बस कुछ दिन और. साल 2024 एक याद बनकर अतीत की डायरी में दर्ज हो जाएगा. अब चूंकि 2024 समापन की ओर है. तो यदि इसे देखें और इसका अवलोकन करें तो तमाम चीजें निकल कर आती हैं और सिनेमा भी इन्हीं में से एक है. जिक्र इस बीत रहे साल के संदर्भ में सिनेमा का हुआ. तो यह कहना कहीं से भी गलत नहीं है कि 2024 महिला प्रधान सिनेमा के लिए मील का पत्थर साबित हुआ है. ऐसा इसलिए क्योंकि इस साल तमाम फिल्में न केवल महिला निर्देशकों ने निर्देशित की बल्कि इन फिल्मों में लीड रोल भी महिलाओं ने किया.
और दिलचस्प यह कि जब ये फ़िल्में बनकर तैयार हुईं तो अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भी इन फिल्मों ने अपना जलवा बिखेरा और धूम मचाई.चाहे वो कान्स का मंच रहा हो. या फिर सनडांस का पोडियम, इन फिल्मों पर ग्लोबल स्पॉटलाइट चमकी जिसने ये बताया कि इंडियन सिनेमा भी अब ग्लोबल होने के लिए कदम उठा चुका है.
यानी साल 2024 में जिस तरह की महिला केन्द्रित फिल्में बनी. इतना तो साफ हो गया है कि भारतीय सिनेमा एक क्रांतिकारी परिवर्तन की तरफ अग्रसर है.
यूं तो इस साल कई एक से बढ़कर एक फिल्में आई. मगर बात बेहतरीन फिल्म की हो तो पायल कपाड़िया द्वारा निर्देशित ड्रामा ‘ऑल वी इमेजिन एज़ लाइट’ एक ऐसी फिल्म रही जिसने अपन्मी स्टोरीलाइन और क्रिएटिविटी से न केवल बॉलीवुड बल्कि हॉलीवुड तक के बड़े फिल्मकारों/ निर्देशकों को हैरत में डाल दिया.
मई 2024 में प्रतिष्ठित कान्स फिल्म फेस्टिवल में अन्य फिल्मों के साथ प्रीमियर की गई यह फिल्म एक ऐतिहासिक एंट्री थी, क्योंकि यह 1994 के बाद से कान्स में मुख्य प्रतियोगिता में प्रतिस्पर्धा करने वाली पहली भारतीय फिल्म बनी.
यह इंटरनेशनल को-प्रोडक्शन, फ्रांस, भारत, नीदरलैंड, लक्जमबर्ग और इटली के बीच कोलैबोरेशन है. जो मलयालम, हिंदी और मराठी में उपलब्ध है. बता दें कि देश विदेश में जिस भी शख्स ने इस फिल्म को देखा, वो अपने को इस फिल्म की तारीफ करने से नहीं रोक पाया है. '
जिस तरह ‘ऑल वी इमेजिन एज़ लाइट’कान्स के ग्रैंड प्रिक्स में इतिहास रचने में कामयाब हुई, भारतीय सिनेमा, वैश्विक सिनेमा में अपनी जगह बनाने में कामयाब हुआ.
इसके बाद ‘लापता लेडीज़’ (जिसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ‘लॉस्ट लेडीज़’के नाम से रिलीज़) का शुमार भी इस साल की उन फिल्मों में है. जिसने न केवल एक बड़ा सोशल मैसेज दिया. बल्कि इस फिल्म में जैसी एक्टर्स की परफॉरमेंस थी, उसने दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया.
किरण राव द्वारा निर्देशित, हिंदी भाषा की कॉमेडी-ड्रामा यह फिल्म दो नवविवाहित दुल्हनों की कहानी है. जिनकी ट्रेन में यात्रा के दौरान गलती से अदला बदली हो जाती है.
सितंबर 2023 में टोरंटो इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में दिखाई गई और मार्च 2024 में सिनेमाघरों में रिलीज हुई. इस फिल्म को इसकी आकर्षक पटकथा और दमदार अभिनय के लिए आलोचकों की प्रशंसा मिली.
‘लापता लेडीज’ने मेलबर्न के भारतीय फिल्म महोत्सव में सर्वश्रेष्ठ फिल्म (क्रिटिक्स अवार्ड) का पुरस्कार जीता.
इसी तरह शुचि तलाटी की ‘गर्ल्स विल बी गर्ल्स’ ने 2024 के सनडांस फिल्म फेस्टिवल में अपनी छाप छोड़ी. जहां ये फिल्म कम्पटीशन सेक्शन का हिस्सा थी.अंग्रेजी भाषा की यह फिल्म हिमालय की तलहटी में बसे बोर्डिंग स्कूल की शांत पृष्ठभूमि पर आधारित है. फिल्म किशोर रोमांस और यौन जागृति की जटिलताओं के बारे में है.
प्रीति पाणिग्रही, कनी कुसरुति और केशव बिनॉय किरण अभिनीत इस फिल्म का मेन कैरेक्टर मीरा है. फिल्म मीरा की आत्म-खोज की यात्रा और उसकी मां के साथ उसके विकसित होते रिश्ते को पर्दे पर बखूबी दर्शाती है.
संध्या सूरी द्वारा निर्देशित 'संतोष' इस साल की एक और बेहद कमाल की फिल्म थी, जो एक हिंदी क्राइम ड्रामा है.ग्रामीण उत्तर भारत में सेट, यह फिल्म एक विधवा की कहानी है, जिसका किरदार शाहना गोस्वामी ने निभाया है, जिसे अपने दिवंगत पति की पुलिस कांस्टेबल की नौकरी विरासत में मिलती है.
फिल्म का वर्ल्ड प्रीमियर मई 2024 में 77वें कान फिल्म फेस्टिवल के अन सर्टेन रिगार्ड सेक्शन में हुआ, जहां इसे सकारात्मक समीक्षा मिली. बाद में इसे 97वें अकादमी पुरस्कारों में सर्वश्रेष्ठ अंतर्राष्ट्रीय फीचर फिल्म के लिए यूके की एंट्री बनाया गया. ‘संतोष’ जनवरी 2025 में भारत में सिनेमाघरों में रिलीज के लिए तैयार है.
इसके अलावा इसी साल यानी 2024 में रिलीज हुई ‘स्त्री 2’, जो 2018 की हिट हॉरर-कॉमेडी ‘स्त्री’ का बहुप्रतीक्षित सीक्वल है ‘दो पत्ती’, ‘भक्षक’, ‘क्रू’ और ‘शर्माजी की बेटी’ वो फ़िल्में हैं. जो सिनेमा में न केवल महिलाओं की भागीदारी को दर्शाती हैं. बल्कि ये भी बताती हैं कि अब वक़्त बदल चुका है. और तमाम क्षेत्रों की तरह सिनेमा और उसमें भी क्वालिटी सिनेमा में दबदबा महिलाओं का है.
जाते जाते हम फिर इस बात को दोहराना चाहेंगे कि, साल 2024 में सिनेमा के क्षेत्र में जो भी काम हुआ. और जिस तरह भारतीय सिनेमा ने ग्लोबली अपनी एक अलग पहचान बनाई. उसकी अहम वजह इंडस्ट्री की वो महिलाएं हैं, जो चाहे कैमरा के सामने हों, या फिर पीछे.
इन तमाम सशक्त महिलाओं की बदौलत एक देश के रूप में भारत को और साथ ही हम सिने प्रेमियों को गर्व करने का मौका मिल रहा है.
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Year Ender 2024: सिनेमा में चला महिलाओं का जादू, दिया भारत को गर्व करने का मौका!