विधानसभा चुनाव के बाद जैसे नतीजे आए, जिस तरह पार्टी सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल समेत तमाम बड़े नेताओं ने हार का मुंह देखा दिल्ली में आप की हालत पतली नजर आ रही है. जैसे हालात हैं आम आदमी पार्टी का एक और किला हमें ढहता हुआ दिख रहा है, माना जा रहा है कि भारतीय जनता पार्टी की नजर राष्ट्रीय राजधानी के नगर निगम में महापौर पद पर है, जहां उसके प्रतिद्वंद्वी के पास 'कागजों' पर संख्याबल है.

खबर है कि वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य में भाजपा ने आम आदमी पार्टी के पार्षदों को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए कमर कस ली है. बीते दिनों ही  आम आदमी पार्टी के तीन पार्षदों ने भाजपा जॉइन की है जिसके बाद भगवा पार्टी ने पार्षदों की संख्या 115-115 पर बराबर कर ली है.

दिल्ली भाजपा के सूत्रों ने संकेत दिया है कि अप्रैल से पहले वे और अधिक पार्षदों को पार्टी से जोड़ने की तैयारी में हैं.  उन्होंने दावा किया कि पार्षद आप नेतृत्व से नाराज हैं और पार्टी छोड़ने को तैयार हैं.

ध्यान रहे कि दिल्ली नगर निगम में दलबदल विरोधी कानून लागू नहीं होता है, जिसकी संख्या 250 है.  हालांकि, लोकसभा और राज्यसभा के दस सांसदों और अध्यक्ष द्वारा नामित 14 विधायकों को मेयर चुनाव में वोटिंग का अधिकार है, जिससे कुल वोट 274 हो जाते हैं.

एमसीडी के 2022 के चुनावों में, आप ने 134 वार्ड जीते थे, जबकि भाजपा ने 104 और कांग्रेस ने नौ वार्ड जीते थे. वर्तमान में, 12 रिक्तियां हैं, जिनमें से 11 (8 भाजपा और 3 आप) विधायक और एक सांसद (भाजपा) के रूप में चुने गए हैं.

दलबदल के बाद, भाजपा की संख्या बढ़कर 115 हो गई है, जबकि आप की संख्या घटकर 115 और कांग्रेस की संख्या घटकर आठ रह गई है.

गौरतलब है कि मौजूदा वक़्त में विधानसभा चुनावों के नतीजों ने समीकरण बदल दिए हैं, अब भाजपा के पास 132 वोट हैं, जबकि आप के पास 122 वोट हैं. भाजपा को मिले 132 वोट 115 पार्षदों, सात लोकसभा सांसदों और 10 विधायकों से आए हैं, जबकि आप के वोटों में तीन राज्यसभा सांसद और चार विधायक शामिल हैं। वर्तमान में, एमसीडी में मनोनीत 13 विधायक आप से हैं, जबकि केवल एक भाजपा से है.

यदि कांग्रेस, जिसने पिछले तीन मेयर चुनावों में मतदान से परहेज किया था, जिसमें आप को जीत मिली थी, आप के पक्ष में मतदान करती है, तो भी अप्रैल में उसके लिए यह पद हासिल करना मुश्किल होगा.

दिल्ली में हर साल अप्रैल में मेयर और डिप्टी मेयर का चुनाव पार्षदों में से पांच साल के कार्यकाल के लिए होता है. 2022 के चुनाव दिसंबर में हुए थे, हालांकि उस साल कार्यकाल अप्रैल में ही खत्म हो गया था क्योंकि सरकार तीनों निगमों को मिलाकर एक बनाना चाहती थी.

कानून के मुताबिक दिल्ली में मेयर का कार्यकाल एक साल का होता है और हर साल एमसीडी में मेयर चुनने के लिए चुनाव होते हैं. पहला साल महिलाओं के लिए आरक्षित होता है, जबकि तीसरा साल दलितों के लिए और दूसरा, चौथा और पांचवां साल अनारक्षित होता है.

पिछले साल नवंबर में हुए चुनावों में देरी हुई थी क्योंकि आप और भाजपा दोनों ने ही कड़ा रुख अपनाया था, लेकिन आप ने जीत हासिल की थी. आप के महेश खिंची को 265 में से 133 वोट मिले थे, जबकि उनके भाजपा प्रतिद्वंद्वी किशन लाल को 130 वोट मिले थे, जबकि दो वोट अवैध घोषित किए गए थे.

भाजपा नेताओं ने दावा किया कि आप के आठ पार्षदों ने क्रॉस वोटिंग की थी, जबकि दो वोट - एक भाजपा पार्षद और एक आप पार्षद - अवैध घोषित किए गए थे.

बहरहाल दिल्ली विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी को हराकर और पार्टी सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल, उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, सौरभ भरद्वाज, अवध ओझा जैसे बड़े और नामी गिरामी चेहरे इनको धूल चटाकर भारतीय जनता पार्टी ने दिल्ली की जनता को बता दिया है कि उसका मनोबल बढ़ा हुआ है.

बाकी जिस तरह दिल्ली विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी को भाजपा के हाथों हार मिली, कहीं न कहीं पार्टी से जुड़े पार्षद डरे हुए हैं उनको लगता है कि जब पार्टी सुप्रीमो अपनी ही सीट नहीं बचा पाए तो वो उनके ( आप पार्षदों के ) राजनीतिक भविष्य का क्या ही कल्याण करेंगे.

कुल मिलाकर दिल्ली विधानसभा चुनाव के बाद जैसी स्थिति आम आदमी पार्टी की हुई, आने वाले वक़्त में उसके और पार्टी प्रमुख अरविंद केजरीवाल के लिए करो या मरो की स्थिति है. और आने वाला महापौर का चुनाव इस बात का निर्धारण कर देगा कि बतौर पार्टी हम आप को और कितने दिन भारतीय राजनीति में राजनीतिक संभावनाएं तलाशते हुए देखेंगे.  

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After winning Delhi Assembly Elections 2025 BJP Targeting another Another APP fortress all eyes on mayor post
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'आप' के एक और किले पर सेंधमारी की फिराक में भाजपा, क्यों मेयर चुनाव होगा खास?
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दिल्ली के तहत आने वाले वक़्त में भी भाजपा और आप में मुकाबला दिलचस्प है
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'आप' के एक और किले पर सेंधमारी की फिराक में भाजपा, मेयर चुनावों पर दोनों की निगाहें

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