Amit Shah Promise on Delimitation: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को दक्षिण भारतीय राज्यों से परिसीमन के दौरान एक भी लोकसभा सीट कम नहीं होने का वादा किया है. शाह ने यह घोषणा तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के उस ऐलान के एक दिन बाद की है, जिसमें स्टालिन न परिसीमन के मुद्दे पर चर्चा के लिए 5 मार्च को चेन्नई में एक ऑल-पार्टी मीटिंग बुलाने की बात कही है. स्टालिन ने परिसीमन प्रक्रिया को 'दक्षिण भारतीय राज्यों के ऊपर लटकी तलवार' करार दिया था. इसके बाद बुधवार को कोयंबटूर में आयोजित रैली में शाह ने कहा,'परिसीमन प्रक्रिया के चलते तमिलनाडु समेत किसी भी दक्षिणी राज्य का संसदीय प्रतिनिधित्व कम नहीं होगा.' माना जा रहा है कि शाह ने यह वादा दक्षिण भारतीय राज्यों के साथ एक और मोर्चा खुलने से रोकने के लिए किया है, क्योंकि भाषा विवाद को लेकर दक्षिण भारतीय राज्यों खासतौर पर तमिलनाडु और केंद्र सरकार के बीच पहले से ही 'कोल्ड वार' चल रही है.
क्या कहा है शाह ने परिसीमन को लेकर
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कोयंबटूर में की गई रैली में कहा,'मैं दक्षिण भारत की जनता को आश्वस्त करना चाहता हूं कि मोदी जी ने आपके हितों को ध्यान में रखते हुए यह सुनिश्चित किया है कि एक भी सीट कम न हो. जो भी बढ़ोतरी होगी, दक्षिणी राज्यों को उसका उचित हिस्सा मिलेगा, इसमें संदेह करने का कोई कारण नहीं है.' शाह ने इस दौरान तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के उन आरोपों का भी खंडन किया, जिनमें स्टालिन ने नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार पर तमिलनाडु को केंद्रीय फंड देने से इंकार करने की बात कही थी. शाह ने ANI से कहा,'एमके स्टालिन के बयान में कोई सच्चाई नहीं है. मोदी सरकार ने तमिलनाडु को पिछले 5 साल में 5 लाख करोड़ रुपये दिए हैं. मुख्यमंत्री यदा-कदा ये दावा करते रहते हैं कि केंद्र के हाथों राज्य के साथ अन्याय हो रहा है. हालांकि UPA और NDA की सत्ता के दौरान बांटे गए पैसे की तुलना करने पर स्पष्ट हो जाता है कि असली अन्याय UPA सरकार के दौरान किया गया था.'
#WATCH | Coimbatore, Tamil Nadu | Union Home Minister Amit Shah says, "...Sometimes it feels as if DMK has let all the corrupts in the society join DMK through a membership drive... MK Stalin and his son are raising several issues to deviate from the real issues. Today, they are… pic.twitter.com/EP1zBOuzTt
— ANI (@ANI) February 26, 2025
स्टालिन ने लगाया था आरोप- परिसीमन में घट जाएंगी हमारी 8 सीट
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने 25 फरवरी को परिसीमन को लेकर 5 मार्च को ऑल पार्टी मीटिंग का आह्वान किया था. इस मीटिंग में राज्य के सभी 40 राजनीतिक दलों को उन्होंने परिसीमन प्रक्रिया पर चर्चा के लिए आमंत्रित किया है. स्टालिन ने इस दौरान आरोप लगाया था कि तमिलनाडु ने फैमिली प्लानिंग प्रोग्राम को सफलतापूर्वक लागू किया है. इसके चलते आबादी घटने के कारण लोकसभा में तमिलनाडु की 8 सीटें काटने की तैयारी है और उसके 39 के बजाय 31 सांसद ही रह जाएंगे.
कब होनी है परिसीमन प्रक्रिया
देश की आबादी के हिसाब से लोकसभा में प्रतिनिधित्व तय करने के लिए परिसीमन के जरिये हर इलाके की सीटों की संख्या तय की जाती है. साल 2002 के परिसीमन अधिनियम के हिसाब से साल 2026 में परिसीमन प्रक्रिया शुरू होने की संभावना है. माना जा रहा है कि पिछले 20 साल के दौरान आबादी में बड़े पैमाने पर आई बढ़ोतरी के चलते साल 2026 में लोकसभा की मौजूदा 545 सीटों की संख्या बढ़कर 750 पर पहुंच सकती है.
2019 के निजी सर्वे में तमिलनाडु की सीटें बढ़ने का था आकलन
स्टालिन भले ही तमिलनाडु की सीटें परिसीमन में घटने का दावा कर रहे हैं, लेकिन साल 2019 के एक निजी सर्वे में इसके उलट जानकारी सामने आई थी. कार्नेजिक एंडाउमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस के लिए मिलन वैष्णव व जैमी हिंस्टन ने यह सर्वे पेश किया था, जिसमें परिसीमन के बाद भारतीय लोकसभा में सीटों की संख्या बढ़कर 668 हो जाने का आकलन लगाया गया था. इसमें सबसे ज्यादा सीट उत्तर प्रदेश में बढ़नी थी, जहां मौजूदा 80 सीटों के बढ़कर 143 हो जाने की संभावना है. तमिलनाडु की मौजूदा 39 सीटों के बढ़कर 49 होने का आकलन लगाया गया था, जबकि केरल की सीटें 20 ही बनी रहने की संभावना जताई गई थी.
क्यों भाषा विवाद के बीच जानबूझकर परिसीमन की चर्चा छेड़ रहे स्टालिन?
परिसीमन प्रक्रिया शुरू होने में अभी 1 साल का समय बाकी है. हालांकि यह भी माना जा रहा है कि केंद्र सरकार साल 2021 में नहीं हो सकी जनगणना 2026 में कराएगी. ऐसा हुआ तो परिसीमन 2027 में होगा. इतना समय बाकी होने के बावजूद एमके स्टालिन का अभी से इसे मुद्दा बनाने को एक्सपर्ट्स राजनीतिक नजरिए से देख रहे हैं. दरअसल इस समय भाषा विवाद का मुद्दा तमिलनाडु में गर्माया हुआ है. तमिल भाषा पर हिंदी भाषा थोपने का दावा करके स्टालिन इस मुद्दे पर जनता को जोड़ने में सफल रहे हैं. राज्य में अगले साल यानी 2026 में विधानसभा चुनाव होने हैं. ऐसे में स्टालिन अभी से परिसीमन में सीटें घटने का मुद्दा उठाकर जनता के बीच केंद्र में सत्ता चला रही भाजपा की छवि को तमिल विरोधी बनाने की कोशिश में है. यदि ऐसा होता है तो विधानसभा चुनाव में भाजपा और उसके सहयोगी दलों की चुनौती स्टालिन की पार्टी द्रमुक (DMK) के सामने बेहद कमजोर हो जाएगी. यही कारण है कि अमित शाह को तमिलनाडु में रैली के दौरान इस मुद्दे पर स्पष्टीकरण देने के लिए मजबूर होना पड़ा है.
(Inputs from ANI)
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Tamli Nadu के कोयंबटूर में बुधवार को आयोजित रैली में बोलते Amit Shah. (फोटो- PTI)
'परिसीमन में नहीं घटेगी सीट' दक्षिण भारतीय राज्यों से किया Amit Shah ने वादा, क्या भाषा विवाद के कारण दे रहे स्पष्टीकरण?