हमास ने हिजबुल्लाह के नए नेता के रूप में नईम कासिम की नियुक्ति को समूह की वापसी का सबूत बताया है. भले ही कासिम को लेकर हिजबुल्लाह कुछ कह ले, लेकिन इस बात में कोई शक नहीं है कि संगठन द्वारा मुश्किल वक़्त में कासिम को सामने लाना विकल्पों की कमी को दर्शाता है. बता दें कि 1980 के दशक की शुरुआत में हिजबुल्लाह की स्थापना में मदद करने वाले 71 वर्षीय कासिम 1991 में उप प्रमुख की भूमिका में आए, और समूह के सबसे महत्वपूर्ण मौलवियों में से एक बन गए. माना जाता है कि ये नईम कासिम ही हैं जिन्होंने एक संगठन के रूप में हिजबुल्लाह की धार्मिक और वैचारिक दिशा का मार्गदर्शन किया.
हिजबुल्लाह के लड़ाकों के लिए नईम हमेशा 'नंबर दो' या ये कहें कि एक सहायक और मार्गदर्शक की भूमिका में रहे हैं. ऐसे में कम ही लोग हैं जो उन्हें इजरायल के खिलाफ लड़ाई का नेतृत्व करने वाला प्रेरणादायक व्यक्ति मान रहे हैं. शायद आपको जानकार हैरत हो कि स्वयं लेबनान में बहुत से लोग उन्हें करिश्मा और व्यक्तित्व की कमी वाला मानते हैं.
नईम अपने पूर्ववर्ती हसन नसरल्लाह की तरह पितातुल्य नहीं हैं. न ही वे प्रेरणादायी वक्ता हैं. लेकिन अब कासिम को परिस्थितियों के बल पर शीर्ष पद पर बिठा दिया गया है. सितंबर के अंत में बेरूत में नसरल्लाह की हत्या के बाद, कागजों पर कासिम की श्रेष्ठता के बावजूद, हाशेम सफीद्दीन को सबसे संभावित उत्तराधिकारी माना जा रहा था.
लेकिन दो सप्ताह बाद ही इजरायली हवाई हमले में उनकी भी मौत हो गई, क्योंकि इजरायली रक्षा बलों (आईडीएफ) ने ये कसम खाई हुई है कि वो हिजबुल्लाह के नेतृत्व को खत्म कर देंगे. ज्ञात हो कि सफीद्दीन पर भी हमला तब हुआ जब अटकलें लगाई जाने लगीं कि वे अगले नंबर पर हैं.
जैसी मौजूदा स्थिति है ऐसा महसूस होता है कि इस बार हिजबुल्लाह कासिम के प्रति ज्यादा सतर्क है. कासिम के विषय में जो जानकारी मिल रही है उसके मुताबिक इस महीने की शुरुआत में वह बेरूत से भागकर तेहरान चले गए हैं.पिछले महीने कासिम ने तीन टेलीविज़न संबोधन दिए हैं. उनमें से एक नसरल्लाह की मौत के बाद एक विद्रोही रैली का नारा था - जिसमें हिजबुल्लाह समर्थकों से वादा किया गया था कि वे लड़ाई जारी रखेंगे.
इसी तरह जो बी भाषण उन्होंने 8 अक्टूबर को दिया यदि उसे देखें तो महसूस हो रहा था कि वो लेबनान इजरायल गतिरोध पर सुलह के पक्षधर हैं. इजरायल के प्रति जो नजरिया कासिम का है उसे देखकर कुछ लोगों का मानना है कि उनके पास इतनी हिम्मत नहीं है कि वह अधिक आक्रामक नीति अपना सकें.
बहरहाल, कासिम पहले से ही एक जाना-पहचाना चेहरा है. पिछले अक्टूबर में इजरायल के साथ इस संघर्ष की शुरुआत के बाद से, वह हिजबुल्लाह के प्रमुख प्रवक्ताओं में से एक रहे हैं, जिन्होंने क्षेत्रीय और विदेशी मीडिया दोनों को साक्षात्कार दिए हैं.
खैर, नईम कासिम कोई ऐसा सैन्य कमांडर नहीं हैं जो इजरायल की तरह छिपकर काम करता है. इसके ठीक विपरीत - वह हमेशा आगे और केंद्र में रहे हैं और माना यही जा रहा है कि यही वो एक चीज है जो नईम कासिम को आने वाले वक़्त में मुश्किल में डालेगी.
हालांकि, अभी के लिए इजरायल सतर्क है, उसने चेतावनी दी है कि अगर कासिम, नसरल्लाह के नक्शे कदम पर चलते हैं, तो उनका कार्यकाल '(हिजबुल्लाह के) इतिहास में सबसे छोटा' होगा.
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Israel के सामने आखिर कितने दिन टिक पाएंगे हिजबुल्लाह के नए चीफ Naim Kassem?