी सुर्खियों में है. वजह बना है बहराइच. जहां मूर्ति विसर्जन के दौरान हई दो पक्षों की हिंसा में एक युवक की मौत ने आग में खर का काम किया. इलाके में तनाव कैसा है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ को अधिकारियों संग बैठक बुलानी पड़ी. होम सेक्रेटरी, एडीजी से लेकर एसटीएफ चीफ तक को मौका ए वारदात पर भेजना पड़ा. हिंसा के बाद स्थिति पर नकेल कसने के लिए 10 कंपनी पीएसी के साथ 4 एसपी रैंक के अफसर, दो एडिशनल एसपी, 6 सीओ, एक कंपनी आरएएफ को बहराइच भेजा गया है. आगे बात न बिगड़े इसके अलावा यूपी STF की 5 टीमें भी बहराइच में तैनात की गई हैं.
घटना के बाद से यूपी का लॉ एंड आर्डर सवालों के घेरे में है. सवाल उठाए जा रहे हैं कि उस यूपी में जहां एनकाउंटर ने अपराधियों को आतंकित किया हुआ है वहां इतनी बड़ी साजिश कैसे और क्यों रची गयी? वहीं घटना पर अपना पक्ष रखते हुए सीएम योगी ने कहा है कि माहौल बिगाड़ने वालों को बख्शा नहीं जाएगा.योगी ने कहा कि, 'सभी को सुरक्षा की गारंटी, लेकिन उपद्रवियों और जिनकी लापरवाही से घटना घटी है, ऐसे लोगों को चिह्नित कर कठोरतम कार्रवाई की जाएगी. सीएम योगी के इस बयान का असर दिखना भी शुरू हो गया है.
बहराइच जिला प्रशासन के अनुसार, अब तक 30 उपद्रवी हिरासत में लिए जा चुके हैं. हिंसा मामले में पुलिस ने अब्दुल हमीद, सरफराज, फहीम, साहिर खान, ननकऊ और और मारफ अली समेत 10 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया है. इसी के साथ 4 अज्ञात के खिलाफ भी मामला दर्ज हुआ है.
अब जबकि बहराइच में सांप्रदायिक दंगे हो ही चुके हैं और इसपर सियासत तेज है. कहा जा सकता है कि बहराइच में हुई इस सांप्रदायिक हिंसा का सीधा असर हमें मिल्कीपुर और कटेहरी विधानसभा उपचुनाव में दिखेगा. यूपी की राजनीति को समझने वाले तमाम राजनीतिक विश्लेषक ऐसे हैं जिनका मानना है कि बहराइच का ये दंगा स्पष्ट तौर पर उपचुनावों पर असर डालेगा.
बताते चलें कि जल्द ही यूपी में 10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं. बात अगर भाजपा की हो तो यूपी में भाजपा लोकसभा चुनाव में अपेक्षित सफलता नहीं हासिल कर पाई थी. और तब यूपी के मुखिया योगी आदित्यनाथ की कार्यप्रणाली सवालों के घेरे में आई थी. ऐसे में अब जबकि बहराइच दंगों की भेंट चढ़ गया है, माना यही जा रहा है कि आने वाले वक़्त में इसे आधार बनाकर भाजपा हिंदू वोटों को एकजुट करेगी. कहा तो यहां तक जा रहा है कि इन दंगों के बाद अब प्रचार प्रसार में भाजपा को कम मेहनत करनी होगी.
वहीं दूसरी ओर इंडिया गठबंधन के दलों समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के लिए भी उपचुनाव आन, बान, शान का विषय बने हैं. जिस हिसाब से कांग्रेस और समाजवादी पार्टी भाजपा सरकार को नकारा साबित करने के उद्देश्य से बयान दे रहे हैं साफ़ है कि उनकी नजर अल्पसंख्यक वोटों पर है. सोशल मीडिया से लेकर प्रवक्ताओं के माध्यम से बयानबाजी तक सपा और कांग्रेस हर वो हथकंडा अपना रहे हैं जिससे माइनॉरिटी वोट्स उनकी तरफ आ जाएं.
चूंकि 10 सीटों पर हो रहा ये उपचुनाव 2027 विधानसभा चुनावों के लिए सेमीफाइनल है, तमाम दलों का प्रयास यही रहेगा कि वो बाजी मार लें. बताते चलें कि बहराइच दंगे मिल्कीपुर और कटेहरी के लिए बहुत अहम साबित होने वाले हैं.
जैसा कि हम ऊपर ही इस बात को स्पष्ट कर चुके हैं कि चाहे वो भजपा हो या फिर सपा-कांग्रेस सभी बहराइच में हुए दंगों को अवसर में बदलने की शुरुआत अभी से सबने शुरू कर दी है. बहराइच दंगे में मारे गए युवक राम गोपाल मिश्रा का एक विडियो वायरल हो रहा है जिसमें वह एक घर के ऊपर चढ़कर हरे झंडे को उतारकर भगवा झंडा फहराने की कोशिश कर रहा है.
राम गोपाल यादव के इस वायरल वीडियो पर एंटी बीजेपी लोगों से लेकर प्रो बीजेपी लोगों तक सबके अपने तर्क हैं. हत्या के बाद जैसे हालात सोशल मीडिया पर बनाए जा रहे हैं, उसे देखकर इतना तो तय है कि उपचुनावों से पहले वोटों का ध्रुवीकरण होगा और धर्म के आधार पर हुई इस बंटवारे की शुरुआत भाजपा और सपा में से किसी एक को फायदा ज़रूर पहुंचाएगी.
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कैसे मिल्कीपुर-कटेहरी के उपचुनावों पर सीधा असर डालेंगे बहराइच में हुए दंगे?